सरकार किसानों को आंदोलन तेज करने के लिए कर रही है मजबूर : मो. असलम
रायपुर/13 फरवरी 2021। नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन पिछले ढाई महीने से भी ज्यादा समय से जारी है लेकिन केन्द्र सरकार आंदोलन खत्म कराने को लेकर कोई कदम नहीं उठा रही है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने पूछा है कि केन्द्र सरकार हमेशा बातचीत के लिए तैयार होने का दिखावा कर मामले को उलझाए रखना चाहती है। पीएम मोदी का संसद में दिया गया बातचीत का आफर भी इसी का हिस्सा लगता है, तभी तो हफ्ते भर बाद भी उन्होंने किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित नहीं किया है। जबकि किसान उनके बुलावे का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने जारी बयान में कहा कि जब किसान तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग कर रहे हैं तो सरकार को कानून रद्द करने में क्या परेशानी है? वैसे भी सरकार डेढ़ साल तक इन कानूनों को होल्ड रखने का प्रस्ताव दे चुकी है। ऐसे में आंदोलन को समाप्त कराने के लिए सभी कानूनों को रद्द करने में सरकार को आपत्ति नहीं होनी चाहिए। कानून रद्द करने के बाद सरकार साल-डेढ़ साल में किसान संगठनों से चर्चा कर, नए कानून का मसौदा तैयार कर उसे फिर से पारित करा सकती है। इसलिए बार-बार रिफार्म की बात कहकर अपने रवैये पर जमे रहने के बजाय सरकार को किसान आंदोलन समाप्त कराने का रास्ता निकालना चाहिए।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि भारत में चल रहे किसान आंदोलन पर समूची दुनिया की नजर है और किसानों के साथ जो ज्यादती हो रही है उस पर किसानों के समर्थन में अपनी प्रतिक्रिया भी दे रहे हैं। इससे जाहिर है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि को भी नुकसान हो रहा है। क्या कारण है कि केंद्र सरकार किसानों के साथ दुश्मनों जैसा बर्ताव कर रही है? किसानों का दिल नहीं जीत पाना केंद्र सरकार की घोर विफलता है। तीनों काले कानूनों रद्द कर, केंद सरकार को किसानों से विश्वास अर्जित करना चाहिए। एनडीए की सरकार किसानों के साथ धोखा कर रही है यही वजह है कि उनके सहयोगी दल भी एनडीए से बाहर निकलने के लिए छटपटा रहे हैं। हम दो हमारे दो की तर्ज पर चलने वाली सरकार को समझ लेना चाहिए कि किसान हिंदुस्तान की शक्ति है, रीढ़ की हड्डी है। उनके साथ तानाशाही प्रवृत्ति लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ हैं। कांग्रेस पार्टी किसानों के शांतिपूर्ण संघर्ष के साथ मजबूती से खड़ी है। ऐसे में बेहतर होगा कि केन्द्र सरकार अपना अहंकार छोड़कर समस्या के समाधान के लिए पहल करे और आंदोलन समाप्त कराए। किसान संगठनों के कानून वापसी तक सड़क पर बैठने रहने के फैसले से आंदोलन का लंबा खींचने का अंदेशा बना हुआ है। इससे आंदोलन पर बैठे बुजुर्ग किसानों के साथ आम लोगों की परेशानी और बढ़ जाएगी। ऐसा नहीं कर सरकार किसानों को आंदोलन तेज करने के लिए मजबूर कर रही है।