राजिम। मुख्यमंच पर आज सांस्कृतिक बेला में जाकिर हुसैन जी ने शानदार प्रस्तुति दी। मोर तो कोनो नई है गा भैया… जिसमें विभिन्न लोगों का नाम जोड़कर बहुत ही मनोरंजनात्मक प्रस्तुति को दर्शकों ने बहुत सराहा और तालियों की गड़गड़ाहट से उनका उत्साहवर्धन किया। भिलाई वाले मचाही हल्ला… महादेवा सर से तेरे बहती गंगा… ओम नमः शिवाय से भक्ति का संचार हुआ शिवभक्ति में लीन में दर्शक तालियों की गड़गडा़हट करते रहे। रफी जी के दीवाने जाकिर हुसैन ने देश भक्ति से पूर्ण हर करम अपना करेंगे… प्रस्तुत कर देश भक्ति का माहौल बनाया सभी भक्ति रस में डूब गये। दर्दे दिल दर्दे जिगर दिल में जगा… जैसे गीतों से समां बांधा। इसी कड़ी में सबसे प्रसिद्ध गीत सौ साल पहले मुझे तुमसे प्यार था जैसे पुराने सुपरहिट गीत दर्शकों को सुनाकर खूब ताली बटोरी। दगा बाज रे….. ये गीत ने सांस्कृतिक गीत के माहौल को सुखमय बना दिया।
कार्यक्रम की दूसरी कड़ी में छत्तीसगढ़ी गीत की गायिका अलका चन्द्रकार फूलवारी की प्रस्तुति थी। पहली प्रस्तुति गणेश वंदना से किया गया। जय हो जय हो गणराज… उसी के साथ अलका चन्द्रकार अपनी चिर प्रचलित आवाज में ढोल बाजे रे नगाड़ा बाजे न… ये गीत जब उन्होंने मंच में गायी तो दर्शकांे को भी अलका चन्द्रकार ने गुनगुनाने को कहा तो दर्शक भी इस गीत को गाने लगे। इस गीत को सुनकर अलका चन्द्रकार ने दर्शकों से कहा कि आज वास्तव में मुझे आनंद आ गया ऐसा लग रहा है कि मै दर्शक हूॅं और आप सभी छत्तीसगढ़ी गायक बन गए। अगली प्रस्तुति मोर भारत माता के माटी… छत्तीसगढ़ के महतारी ये गीत तो हद ही कर दिया दर्शक मंच के समीप आकर नृत्य करने में चुके नहंी। इसी के साथ अलका चन्द्रकार ने दर्शकों को बताया कि सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ का गरबा हैं। इसलिए उनकी अगली प्रस्तुति सुआ नृत्य और गीत जिसके बोल थे तरी हरी ना ना…। सुआ लहकत हे- गीत की संुदर प्रस्तुति ने पूरे महोत्सव स्थल में धूम मचा दिया। गौरी गौरा नृत्य की गीत से दर्शक झून उठे गौरा-गौरी पालकी की अद्भूत दृश्य मुख्य मंच पर परिलक्षित हुआ। डारी रे डारी तोरे चेहरा आॅखी माॅ झूलत रहिते न… जैसे छत्तीसगढ़ की प्रस्द्धि नृत्य ने तहलका मचा दिया। स्वर कोकिला अलका चन्द्रकार को देखने आज जन सैलाब मुख्य मंच के समीप उमड़ पड़ी मुंदरी रे मुंदरी सगुन मुंदरी डारे अंगरी… जबरदस्त प्रस्तुति हुई।
मीठ-मीठ लागे मया के बाणी छत्तीसगढ़ सुपरहिट गीतो को सुनने दर्शकों ने फरमाईश पर का जादू मंतर तै मारे तै मोला… सुनते ही मुख्यमंच के ठीक दायी ओर दर्शक खड़े होकर आज मुख्यमंच पर छत्तीगढ़ी संस्कृति का बरसात हो रही थीं क्योंकि अलका रूपी बादल लगातार छत्तीसगढ़ी गीतों का बरसात किए जा रही थी। ये रंग रंगसिया जोड़ीदार… पुन्नी के मेला में… जैसे लोक गीतों क्योंकि बेहतरीन प्रस्तुति आज मंच पर देखने को मिला और दर्शक बहुत देर तक इस कार्यक्रम का आनंद लेते रहे। इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए बही बना दिए पगली बना दिए… इस गीत ने तो बच्चे बुढ़े और युवावर्ग को झूमने पर विवश कर दिया। उसके बाद एक से बढ़कर छत्तीसगढ़ी गीतों की प्रस्तुति दी गई जिसमें हाय मयारू सजन बैरी मोर… इस छत्तीसगढ़ी गीत को सुनकर दर्शक अपने भूख को भी भूल गए और अलका चन्द्रकार के साथी कलाकारों के भाॅंति वे भी झूम रहे थे।
छत्तीसगढ़ में लम्बे समय तक चलने वाले गीत गाड़ा-गाड़ा जोहार गीत की प्रस्तुति मंच पर दी गई। सभी दर्शक हाथ जोड़कर अभिनंदन करने लगे। हर हर हरहर भोला… गीत ने ऐसा मन को मोहित कर लिया कि चारो तरफ माहौल शिवमय हो गए। कलाकारों का सम्मान राजिम विधायक अतिमेश शुक्ला, एसपी भोजराम पटेल, एएसपी सुखनंदन राठौर, अपर कलेक्टर जेआर चैरसिया, थाना प्रभारी विकास बघेल एवं स्थानीय जनप्रतिनिधी ने किया।