नई दिल्ली : भारत और यूएई के बीच निवेश बढ़ाने के लिए आठवीं उच्च स्तरीय बैठक (संयुक्त कार्यदल) भारत द्वारा आयोजित की गई। कोविड-19 महामारी को देखते हुए यह बैठक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आयोजित की गई।
इस बैठक की सह-अध्यक्षता रेल, वाणिज्य और उद्योग एवं उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के मंत्री पीयूष गोयल ने की। बैठक में अमीरात की आबूधाबी के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य और शाही सदस्य शेख अहम बिन जायद अल नाहयान ने यूएई का प्रतिनिधित्व किया। बैठक में दोनों देश के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
दोनों देशों के बीच आर्थिक संबंधों को मजबूत करने के लिए संयुक्त कार्यदल का गठन 2012 में किया गया। इस कार्यदल की सफलता का ही परिणाम था कि जनवरी 2017 में भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने समग्र रणीनितक साझेदारी का समझौता किया।
इस मौके पर दोनों देशों के प्रतिनिधि संयुक्त कार्यदल के प्रयासों से संतुष्ट नजर आए और उन्होंने अभी तक द्विपक्षीय व्यापार और निवेश की प्रगति की सराहना भी की है। इसके अलावा दोनों देश इस बात पर भी सहमत हुए है कि आने वाले समय में उन क्षेत्रों की पहचान करेंगे, जिससे आर्थिक विकास को नई गति मिले। साथ ही रिश्ते मजबूत करने के लिए वार्ता का दौर भी जारी रखेंगे। जिससे संयुक्त कार्य दल के परिणाम और बेहतर सामने आए।
संयुक्त कार्यदल की पिछली बैठक में कोविड-19 की चुनौती में दोनों देश इस बात पर सहमत हुए थे कि आपसी हितों को देखते हुए आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए निवेश और सहयोग बढ़ाने का प्रयास करेंगे। इन्ही लक्ष्यों को हासिल करने के लिए विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए भारत द्वारा एक प्रजेंटेशन भी आठवीं बैठक के लिए तैयार किया गया था।
इस मौके पर भारत और यूएई ने व्यापार और आर्थिक समझौतों को विस्तार देने के बीच आ रही अड़चनों पर भी चर्चा की है। इसके तहत एंटी डंपिंग शुल्क, टैरिफ और नियामक प्रतिबंध जैसी अड़चनों पर दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने भी बातचीत की है। इन अड़चनों को दूर करने के लिए दोनों देश इस बात पर सहमत हुए है कि दोनों देश आपसी सहमति बनाने के लिए लगातार प्रयास करेंगे। और इन मुद्दों को प्राथमिकता के साथ दूर करने की कोशिश करेंगे। जिससे दोनों को फायदा पहुंचे।
इस बीच यूएई ने उन सेक्टर की पहचान की है, जो दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बढ़ाने में कारगर साबित होंगे।
दोनों देशों ने 2018 में बनाई गई यूएई स्पेशल डेस्क और फॉस्ट ट्रैक मैकेनिज्म की भी समीक्षा की है। इन दोनों कदमों का उद्देश्य भारत में यूएई निवेश बढ़ाने और निवेशकों को समस्याओं को दूर करना है। इस दिशा में दोनों देशों ने द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने की भी बात की है।
सिविल एविशन क्षेत्र (नागरिक उड्डयन क्षेत्र) को अहम क्षेत्र मानते हुए दोनों देशों ने आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने पर सहमति जताई है। दोनों देशों के नागरिक उड्डयन नियामक इस दिशा में प्राथमिकता के साथ काम करेंगे। इसके जरिए एयरपोर्ट ट्रांसपोर्टेशन दोनों देशों के बीच आसान करना एक अहम उद्देश्य होगा।
इस मौके पर भारत में निवेश के लिए यूएई द्वारा बनाए गए फंड की भी चर्चा की गई। जिसकी सेबी द्वारा बनाए गए फॉरेन पोर्टफोलिओ इन्वेस्टर रेग्युलेशन-2019 के आधार पर समीक्षा भी की गई। इसके तहत भारत सरकार इस बात पर सहमत हुई है कि यूएई आधारित फंड के जरिए आने वाला निवेश सीधे तौर पर हो सके, इसके लिए भारत जरूरी कदम उठाने की दिशा में काम करेगा। जिससे कि दोनों पक्षों के हित पूरे हो सकें।
इन मुद्दों के अलावा दोनों देशों ने स्वास्थ्य सेवाओं, फॉर्मास्युटिकल, मोबिलिटी और लॉजिस्टिक, खाद्य और कृषि, ऊर्जा, उपयोगी सेवाएं सहित दूसरे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने पर चर्चा की गई है।
कार्यदल की आठवीं बैठक के बारे में रेल मंत्री, वाणिज्य और उद्योग मंत्री श्री पीयूष गोयल ने कहा “भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच साझेदारी बढ़ाने में संयुक्त कार्यदल एक अहम भूमिका निभा रहा है। भारत तेजी से विकास कर रहा है और उसकी अर्थव्यवस्था में बहुत से ऐसे क्षेत्र हैं, जहां पर विकास की असीम संभावनाएं हैं। यूएई लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार निवेश करता रहा है। और भारत के विकास का अहम साझेदार रहा है। भारत हमेशा से यूएई के निवेश को उच्च प्राथमिकता देता है और वहां के निवेशकों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के अहम कदम उठाता है।”
बैठक के समापन पर अमीरात की आबूधाबी के एक्जीक्यूटिव काउंसिल के सदस्य और शाही सदस्य शेख अहम बिन जायद अल नाहयान ने कहा “भारत और संयुक्त अरब अमीरात के बीच आर्थिक रिश्तों को अहम स्थान दिलाने में पिछला दशक काफी महत्वपूर्ण रहा है। मेरा मानना है कि पिछले 8 वर्षों में कार्यदल के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज दोनों देशों के रिश्ते इतने मजबूत हैं। हालांकि पिछले कुछ महीने हमारे लिए चुनौतीपूर्ण रहे है। आज हमने एक महत्वाकांक्षी एजेंडा बनाया है, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग को अगले स्तर पर ले जाना है। मुझे पूरा भरोसा है कि दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार और निवेश आने वाले वर्षों में एक बार फिर से नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगा।”