युवा कांग्रेस ने पेट्रोल डीजल के दाम कम करने की मांग की

रायपुर। पेट्रोल-डीजल के दाम कम करने के बजाय 3 रू. प्रति लीटर एक्साइज बढ़ाने को गलत ठहराते हुये युवा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष पूर्णचंद कोको पाढ़ी ने कहा इस मोदी सरकार की ग़लत आर्थिक नीतियों के कारण आज भारत देश की अर्थव्यवस्था पंगु हो गयी है । डॉलर भारत के इतिहास में जो नही पहुंचा वह अब 75 रुपिया पहुंच गया है ।

मोदी-शाह सरकार को कच्चे तेल के घटे हुये अंतर्राष्ट्रीय दामों का लाभ देश की जनता को पहुंचाने हेतु फौरन पेट्रोल-डीजल, गैस के मूल्य 40 प्रतिशत कम करने की मांग युवा कांग्रेस करती है ।

जो मोदी सरकार ने किया है पेट्रोल-डीजल के दामों में सिर्फ 14 पैसे और 17 पैसे की कमी को अपर्याप्त और अन्यायपूर्ण है । प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रवक्ता शेख मुशीर ने अध्य्क्ष श्री पूर्णचंद कोको पाढ़ि के हवाले से कहा है कि भाजपा सरकार ने पिछले 6 सालों में आम आदमी की जेब से 15 लाख करोड़ निकाल लिये है। आज जब अर्थव्यवस्था का बुरा हाल है तो ईंधन के दामों में 3 रू. प्रति एक्साइज बढ़ाकर भाजपा सरकार ने आम आदमी के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया है। पहले हर सप्ताह और बाद में हर दिन क्रूड आइल के दामों में वृद्धि का हवाला देकर पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ाने और महंगाई बढ़ाने का जनविरोधी कृत्य करते रहे। अब अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल क्रूड आईल का दाम घटकर 30 डालर प्रति बैरल हो जाने के बाद मोदी सरकार द्वारा इसका लाभ पेट्रोल-डीजल के उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के बजाय एक्साइज ड्यूटी में 3 रू. प्रति लिटर की वृद्धि का गरीब विरोधी जनविरोधी फैसला मोदी सरकार ने लिया है। कच्चा तेल गिर कर 30-32 डॉलर प्रति बैरल हो गया, परंतु नवंबर 2004 में जब कच्चा तेल 38 डॉलर प्रति बैरल था, उसके बराबर कीमतें लाना तो दूर, मोदी सरकार पेट्रोल में 32 रुपया 45 पैसे और डीजल में 38 रूपया 69 पैसे प्रति लीटर खुद की जेब में डाल रही हैं। ये कहाँ का न्याय है?
प्रदेश युवा कांग्रेस के प्रवक्ता शेख मुशीर ने अध्यक्ष पूर्ण चंद कोको पाढ़ी के हवाले से यह भी कहा है की मोदी-शाह सरकार को अंतर्राष्ट्रीय कच्चे तेल के मूल्यों में भारी कमी के अनुरूप पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस के मूल्यों को 35 से 40 प्रतिशत कम करके कच्चे तेल के अंतर्राष्ट्रीय दामों में आई रिकार्ड गिरावट का लाभ देश की जनता को देना चाहिये। ताकि उन्हें स्टैगफ्लेशन (कमर तोड़ महंगाई एवं आर्थिक मंदी) तथा बढ़ती बेरोजगारी से कुछ राहत मिल सके।

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