सेवानिवृत्त सैनिक क्यामुद्दीन अली का भव्य स्वागत
18 वर्ष की उम्र में सैनिक के रूप में हुआ था चयन
पंजाब के गुरूदासपुर से शुरू हुआ सफर जम्मू कश्मीर से लौटा वीर जवान
22 वर्ष की वीरता करने वाला सैनिक 2021 में सेवानिवृत्त होकर शनिवार को गृह ग्राम लौटे, उनके लौटने की खबर सुनकर क्षेत्रभर के लोगों ने स्वागत के लिए लाइन लगा लिया और जगह-जगह फूलों और गुलदस्ता के साथ सैकडों लोगों ने उनका स्वागत किया, महज 18 वर्ष की उम्र में देश की सेवा और सुरक्षा करने वाले क्यामुद्दीन अली शनिवार की सुबह अपने घर लौट आये।
अनूपपुर। देश सेवा का जज्बा रखने वाले अमलाई निवासी मोहम्मद ईदरीश के बडे पुत्र क्यामुद्दीन अली 22 वर्ष तक देश की सीमाओं में रक्षा किये, अलग-अलग स्थानों पर सेवा देने के बाद रिटायर होकर शनिवार को अपने घर पर लौट आये, लौटने की खुबर सुनकर लोगों ने स्वागत के लिए उमड पडे, गौरलतब हो कि जवान क्यामुद्दीन अली देश सेवा के लिए 18 वर्ष की उम्र में बतौर सैनिक चयन होकर प्रशिक्षण के लिए चले गये थे, प्रशिक्षण उपरांत देश के अनेक स्थानों पर रहकर अपनी सेवाएं दी, इस दौरान कई कठिन परिस्थितियां भी आई, लेकिन देश सेवा की कसमें खाकर फौज में भर्ती हुआ जवान हर विपत्ति को झेलकर आगे बढते हुए देश के समक्ष अपना 22 वर्ष तक समर्पण बनाये रखा और अंत में सेवानिवृत्त होकर लोगों को देश के प्रति लगन और ईमान का प्रतीत साबित हुए।
ऐसा था फौजी का सफर
रिटायर फौजी क्यामुद्दीन अली बचपन से अपने दादा-दादी के यहां धनपुरी के रेलवे कालोनी में रहकर प्राथमिक-माध्यमिक शिक्षा गृहण की, उसके बाद अमलाई में अपने पिता के साथ रहकर गणेश स्कूल से हाई एवं हायर सेकेण्डरी की शिक्षा अर्जित किया। इस दौरान सैनिक में चयन हेतु जबलपुर पहुंचे, जहां उनका चयन हो गया, जहां से जम्मू एवं कश्मीर रायफल रेजिमेंटल सेंटर जलबपुर में प्रशिक्षण प्राप्त किया, उसके बाद प्रशिक्षण के लिए जनवरी 1999 में पहली पदस्थापना पंजाब के गुरूदासपुर में हुआ, कई वर्षो तक सेवा देने के बाद यहां से सिक्किम पहुंचे, जिसके बाद राजस्थान में अपनी सेवा दी और अंत में जम्मू एण्ड कश्मीर में सीमा की सुरक्षा करते हुए सेवानिवृत्त हो गये।
कारगिल युद्व में रहा योगदान
भारत-पाकिस्तान के बीच 1999 में हुए कश्मीर के कारगिल जिले में हुए सशस्त्र संघर्ष में भी वीर जवान क्यामुद्दीन अली का योगदान रहा है, उस दौरान उनकी पहली पोस्टिंग पंजाब में था, जहां से सैनिकों को को कारगिल युद्व में भेजा गया था, उस दौरान क्यामुद्दीन भी इस संघर्ष में शामिल थे, गौरतलब हो कि भारत पाकिस्तान के बीच सीमाओं को लेकर विवाद था, जहां पाकिस्तानी सैनिक और उग्रवादियों के द्वारा नियंत्रण रेखा पार करते हुए कब्जा करने का प्रयास किया गया, जिसके बाद भारत-पाकिस्तान के बीच युद्व छिड गया था।
क्षेत्र में हुआ भव्य स्वागत
शनिवार को सुबह से ही सैनिक के स्वागत के लिए हुजूम देखा गया। अमलाई-धनुपरी सहित आस-पास के प्रबुद्व नागरिक, व्यापारी, कर्मचारी, समाजसेवी के साथ राजनीतिज्ञ और छात्र-छात्राए, सेल्फ डिफेंस स्पोर्ट एकेडमी अमलाई व आर्या हायर सेकेण्डरी स्कूल के द्वारा सेवानिवृत्त हुए फौजी का भव्य स्वागत किया गया, सुबह से ही लोगों ने मिठाईयां बांट कर एक दूसरे से गले मिलते हुए बधाई दी, वहीं कराटे के बच्चों व विद्यालय सहित परिवारजनों ने आरती उतार कर स्वागत किया। इस दौरान सैकडों की संख्या में लोग मौजूद रहे।