रायपुर जिला पंचायत की पूर्व सदस्य एवम पूर्व जिलाध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी रायपुर ग्रामीण अनुसूचित जाति विभाग श्रीमती संतोषी पप्पू बंजारे ने अंतरास्ट्रीय महिला दिवस पर बधाई देते हुए महिलाओ को स्वालम्बन बनाने की दिशा में कांग्रेस की भुपेश सरकार की भूरी भूरी प्रसंशा करते हुए कहा कि माननीय मुख्यमंत्री भुपेश बघेल जी की सरकार ने सभी जिले में महिलाओं को मजबूत और अधिकार सम्पन्न बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। महिला स्वास्थ्य या पोषण का मामला हो, रोजगार और आजीविका से जुड़ने की गतिविधियां, खेल-कूद हो या खेती-किसानी और पशुपालन… हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी ने शासकीय योजनाओं और कार्यक्रमों की सफलता तय की है।
नरवा-गरवा-घुरवा-बाड़ी विकास कार्यक्रम शुरू किया तो पूरे छत्तीसगढ़ में इसके क्रियान्वयन की मैदानी स्तर पर जिम्मेदारी महिलाओं के हिस्से आई। गौठान समितियों के माध्यम से गौठानों के संचालन से लेकर गौठानों को आजीविका के बहुआयामी केन्द्र के रूप में विकसित करने में महिलाओं का बड़ा योगदान रहा। छत्तीसगढ़ के सभी जिले में संचालित गौठानों का पूरा प्रबंधन महिलाओं के हाथ में है। इन गौठानों में डे-केयर के रूप में पशुओं की देखभाल के साथ-साथ वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन, गोबर खरीदी, गोबर से विभिन्न उत्पादों का निर्माण जैसी सभी गतिविधियां महिला स्व सहायता समूहों की सदस्यो द्वारा संचालित हैं।
गौठानों में चारागाह के प्रबंधन से लेकर सब्जी उत्पादन का काम भी महिला समूह ही कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ की सभी जिलों में महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से महिलाओं का एक बड़ा और मजबूत संगठन है। मातृ शक्ति प्रेरित नामों के कई समूह छत्तीसगढ़ में महिला सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ाने में लगे हैं। महिलाएं खेती-किसानी, बागवानी, पशुपालन से जुड़ी रोजगार मूलक गतिविधियों में संलग्न है। महिला समूहों द्वारा जैविक खाद का निर्माण, गोबर के गमले, मूर्तियां और अन्य आकर्षक कलाकृतियां बनाने का काम किया जा रहा है।
रायपुर जिला पंचायत की पूर्व सदस्य श्रीमती बंजारे ने आगे कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार की महिला कोष ऋण योजना ने भी महिला समूहों को आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
महिला एवं बाल विकास विभाग की विभिन्न पोषण योजनाओं के लिए समूहों की महिलाएं रेडी टु इट बनाने का काम कर रहीं हैं। महिला समूहों के महिलाएं गर्म पका भोजन तैयार कर कुपोषित बच्चों और गर्भवती माताओं को रोज खिला रहे हैं। महिलाओं से जुड़े कामों के साथ-साथ पुरूषों के एकाधिकार वाले कई जीविकोपार्जन के काम छत्तीसगढ़ के प्रत्येक जिले में महिला समूहों द्वारा किए जा रहे हैं।
ईंट निर्माण, चांवल व्यवसाय, आंटा चक्की संचालन, कोशा धागाकरण, सिलाई व्यवसाय, किराना-कपड़ा मनिहारी व्यवसाय, मसाला व्यवसाय, पापड़ निर्माण, बांस-शिल्प व्यवसाय से लेकर वनोपज संग्रह, साबुन, रंग, गुलाल निर्माण जैसे कामों में महिला समूहों की सदस्यों ने अपनी क्षमता और कार्य कुशलता का उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। महिला कोष के माध्यम से सभी समूहों को ज्यादा का ऋण दिया गया है। इसमें खास बात यह है कि ऋण लेने के बाद समूहों ने अपनी कर्मठता और मेहनत से व्यवसाय को आगे बढ़ाया, अच्छी आमदनी प्राप्त की और लगभग 95 प्रतिशत से अधिक समूहों ने ऋण की अदायगी भी कर दी है। ग्रामीण क्षेत्रो में बैंकिंग सुविधाओं के विस्तार के लिए बैंक सखियां भी काम कर रहीं हैं।
पेंशन या स्काॅलरशीप का भुगतान हो या मनरेगा की मजूदरी देना हो, बैंक खाते से राशि निकालना हो या बचत के लिए जमा करना हो ऐसे सभी काम लोगों के घर जाकर बैंक सखियों के माध्यम से आसानी से हो रहे हैं।
कांग्रेस के पूर्व जिलाध्यक्ष श्रीमती संतोषी बंजारे ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के काल में भी छत्तीसगढ़ की महिलाओं ने जनजागरूकता से लेकर कोरोना मरीजों के ईलाज तक की गतिविधियों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है। महिला डाॅक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, प्रशासनिक अधिकारी-कर्मचारी सभी महिलाओं ने कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए अपने अनुभव का अच्छी तरह उपयोग किया। महिला होने के नाते पारिवारिक ही नहीं सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर भी बारिकियांे का ध्यान रख कोरोना संक्रमण से बचाव की रणनीति तैयार की गई।