लखनऊ : लखनऊ नगर निगम की ओर से जारी किये गए 200 करोड़ रुपये मूल्य वाले नगरपालिका बांड्स को आज बीएसई में सूचीबद्ध किया गया। उत्तर प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज मुंबई में एनएसई के बेल समारोह में हिस्सा लिया। इसके साथ ही लखनऊ देश में नगरपालिका बॉन्ड्स जारी करने वाला 9वां शहर बन गया है। इसे भारत सरकार के आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने अमृत मिशन (अटल नवीकरण और शहरी परिवर्तन मिशन) के तहत प्रोत्साहन दिया है। इन बांड के जारी होने से लखनऊ नगर निगम को अपने ब्याज भार में सब्सिडी देने के लिए 26 करोड़ रुपये की राशि प्राप्त होगी। यह अग्रिम प्रोत्साहन राशि नगर निगम पर ब्याज के बोझ को 2 प्रतिशत तक कम करने के समान है। यह वित्तीय और निगम सुशासन में सुधार लाने, शहर को और अधिक आत्मनिर्भर बनाने-नागरिक आधारभूत सुविधा ढांचे को विकसित करने में मददगार साबित होगा और आत्मनिर्भर भारत के हिस्से के रूप में आत्मनिर्भर शहर बनाने की दिशा में एक प्रयत्न है।
लखनऊ नगर निगम ने 13 नवम्बर, 2020 को अपना पहला नगरपालिका बांड सफलतापूर्वक जारी किया था, जिसे आज सूचीबद्ध किया गया है और यह बीएसई में कारोबार योग्य है। कुल जारी किये गये 100 करोड़ रुपये के इश्यू ने काफी मात्रा में निवेशकों को आकर्षित किया और 450 करोड़ रुपये की कुल निविदाएं प्राप्त हुईं। यह 8.5 प्रतिशत की आकर्षित कूपन दर पर बंद हुआ था और इसकी अवधि 10 वर्ष की है, जो अपने आप में एक रिकॉर्ड है, खासकर कोरोना महामारी के समय में। यह बांड बेहतर गुणवत्ता वाले निवेशकों की मांग का प्रतीक है और नगरपालिका बांड्स में सबसे अधिक संरचित है।
अमृत योजना के शुरू करने के बाद यह उत्तर भारत और उत्तर प्रदेश की ओर से पहला नगरपालिका बांड है। इस बांड इश्यू को लेकर ग्राहकों ने जो उत्साह दिखाया है वह निवेशकों के हितों को दर्शाता है तथा आर्थिक दशाओं में सुधार का भी प्रतीक है। इससे पहले अहमदाबाद नगर निगम ने बिना किसी सरकारी गारंटी के 100 करोड़ रुपये का पहला नगरपालिका बांड जनवरी 1998 में जारी किया था, जिसका उद्देश्य शहर में आधारभूत ढांचा सुविधा परियोजनाओं को वित्त पोषित करना था और उत्तर प्रदेश सरकार ने उसी दिशा में कदम बढ़ाते हुए यह बांड जारी किया है। इस बांड इश्यू के प्रति उत्तर प्रदेश सरकार और केंद्र सरकार का पूरा समर्थन है, जो शहरी सुशासन में बदलाव का प्रतीक है तथा यह और अधिक बाजारोन्मुखी एवं पारदर्शी स्थानीय प्रशासन को बढ़ावा देगा। उत्तर प्रदेश सरकार लखनऊ निगर निगम की ओर से पेश किये गये इस उदाहरण को राज्य में अन्य स्थानीय निकायों को प्रोत्साहित करने के लिए उत्सुक है। उम्मीद है कि गाजियाबाद के बाद वाराणसी, आगरा और कानपुर के नगर निगम भी आने वाले महीनों में नगरपालिका बांड जारी कर सकते हैं। इसके बाद राज्य में छोटे शहरी निकायों की ओर से मिलकर भी ऐसे बांड जारी किये जा सकते हैं।
लखनऊ नगर निगम के बांड इश्यू को इंडिया रेटिंग्स ने ‘एए’ और ब्रिकवर्क रेटिंग्स ने ‘एए (सीई)’ का दर्जा दिया है। इस इश्यू में निवेशित धनराशि को भारत सरकार की अमृत योजना के तहत क्रियान्वित की जा रही जल आपूर्ति परियोजना और एक आवास परियोजना में निवेश किये जाने का प्रस्ताव है। लखनऊ नगरपालिका बांड की अवधि 10 वर्ष है और इसे ए से जी के साथ 7 एसटीआरआरपी के एक स्ट्रिप बांड के रूप में संरचित किया गया है और 4 वर्ष से लेकर 10 वर्ष की अवधि में 7 बाराबर वार्षिक अदायगी में इसका पुन: भुगतान किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के एक शहरी स्थानीय निकाय की ओर से जारी किया गया पहला बांड इश्यू न केवल शहरी आधारभूत ढांचा सुविधाओं के लिए संसाधन जुटाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह शहरी सुशासन की दिशा में एक मॉडल के रूप में लखनऊ नगर निगम के बदलाव का भी प्रतीक है।