नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आज एसोचैम और इन्वेस्ट इंडिया के साथ भागीदारी में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय द्वारा ‘मध्य प्रदेश में कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण के अवसर’ विषय पर आयोजित एक सम्मेलन को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से संबोधित किया।
सम्मेलन को संबोधित करते हुए केन्द्रीय मंत्री श्री तोमर ने उद्यमियों को देश में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया और उन्हें भरोसा दिलाया कि सरकार उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध कराएगी। उन्होंने कहा कि सरकार खाद्य प्रसंस्करण परियोजनाओं को तत्परता से स्वीकृतियां दे रही है। केन्द्रीय मंत्री ने कृषि के क्षेत्र में निजी निवेश और नवीनतम तकनीक लाने की जरूरत पर भी जोर दिया।
श्री तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में, छोटे किसानों की आय बढ़ाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि देश के 86 प्रतिशत किसान छोटे किसान हैं और जब तक उन्हें सशक्त नहीं बनाया जाता है, तब तक गांवों के आत्मनिर्भर बनने और कृषि क्षेत्र के विकास की कल्पना भी नहीं की जा सकती है।
पीएम किसान सम्मान निधि के अंतर्गत, देश के 10.5 करोड़ किसानों को 1.15 लाख करोड़ रुपये की धनराशि दी जा चुकी है, जिससे इन किसानों की वार्षिक आय 6 हजार रुपये तक बढ़ गई है।
श्री तोमर ने कहा कि छोटे और मझोले किसानों को महंगी फसलों की खेती की ओर आकर्षित करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जिससे उन्हें कृषि तकनीक का लाभ मिले और गुणवत्तापूर्ण व वैश्विक मानकों के स्तर की फसल का उत्पादन कर सके।
आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत कृषि अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का आवंटन किया जा चुका है, जिससे गांवों में शीतगृह, वेयरहाउस जैसी अवसंरचनाओं का निर्माण होगा। इससे फसल का पर्याप्त प्रसंस्करण करके किसानों को ज्यादा लाभ पहुंचाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार देश में 10 हजार नए कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ) स्थापित कर रही है। सरकार इन एफपीओ पर 6865 करोड़ रुपये खर्च करेगी। एफपीओ से जुड़ने पर किसान की खेती में लागत तो कम होगी ही और उन्हें बेहतर बाजार एवं एकीकृत सिंचाई सुविधाओं का लाभ भी मिल सकेगा। एफपीओ को खेती के लिए ब्याज में 3 प्रतिशत तक की छूट पर 2 करोड़ रुपए तक का ऋण दिया जाएगा।
श्री तोमर ने कहा कि हमारे किसानों के परिश्रम और वैज्ञानिकों के शोध के कारण खाद्यान्न उत्पादन की दृष्टि से भारत अधिशेष राष्ट्र है। भारत दूध, बागवानी उत्पादों के मामले में भी दुनिया में अग्रणी है। अब खाद्य प्रसंस्करण पर ध्यान देने की जरूरत है। खाद्य प्रंस्करण मंत्रालय कई योजनाओं के साथ इस दिशा में तेजी से कार्य कर रहा है।
श्री तोमर ने जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि क्षेत्र के सामने मौजूद चुनौतियों की ओर ध्यान आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि धान व गेहूं में ज्यादा पानी लगता है, इसलिए किसानों को पानी की कमी वाले क्षेत्रों में इन फसलों के बजाय दलहन, तिलहन के साथ ही मोटे अनाज की खेती पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए। श्री तोमर ने कहा कि कोविड-19 के संकट के दौर में लोगों का ध्यान प्रतिरोधकता बढ़ाने की ओर बढ़ा है। पूरी दुनिया में यह सिद्ध हो गया है कि मोटे अनाज प्रतिरोधकता बढ़ाने में कारगर हैं। ऐसे में मोटे अनाज की खेती, उसे बेहतर बाजार दिलाने और उसके प्रसंस्करण पर ध्यान देना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि तिलहन के प्रसंस्करण से स्व सहायता समूहों को जोड़ा जाना चाहिए, इससे गांव की कमजोर वर्ग की महिलाओं को भी आर्थिक लाभ हो सकेगा।
मध्य प्रदेश में मौजूद अवसरों पर बात करते हुए, श्री तोमर ने कहा कि ग्वालियर-चंबल अंचल में खाद्य प्रंस्करण के क्षेत्र में अपार संभावनाए हैं और इनका दोहन करके इस क्षेत्र के छोटे व मझोले किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार किया जा सकता है।
श्री तोमर ने कहा कि ग्वालियर-चंबल अंचल सांस्कृतिक, पुरातात्विक, व्यापारिक क्षेत्र के साथ ही कृषि के क्षेत्र में भी समृद्ध है। गेहूं और धान के अच्छे उत्पादन के साथ ही यहां दलहन व तिलहन और विशेषकर सरसों के उत्पादन, प्रसंस्करण की भी अपार संभावनाएं हैं। मुरैना, भिण्ड और ग्वालियर में तिलहन प्रसंस्करण के कई उद्योग सुचारू रूप से चल रहे हैं, लेकिन अब इसे और आगे बढ़ाने की जरूरत है।
श्री तोमर ने कहा कि मुरैना जिला शहद की दृष्टि से भी अग्रणी है। नेफेड ने शहद के लिए एक एफपीओ बनाया है, जिसके माध्यम से गुणवत्ता युक्त शहद उत्पादन में वृद्धि, बेहतर पैकेजिंग-मार्केटिंग हो सकेगी। यहां से देश के साथ ही दुनिया में भी शहद की बिक्री की गई है।
मध्य प्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री भरत सिंह कुशवाहा ने कहा कि यदि किसान आत्मनिर्भर बनते हैं तो देश भी आत्मनिर्भर हो जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने के लिए मध्य प्रदेश सरकार भी आत्मनिर्भर मध्य प्रदेश के अंतर्गत किसानों का आत्म निर्भर बना रही है। उन्होंने कहा कि सरकार पांच साल में 10,500 खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां लगाएगी। इनमें से 262 इकाइयों को वर्तमान वित्त वर्ष में सहायता उपलब्ध कराई जाएगी।
कार्यक्रम में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय, भारत सरकार में संयुक्त सचिव सुश्री रीमा प्रकाश ने अपने संबोधन में कहा कि मध्य प्रदेश को अन्न के कटोरे के रूप में जाना जाता है और यह तिलहनों, दालों, औषधीय फसलों व मसालों के उत्पादन में भी अग्रणी राज्य है। उन्होंने कहा कि इन फसलों के प्रसंस्करण से खासा लाभ अर्जित किया जा सकता है।
इस कार्यक्रम में डाबर, हाइफन, पतंजलि, यूपीएल जैसी प्रमुख खाद्य प्रसंस्करण कंपनियों और फ्लिपकार्ट जैसी आपूर्ति श्रृंखला कंपनियों ने भागीदारी की। इस सम्मेलन में उद्यम से सरकार (बी 2 जी) और उद्यम से उद्यम (बी 2 बी) बैठकें भी हुईं। पंजीकृत उद्यमियों, एफपीओ और स्व सहायता समूहों के लाभ के लिए पीएमएफएमई योजना का विवरण भी प्रस्तुत किया गया।
इस सम्मेलन में राज्य सरकार के अधिकारियों और एसोचैम के सदस्यों ने भी भाग लिया।