2016 से बस्तर जिले में सर्वाधिक 34% जैपनीज इंसेफलाईटिस के लक्षण मिले, जिले के लगभग 3 लाख बच्चों का होगा टीकाकरण


जेई टीकाकरण अभियान 23 नवम्बर से 18 दिसम्बर तक।

जगदलपुर 6 नवम्बर। बस्तर जिले में स्वास्थ्य विभाग के द्वारा 23 नवम्बर से 18 दिसम्बर तक जैपनीज इंसेफलाइटिस टीकाकरण अभियान चलाया जायेगा। जिसमें 1 वर्ष से 15 वर्ष आयु वर्ग के सभी बच्चों का टीकाकरण चिन्हीत टीकाकरण केन्द्रो पर किया जायेगा। 6 नवम्बर को महारानी अस्पताल के शहीद गुण्डाधुर सभागार में आयोजित बैठक में टीकाकरण अभियान को सफल बनाने के लिये सबंधित अधिकारियों को समन्वय के साथ संचालित करने के निर्देश दिये गए। जिसमें महिला एवं बाल विकास, स्कूल शिक्षा, सहित मैदानी अमले की अहम भूमिका होगी ।
राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. अमर सिंह ठाकुर ने सभागार में अपने सम्बोधन में कहा की बस्तर जिले में अन्य जिलों के मुकाबले 2016 से 2020 तक सर्वाधिक 34 % जेई के लक्षण मिले है। जबकि दंतेवाड़ा में 30%, बीजापुर में 20%, सुकमा में 14%, कोंडागांव व धमतरी 1-1% लक्षण पाए गए हैं। उन्होंने बताया की क्यूलेक्स ट्रीटीनियोरिंक्स मच्छर के काटने से जापानी इंसेफलाइटिस होता है। इससे बचाव में टीके का बड़ा महत्व होता है। जेई का टीका लगवाने के बाद बच्चे पर इस बीमारी के हमले का खतरा समाप्त हो जाता है। टीकाकरण के जरिये जेई से होने वाली मौत और विकलांगता के खतरे से बचा सकते हैं।

    टीकाकरण अभियान के तहत् जिले के एक से 15 वर्ष आयु वर्ग के लगभग 3 लाख बच्चों का टीकाकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है । टीकाकरण के दौरान सोशल डिस्टेनसिंग ,मास्क , सेनेटाइजर, का प्रयोग अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिये गए। इसके साथ ही टीकाकरण अभियान की नियमित मानिटरिंग हेतु ब्लाक स्तर पर खंड चिकित्सा अधिकारियों को नोडल अधिकारी की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। बैठक के दौरान जेई टीकाकरण अभियान के बारे में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, मितानिनों, शिक्षक-शिक्षिकाओं, आदि मैदानी अमले के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किये जाने के निर्देश दिये गये। वहीं ग्रामीण ईलाकों में कोटवारों के जरिये मुनादी कराया जाकर टीकाकरण अभियान के बारे में जनसाधारण को अवगत कराये जाने अधिकारियों को निर्देशित किया गया।  
  बैठक में राज्य टीकाकरण अधिकारी डॉ. अमर सिंह ठाकुर ,सीएमएचओ आर.के. चतुर्वेदी, यूनिसेफ व डब्लूएचओ के राज्य स्तरीय अधिकारी , जिला टीकाकरण अधिकारी सी.आर. मैत्री सहित सम्बन्धित विभागों के ब्लॉक स्तर के अधिकारी उपस्थित थे।

जापानी इंसेफेलाइटिस – दिमागी बुखार विषाणुजनित मस्तिष्क का इनफेक्शन है। यह मच्छर के काटने से फैलता है। जापानी इंसेफेलाइटिस वायरस जेईवी सूअरों और पक्षियों में पाया जाता है और जब मच्छर इन संक्रमित जानवरों को काटते हैं तो यह विषाणु मच्छरों में भी पहुंच जाता है। जेई एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता।

बीमारी के लक्षण – तेज बुखार, भ्रम की स्थिति, हिलने-डुलने में दिक्कत, दौरे, शरीर के अंगों का अनियंत्रित ढंग से हिलना और मांसपेशियां कमजोर होना शामिल है। इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं और उपचार न करवाने पर जानलेवा भी हो सकते हैं।

बचाव के उपाय- बच्चों को अग्रिम टीके लगाना, बीमारी का लक्षण मिलते ही अविलंब अस्पताल ले जाकर जांच कराना, चिकित्सक के परामर्श के अनुसार इलाज कराना, मच्छरों से बचाव के साधन अपनाना, मच्छर पनपने नहीं देना आदि।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *