कोरोना संकट के दौर में हुआ राज्य में शिक्षा में हुए नवाचारनए प्रयोगों से शिक्षा की राह हुई आसान


रायपुर, कोविड-19 का यह समय जो चल रहा है यह शिक्षा व्यवस्था के लिए अत्यंत चुनौती भरा है। इस समय जब स्कूल, कालेज खोलना मुनासिब नहीं हो तब सरकारी तंत्र के लिए और भी मुश्किल हो जाता है कि किस तरह वह अपने राज्य के बच्चो और युवाओं को सुरक्षित वातावरण में शिक्षा प्रदान करे। ऐसे दौर में जरुरत पड़ती है कुछ नये प्रयोगों की, कुछ नवाचारों की, जिससे ऐसे संकटकालीन परिस्थितियों से उत्पन्न समस्या से निपटा जा सके। मौजूदा सरकार द्वारा ऐसे कुछ नवीन प्रयोग किए गए जिससे कि अनुकूल वातावरण में शिक्षा उपलब्ध कराया जा सका है।
राज्य सरकार ऐसे कई कार्यक्रम लेकर आई जिससे राज्य मे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान किया जा सका। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा शुरु किया गया एक ऐसा ही एक कार्यक्रम ‘पढ़ई तुंहर दुआर‘ जिसके अंतर्गत ऑनलाइन एवं ऑफलाइन कक्षाओं का आयोजन किया जा रहा है। यह बच्चों के अध्ययन-अध्यापन के लिए शुरू किया गया कार्यक्रम है। शिक्षकों और बच्चों को इस कार्यक्रम से जोड़े रखने के लिए शिक्षकों द्वारा भी कई अभिनव प्रयास किए जा रहे है। इसके अलावा ‘हमारे नायक‘ कार्यक्रम को शुरू किया गया है। इसमें शिक्षकों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य शिक्षकों और विद्यार्थियों के बारे में ब्लॉग लिखे जाते है। 
राज्य के विभिन्न जिलों में भी शिक्षा को लेकर कई सफल प्रयोग किये गये है। राज्य के कोरबा जिला में जिला खनिज न्यास मद से अग्रगमन विशेष कोचिंग सेंटर, शासकीय विद्यालयों के होनहार बच्चों हेतु जेईई और नीट की तैयारी के लिए संचालित किया जा रहा है। जिसमें इस वर्ष नीट की परीक्षा में 33 में से 28 विद्यार्थियों को योग्यता हासिल हुई है। राज्य सरकार के कुशल मार्गदर्शन में चल रही ये कोचिंग योजना ग्रामीण इलाकों के गरीब मेधावी बच्चों केे सपनो को पंख देने वाली योजना बनी है।
दंतेवाड़ा जिला प्रशासन की देख-रेख में क्षेत्र के आदिवासी बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं में तैयार करने के उद्देश्य से छू लो आसमान कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसमें कक्षा 9वीं से छात्रावास सुविधा के साथ मेडिकल एवं इंजिनियरिंग में प्रवेश की तैयारी करायी जाती है, साथ ही स्कूलों में प्रवेश भी दिलाया जाता है। एक समय में कक्षा में कुल 600 छात्र-छात्राएं अध्ययनरत रहते है। संस्था की मॉनिटरिंग जिला प्रशासन एवं एनएमडीसी द्वारा की जाती है।
बच्चों का मनोबल और शिक्षा की निरंतरता बनाए रखने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा “शिक्षा के गोठ” मासिक ई न्यूज लेटर का शुभारंभ किया गया। शिक्षा के गोठ के माघ्यम से शासन पूर्व में किए गए सारे नवीन प्रयासों को जनता के बीच लाने का प्रयास किया गया है। “शिक्षा के गोठ” में राज्य के विभिन्न जिलों में चल रहे कार्यक्रमों, नवाचारी गतिविधियों को शामिल किया गया है। जिसमें कोरिया के “मोटर सायकिल वाले गुरु जी की कहानी”, बस्तर में लाउडस्पीकर से हो रही पढ़ाई”, राजनांदगाँव से “स्मार्ट टी.व्ही. के द्वारा पढ़ाई और रायपुर के “पेटी वाली दीदी” जैसे प्रेरणास्पद पहलों को शामिल किया गया है। 
सरकार द्वारा शिक्षा के क्षेत्र मे कई महत्वपूर्ण पहल की गर्इ्र है जिसमें स्थानीय बोली-भाषाओं मंे पाठ्य सामग्री की सुविधा, पढ़ाई को रोचक बनाने के कई बेहतर उपाय किये गये हैं। पढ़ई तुंहर पारा से बसाहटों, मुहल्लों एवं गलियों-मैदानों में ओपन में कक्षा लगाने की पहल की गई। निष्ठा ऑनलाइन प्रशिक्षण के माध्यम से कक्षा पहली से 8वीं तक के शिक्षक और शाला प्रमुख को विषेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है।
विशेष कक्षाओं के माध्यम से यह भी बताया गया कि किस तरह से लॉकडाउन में पढ़ाई किया जाये। नीति आयोग ने भी पढ़ई तुंहर दुआर के तहत किये जा रहे नवाचारों  एवं शिक्षा क्षेत्र में किए जा रहे प्रभावी कार्यों की प्रशंसा की है। राज्य सरकार द्वारा इस शिक्षा सत्र के लिए ‘पढ़ना-लिखना अभियान’ को भी स्वीकृति दे दी गई है। इस अभियान के अंतर्गत प्रदेश के 15 वर्ष से अधिक आयु के ढ़ाई लाख निरक्षरों को बुनियादी शिक्षा दी जाएगी। कमजोर वर्गाेें के लिए प्रयास आवासीय बालक-बालिका विद्यालय भी सफलता पूर्वक संचालित किये जा रहे हैं।
राज्य के आंगनबाड़ी केन्द्रो में 3 से 6 वर्ष तक के बच्चों को शाला पूर्व शिक्षा की गतिविधियों को निर्बाध रूप से चलाने तथा बच्चों के समग्र विकास के लिए विभाग द्वारा सजग कार्यक्रम चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से बच्चों के शारीरिक, मानसिक तथा सृजनात्मक विकास का वातावरण तैयार किया जा रहा हैं। सजग कार्यक्रम का क्रियान्वयन महिला एवं बाल विकास विभाग, यूनिसेफ के सहयोग से कर रहा है।
राज्य सरकार द्वारा राज्य में शिक्षकों की कमी को देखते हुए स्थायी शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया को मंजूरी दी। राज्य के गरीब, कमजोर वर्गों के बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश स्कूल योजना प्रारंभ की गई है। राज्य के आर्थिक रुप से कमजोंर वर्ग के बच्चों के लिए यह योजना निश्चय ही दूरगामी परिणाम देंगे।

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