नई दिल्ली /भोपाल : केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), भोपाल में कई सुविधाओं का उद्घाटन किया। उनके साथ मध्य प्रदेश सरकार के चिकित्सा शिक्षा, भोपाल गैस त्रासदी राहत एवं पुनर्वास मंत्री भी शामिल हुए। इस अवसर पर श्री रमाकांत भार्गव, संसद सदस्य (लोकसभा), शाहगंज भी उपस्थित रहे।
केंद्रीय मंत्री ने प्रशासनिक ब्लॉक की आधारशिला रखी और एम्स, भोपाल के सभागार को समुदाय को समर्पित किया। उन्होंने आईसीएमआर के सहयोग से स्थापित माइकोलॉजी एडवांस्ड रिसोर्स सेंटर (एमएआरसी) का भी उद्घाटन किया। संस्थान के स्किल लैब और कैंसर उपचार केंद्र (सीटीसी) को भी देश को समर्पित किया।
क्षेत्रीय आधार पर संतुलन के साथ विशेषीकृत चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लंबे सफर को याद करते हुए डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “सभी नागरिकों के लिए बेहतर स्वास्थ्य देखभाल के लिए देश भर में एम्स के नेटवर्क के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी का सपना पूरा हो रहा है। उन्होंने लंबे समय तक यह महसूस करने के बाद कि पूरे देश को संभालने की वजह से एम्स, दिल्ली पर बहुत ज्यादा भार है, स्वास्थ्य सेवाओं के प्रबंधन और शिक्षण मानकों में क्षेत्रीय असंतुलन को दूर करने की कल्पना की थी। इसलिए, 2003 में उन्होंने पीएमएसएसवाई और इस योजना के तहत देश के विभिन्न हिस्सों में 6 क्षेत्रीय एम्स बनाने की घोषणा की थी। यह स्वर्गीय श्रीमती सुषमा स्वराज जी का अथक प्रयास के साथ और क्षेत्र की उचित मांग थी कि यह संस्थान भोपाल में स्थापित किया जाए। ऐसे संस्थान के लिए भौगोलिक और रणनीतिक रूप से यह सबसे अच्छी जगह है, जिसकी औपचारिक रूप से 16 जुलाई 2012 को एक अध्यादेश के जरिए घोषणा की गई थी।”
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के गतिशील नेतृत्व में भारत सरकार सभी के लिए उच्चतर गुणवत्ता वाली चिकित्सा देखभाल के लिए चिकित्सकीय उत्कृष्टता वाले संस्थानों के विस्तार के लिए प्रतिबद्ध है।
डॉ. हर्षवर्धन ने शिक्षाविदों, रोगियों की देखभाल सेवाओं, क्षमता निर्माण और अनुसंधान गतिविधियों के क्षेत्र में संस्थान की बहुआयामी उपलब्धियों पर अत्यधिक खुशी जताई।
हाल ही में उद्घाटित आईसीएमआर-एमएआरसी सेंटर के बारे में बात करते हुए, डॉ. हर्षवर्धन ने कहा, “मुझे यह जानकर खुशी हुई है कि संस्थान को न्यू जनरेशन सीक्वेंसिंग की सुविधा मिल गई है। यह सिस्टम सार्स-कोव-2, अन्य वायरस, और माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस समेत रोगजनकों की तेजी से सीक्वेंसिंग करने में मदद करेगा। मुझे यह जानकार बेहद खुशी हुई कि इस संस्थान के वैज्ञानिकों और शिक्षकों ने एम्स, दिल्ली और अन्य संस्थानों के साथ साझेदारी करके कई टीबी नैदानिक परीक्षण विकसित किए हैं, इनमें से कुछ तो उन्नत प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने के चरण में हैं। एनीमल इमेजिंग सिस्टम, फ्लो साइटोमीटर विद् सॉर्टिंग, एलसीएमएस, ऑटोमेटिक न्यूक्लिक एसिड एक्सट्रेक्शन सिस्टम जैसी अन्य सुविधाएं इन-विवो ड्रग टारगेटिंग, ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग समेत अंतरराष्ट्रीय मानकों के शोध के लिए रास्ता तैयार करेगी।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि एम्स, भोपाल के निदेशक की नई सोच की वजह से सेंटर फॉर ट्रांसलेशन मेडिसिन स्थापित हुआ है, जो देश के किसी भी संस्थान में अद्वितीय सुविधा है। यह सेंटर सभी अत्याधुनिक उपकरणों के साथ चिकित्सकीय और बुनियादी विज्ञान के एकीकरण में एक महत्वपूर्ण पड़ाव बन सकता है। ट्रांसलेशन मेडिसिन का शानदार भविष्य है। एम्स, भोपाल में यह सेंटर एक बहु-विषयक, अत्यधिक सहयोगी, “बेंच-टू-बेडसाइड” नजरिए का इस्तेमाल करके नए नैदानिक उपकरणों और उपचारों की खोज में तेजी लाने के मकसद से बनाया गया है। इस केंद्र में मुख्य रूप से नई डायग्नोस्टिक किट बनाने, दवाओं की खोज, संपूर्ण जीनोम सीक्वेंसिंग, ट्रांसस्क्रिप्टोमिक्स, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और क्लीनिकल ट्रायल पर काम किया जाएगा। हमें निश्चित तौर पर सीखना चाहिए कि नवाचार कैसे मानव जाति के कल्याण तक पहुंचे और नतीजों के प्रकाशन तक खत्म न हो जाए।”
उन्होंने संस्थान को मैकगिल यूनिवर्सिटी हेल्थ सेंटर, कनाडा के शोध संस्थान; सीएसआईआर-इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सीलॉजी रिसर्च (सीएसआईआर-आईआईटीआर); राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संस्थान (एनआईएचएफडब्ल्यू); राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम); एम्स ऋषिकेश; लोक स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश सरकार जैसे अन्य संस्थानों के साथ उत्पादक साझेदारी के इसके प्रयासों के लिए बधाई दी।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह भी बताया कि कोविड-19 महामारी से निपटने के लिए एम्स, भोपाल ने परामर्शकारी संस्था के रूप में अपनी क्षमता के अनुसार, मध्य प्रदेश की कुल 38 प्रयोगशालाओं, संस्थानों और मेडिकल कॉलेजों के माइक्रोबायोलॉजिस्ट और लैब टेक्नीशियन को एम्स, भोपाल के रीजनल वायरोलॉजी लैब्र में प्रशिक्षण देने के बाद कोविड-19 आरटी-पीसीआर की जांच की निगरानी की है। संस्थान में बनी लैब ने 12 मार्च तक 1.96 लाख से अधिक कोविड-19 टेस्ट किए हैं।
उन्होंने कहा, “कोविड-19 के नैदानिक प्रबंधन के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में, क्षेत्र के चिकित्सा और नर्सिंग समुदाय के बीच कोविड-19 की पैथोफिजियोलॉजी, डायग्नोस्टिक्स, महामारी विज्ञान, रोगनिरोधी और चिकित्सा के मुद्दे पर हर हफ्ते वेबिनार आयोजित किए जा रहे हैं।” उन्होंने अब तक टीके की 6,433 खुराक लगाने के लिए संस्थान को बधाई भी दी।
इस अवसर पर डॉ. बलराम भार्गव, सचिव (स्वास्थ्य अनुसंधान) और डीजी-आईसीएमआर, प्रो. (डॉ.) सरमन सिंह, निदेशक, एम्स भोपाल और आईसीएमआर व एम्स, भोपाल के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद रहे।