शिक्षा की गुणवत्ता सबसे अहम -प्रमुख सचिव डॉ. आलोक शुक्ला

दुर्ग जिले के नगरीय निकायों के स्कूलों में भ्रमण पर आए प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा डॉ. आलोक शुक्ला ने अगले सत्र की तैयारियों की समीक्षा की। इनमें स्कूलों में लैब से संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर, समृद्ध लाइब्रेरी और चुनिंदा स्कूलों में इंग्लिश मीडियम से कक्षाएं आरंभ करने की तैयारियों की समीक्षा शामिल थी। डॉ. शुक्ला ने कहा कि बच्चों को पढ़ाई रुचिकर लगे, इससे उन्हें जोड़ने पढ़ने की आदत करानी बेहद आवश्यक है। यह पढ़ाई कोर्स की पुस्तकों के साथ ही लिट्रेचर की भी हो सकती है। इस दौरान कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने अगले सत्र की तैयारियों की जानकारी प्रमुख सचिव को दी। प्रमुख सचिव ने जनप्रतिनिधियों से भी इस संबंध में चर्चा की। इस दौरान भिलाई विधायक एवं महापौर श्री देवेंद्र यादव, भिलाई चरौदा महापौर श्रीमती चंद्रकांता मांडले, कुम्हारी नपाध्यक्ष श्री राजेश्वर सोनकर सहित अन्य जनप्रतिनिधि उपस्थित थे। इस दौरान भिलाई नगर निगम कमिश्नर श्री ऋतुराज रघुवंशी, अपर कलेक्टर श्री गजेंद्र ठाकुर सहित अन्य अधिकारी भी उपस्थित थे।
अपने बेटे के उदाहरण से समझाई बात- डॉ. शुक्ला ने बताया कि राज्य गठन के समय उनका बेटा कक्षा छठवीं में था और पढ़ाई की पुस्तकों में उसका मन कम ही लगता था। एक दिन उसे हैरी पॉटर की पुस्तक लाकर दी, उसे पढ़ने का ऐसा शौक लगा कि फिर उसने खूब पढ़ाई की। इसी तरह समृद्ध लाइब्रेरी बच्चों की पढ़ाई की दिशा को काफी हद तक तैयार करती है। लाइब्रेरी में कांपिटिशन की किताबों के साथ ही प्रेमचंद भी हों ताकि उनमें संवेदनशीलता भी हो और आगे बढ़ने के लिए साहित्य से आने वाली समृद्धि भी उन तक पहुंच सके। इंग्लिश मीडियम कक्षाएं आरंभ करने के साथ ही बच्चों को अंग्रेजी सिखाने के लिए साहित्यिक किताबें बेहद अहम हो सकती हैं। यदि लाइब्रेरी में शेक्सपीयर हों, आर.के. नारायण हों, बच्चों की रुचि के अनुकूल अन्य लेखकों की रचनाएं हों तो बच्चों को पढ़ने का शौक होगा और यह उनका भविष्य गढ़ेगा। उन्होंने कुम्हारी के और जंजगिरी के स्कूलों में लाइब्रेरियन की नियुक्ति के साथ ही कैटलागिंग करने के निर्देश भी दिए। कलेक्टर श्री अंकित आनंद ने कहा कि इससे लाइब्रेरी की उपादेयता भी बढ़ेगी और पता चल सकेगा कि किस तरह की किताबें बच्चों द्वारा पसंद की जा रही हैं।
अब थ्योरी होगी, फिर प्रैक्टिकल- प्रमुख सचिव ने कहा कि अक्सर यह देखा गया है कि प्रैक्टिकल की कक्षाएं नवंबर के बाद शुरू होती हैं। थ्योरी के तुरंत बाद उससे संबंधित प्रैक्टिकल किये जाने से विद्यार्थियों की वैज्ञानिक समझ बेहतर तरीके से विकसित होती है। उन्होंने कहा कि जैसा ही थ्योरी से संबंधित विशय समाप्त हो, इसके तुरंत बाद प्रैक्टिकल हो जाए। प्रैक्टिकल लैब बेहद अहम है जहां छात्रों की संख्या के अनुपात में लैब पर्याप्त नहीं हैं वहां इसका विस्तार किया जा सकता है।
इंग्लिश भी पढ़ाएंगे, छत्तीसगढ़ी और हिंदी भी- प्रमुख सचिव ने कहा कि हमारे लिए शिक्षा की गुणवत्ता बेहद अहम है। कोई हिंदी मीडियम में भी पढ़ सकता है और कोई इंग्लिश मीडियम में भी। जरूरी है शिक्षा की गुणवत्ता, इसके लिए हम कार्य कर रहे हैं। अप्रैल में शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक विशेष सत्र का आयोजन किया जाएगा।
छत्तीसगढ़ी का साहित्य भी बेहद समृद्ध, इसे भी कराएंगे उपलब्ध- प्रमुख सचिव ने कहा कि छत्तीसगढ़ का साहित्य बेहद समृद्ध साहित्य है। रतनपुर में रेवाराम जी ने खूब तमाशा लिखा, तब से बहुत सा समृद्ध साहित्य छत्तीसगढ़ में लिखा गया है। बच्चों को इससे भी परिचित कराया जाएगा।
अटल टिंकरिंग लैब का निरीक्षण:- प्रमुख सचिव ने अटल टिंकरिंग लैब का निरीक्षण भी किया। यहां बच्चों ने सेन्सर से चलने वाले मॉडल दिखाएं। उन्होंने बच्चों की पहल को खूब सराहा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *