राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह, 6 माह तक स्तनपान है जरूरी

दंतेवाड़ा 19 नवम्बर। शिशु मृत्यु दर में कमी लाने और उनके स्वास्थ्य की देखभाल के प्रति जागरूकता के लिए जिला अस्पताल दंतेवाड़ा में 15 से 21 सितम्बर तक राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह मनाया जा रहा है। इस दौरान प्रसूताओं को यह सलाह दी जा रही है कि नवजात शिशुओं को छह माह तक केवल स्तनपान करवाया जाए । साथ ही नवजात के बीमारी की पहचान और उसके बेहतर देखभाल के बारे में भी लोगों को जागरूक किया जा रहा है।

शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ राजेश ध्रुव ने बताया, राष्ट्रीय नवजात शिशु सप्ताह के कार्यक्रम के अंतर्गत जन समुदाय को बताया जा रहा कि प्रसव चिकित्सालय में ही कराएं। प्रसव के बाद 48 घंटे तक माँ एवं शिशु की उचित देखभाल के लिए चिकित्सालय में रुकें। जन्म के एक घंटे के भीतर माँ का गाढ़ा पीला दूध पिलाना जरूरी है और छह माह तक सिर्फ और सिर्फ स्तनपान कराया जाए। जन्म के बाद नवजात का सम्पूर्ण टीकाकरण उसके सेहत के लिये बहुत जरूरी है इसे नियमित रूप से पालन करना चाहिये । नवजात की नाभि सूखी एवं साफ़ रखें, संक्रमण से बचाएं और माँ व शिशु की व्यक्तिगत स्वच्छता का ख्याल रखें। कम वजन और समय से पहले जन्में बच्चों पर विशेष ध्यान की जरूरत होती है । शिशु का तापमान स्थिर रखने के लिए कंगारू मदर केयर की विधि उपयुक्त होती है । शिशु को स्तनपान कराते रहें क्योंकि कुपोषण और संक्रमण से बचाव के लिए केवल माँ का दूध सर्वोत्तम होता है।

नवजात शिशु के देखभाल के लिये निम्न बातों का ध्यान रखना है जरूरी

नियमित स्तनपान- शिशु को समय पर स्तनपान करवाना बहुत जरूरी है। एक नवजात शिशु को हर 2 से 3 घंटे में स्तनपान करवाया जाना चाहिए, अर्थात 24 घंटों में उसे 8-12 बार स्तनपान कराने की आवश्यकता होती है। शिशु को जन्म के बाद पहले 6 महीनों तक केवल माँ का दूध ही पिलाना चाहिए। माँ के दूध में महत्वपूर्ण पोषक तत्व और एंटीबॉडी होते हैं जो बच्चे के स्वस्थ रहने और विकास के लिए आवश्यक होते हैं। शिशु को कम से कम 10 मिनट के लिए स्तनपान कराएं।

डायपर बदलना- प्रसव के बाद नवजात शिशु की देखभाल करते समय बार–बार डायपर बदलना एक महत्वपूर्ण पहलू है। शिशु को पर्याप्त मात्रा में दूध मिलने पर वह नियमित रूप से मल त्याग करेगा, जैसे ही उसका डायपर भरा हुआ महसूस हो, उसे बदलना जरूरी है

पर्याप्त निद्रा- नवजात शिशु को शुरुआत के महीनों में प्रतिदिन लगभग 16 घंटे नींद की आवश्यकता होती है। जैसे जैसे उम्र बढ़ती है तो नींद की अवधि कम होती जाती है.

शिशु को संभालना- शिशु के साथ खेलते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। शिशु को जोर से न हिलाएं व हवा में उछाले नहीं क्योंकि उसके आंतरिक अंग नाजुक होते हैं और तेज झटकों से उसे नुकसान हो सकता है। संक्रमण से बचाव के लिए बच्चे को पकड़ने से पहले यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि हाथ साफ सुथरे व धुले हुए हों।

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