दुर्ग, 17 दिसंबर 2020। गैरसंचारी रोगों की बढ़ती समस्या और असमय होने वाले मौतों पर नियंत्रण के लिए लोगों में जागरुकता होना जरुरी है। ताकि लोग बीमारियों का समय पर इलाज करा सकें साथ ही इसके लिए स्वास्थ्य केंद्रों में जरुरी संसाधनों का होना भी आवश्यक है। इसी क्रम में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) व छत्तीसगढ राज्य स्वास्थ्य विभाग द्वारा राष्ट्रीय गैर संचारी रोग कार्यक्रम के तहत उच्च रक्तचाप नियंत्रण के लिए जिले के पाटन ब्लॉक के चिकित्सकों का प्रशिक्षण आयोजित किया गया जिसमें उनको बीपी मशीन भी वितरित की गयी। नए प्रॉफेशनल मशीन से गुणवत्तापूर्ण सेवाएं में बढ़ोतरी होगी।
कार्यशाला में इंडिया हाइपरटेंसिव कंट्रोल इनिशिएटिव प्रोग्राम के छत्तीसगढ़ कार्डियो वस्क्यूलर ऑफिसर डॉ. उर्विन शाह ने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के चिकित्सकों एवं हेल्थ वेलनेस सेंटर के सीएचओ व आरएचओ को विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से बी.पी. नापने की मशीन प्रदान की। डॉ. उर्विन शाह ने बताया,“गैर-संचारी रोग ऐसी दीर्घकालिक बीमारियाँ हैं जो एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलते हैं जैसे- कैंसर, मधुमेह और हृदय रोग, जबकि संचारी रोग तेज़ी से संक्रमण करते हैं तथा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में जैसे-मलेरिया, टायफायड, चेचक, इन्फ्लुएन्ज़ा आदि अति शीघ्र से फैलते हैं। उन्होंने बताया, इंडिया हाइपरटेंसिव कंट्रोल इनिशिएटिव प्रोग्राम के तहत 30 वर्ष से अधिक आयु के सभी व्यक्तियों की ब्लड प्रेशर जांच की जाएगी। जांच में उच्च रक्तचाप की बीमारी होने पर मरीज को निःशुल्क दवाईयां प्रोटोकॉल के तहत सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों से प्रदान की जाएगी। मरीज को बी पी नियंत्रण के लिए निरंतरता बनाये रखने एक बीपी पासपोर्ट दिया जाएगा।“
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) की रिपोर्ट ‘इंडिया: हेल्थ ऑफ़ द नेशंस स्टेट्स’ के अनुसार, वर्ष 2016 में होने वाली कुल मौतों में हृदय संबंधी विकार, कैंसर और मधुमेह सहित गैर-संचारी रोगों का योगदान 61.8% था। इन बीमारियों के कारण लगभग 23% लोगों पर प्री-मैच्योर (समय से पहले) मौत का खतरा बना हुआ है। जबकि रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में 70.1% मौत समय से पूर्व होने का खतरा सहित गैर-संचारी रोगों का योगदान 50.4% मौतों में इन बीमारियों का था। गैर-संचारी रोग के जोखिम उम्र बढ़ने, अस्वास्थ्यकर आहार, शारीरिक गतिविधि की कमी, उच्च रक्तचाप, उच्च रक्त शर्करा, उच्च कोलेस्ट्रॉल तथा अधिक वज़न आदि के कारण बढ़ रहे हैं। आमतौर पर ये रोग आनुवंशिक, शारीरिक, पर्यावरण और जीवन-शैली जैसे कारकों के संयोजन का परिणाम होते हैं।
पाटन स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्रशिक्षण सह कार्यशाला में बीएमओ डॉ. आशीष शर्मा ने जानकारी दी। उन्होंने बताया गैर-संचारी रोगों की रोकथाम और नियंत्रण के लिए वैश्विक कार्रवाई के तहत विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की योजना में हृदयसम्बन्धी बीमारियाँ (Cardiovascular Diseases-CVD) जैसे-हार्ट अटैक एवं स्ट्रोक, कैंसर, दीर्घकालिक श्वास संबंधी बीमारियाँ, मधुमेह (Diabetes) व उच्च रक्तचाप रोग शामिल है।
यह कार्यक्रम विकासखंड पाटन के सभी 5 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और दो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मई-2020 से इंडिया हाइपरटेंसिव कंट्रोल इनिशिएटिव प्रोग्राम के अंतर्गत संचालित किया जा रहा है। ब्लॉक के सभी स्वास्थ्य केंद्रों 880 ब्लड प्रेशर के मरीजों को प्रतिमाह निःशुल्क दवाईयां प्रदान की जा रही हैं। कार्यशाला में बीईटीओ बी एल वर्मा, बीपीएम पूनम साहू, डीईओ जीवनलाल व कॉउन्सलर रूखमणी साहू सहित अन्य स्टॉफ भी उपस्थित रहें।