मनरेगा की डबरी से सिंचाई मिलने पर पहली बार बेचा 18 क्विंटल धान
कोरिया /बैकुण्ठपुर! रजौली में रहने वाले किसान बृजलाल के लिए अपने खेतों में गेंहू की फसल बोना एक सपने जैसा था परंतु मनरेगा की मदद से उसका सपना पूरा हो गया। खुष होकर बृजलाल बतलाते हैं कि बहुत सालों से इच्छा थी कि अपने खेतों में सिंचाई का साधन बन जाए तो मैं गेंहू की फसल लगाउंगा। बीते साल उनके पिता श्री जवाहिर के नाम पर निजी भूमि में मनरेगा की डबरी बन जाने से उनकी यह चाहत पूरी हो गई है। इस बार उनके परिवार ने 18 क्विंटल धान भी सहकारी समिति में बेचा है। इस परिवार के मुखिया जवाहर भी खुष होकर कहते हैं कि सरसों और गेंहू की फसल देखकर बड़ी खुषी हो रही है। इस साल धान की भी फसल अच्छी होने से लाभ मिला है। इस किसान परिवार ने अपने डबरी में चार किलोग्राम मछलियों के बीज भी डाले हैं जो बढ़ रहे है अनुमान है कि गर्मियों के अंत तक मछलियां बेचने लायक हो जाएंगी और परिवार को तीस से चालीस हजार रूपए का अतिरिक्त लाभ भी मिलेगा।
रजौली में रहने वाले श्री बृजलाल ने बताया कि उनके खेतों में सिंचाई को कोई सुविधा नहीं थी। उनका परिवार अपने लगभग पौने दो एकड़ भूमि पर बारिष आधारित खेती के बाद महात्मा गांधी नरेगा के तहत मिलने वाले रोजगार पर आश्रित रहता था। सिंचाई की सुविधा ना होने से अक्सर वह समय पर धान का रोपा और थरहा नहीं कर पाते थे। इससे उनकी फसल का उत्पादन भी कम ही होता था। काफी मेहनत के बाद भी बमुष्किल साल भर खाने को अनाज हो पाता था। इसके बाद श्री बृजलाल ने ग्राम पंचायत में एक ग्राम सभा के दौरान खेतों में डबरी बनाए जाने की जानकारी लेकर अपना आवेदन किया। उनके आवेदन पर ग्राम पंचायत ने प्रस्ताव पारित किया जिससे उन्हे वर्ष 2018 -19 में उनके पिता की निजी भूमि पर डबरी बनाए जाने की स्वीकृति मिली। इसके बाद अपने ही खेतों में काम करने से इस परिवार के सभी वयस्क सदस्यों ने चार सप्ताह तक काम करके अपना 100 दिन का रोजगार भी प्राप्त किया। इससे उनके परिवार को लगभग 18 हजार रूपए का आर्थिक लाभ भी हुआ। डबरी बन जाने के बाद पहली ही बारिष में डबरी में पर्याप्त पानी एकत्र हो गया। इससे इस परिवार को अपने खेतों में धान की फसल समय पर लगाने में सहूलियत मिली। समय पर खेती करने से उनके खेतों में 28 क्विंटल धान की फसल हुई। इसमें से 18 क्विंटल धान इन्होने सहकारी साख समिति में बेचकर लाभ कमाया। धान की फसल के बाद श्री बृजलाल ने अपने खेतों में सरसों और 80 किलोग्राम गेंहू भी बोया है। इनकी फसल अब तैयार हो रही है। साथ ही डबरी में मछली पालन के लिए इन्होने चार किलोग्राम मछली बीज भी डाले हैं। आने वाले गर्मियों में इन्हे तीस से चालीस हजार रूपए मछली उत्पादन से भी मिलने की उम्मीद है। रजौली में रहने वाले इस परिवार के लिए छोटा सा जलसंसाधन खुषियों के अवसर बनकर आया है।