रायपुर। संसदीय सचिव विकास उपाध्याय ने बिहार के विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा मुफ्त में कोरोना वैक्सिन बांटे जाने को चुनाव आचार सहिंता का खुला उलंघन मानते हुए केंद्रीय चुनाव आयोग से अपने वकील के माध्यम से आज ही शिकायत कर कहा है, चुनाव आयोग की तरफ़ से चुनाव के दौरान जारी घोषणा पत्र के लिए जो नियम बनाए गए हैं, जिसे चुनाव आचार संहिता का ही हिस्सा माना गया है, मुफ्त में किसी चीज को बाँटना इसका खुला उलंघन है और भाजपा ऐसा कर चुनाव आचार सहिंता का उल्लंघन करी है। चुनाव आयोग को बिहार विधानसभा चुनाव से भाजपा को चुनाव में हिस्सा लेने प्रतिबंध लगाना चाहिए।
विकास उपाध्याय ने अपने शिकायत में इस बात का उल्लेख किया है कि चुनाव आयोग आचार संहिता के सूची की धारा 8 में लिखा है, “कानून स्पष्ट है कि चुनाव घोषणा पत्र में वादों को रिप्रज़ेंटेशन एक्ट की धारा 123 के अंतर्गत ‘भ्रष्ट व्यवहार’ के तौर पर नहीं माना जा सकता, लेकिन इस बात को वास्तव में ख़ारिज भी नहीं किया जा सकता कि मुफ़्त में चीज़े बाँटने की परंपरा से लोग चुनाव में प्रभावित होते हैं।ऐसी स्थिति में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव पर प्रश्नचिन्ह है। ऐसे में फ़्री कोरोना वैक्सीन को चुनावी वादे में घोषणा करना इसका उलंघन है।इसे लेकर चुनाव आयोग को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
विकास उपाध्याय ने कहा,लोगों को कोरोना का डर दिखा कर वोट माँगने की कोशिश हो रही है। उन्होंने आगे कहा,अभी वैक्सीन का पता नहीं, कब आएगी, कितने डोज़ लगेंगे, तो पहले से इन बातों को चुनावी वादे में कैसे शामिल किया जा सकता है? यह चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन तो है ही बल्कि जनता के साथ धोखा भी है। विकास उपाध्याय कहते हैं,अगर चुनाव के मौसम में कोई पार्टी कहे कि तुम मुझे वोट दो, मैं तुम्हें तुम्हारा अधिकार (वैक्सीन) मुफ़्त में दूँगा, तो इसका मतलब ये हुआ कि आपके अधिकार आपके पास नहीं है और उसकी क़ीमत आपका वोट है।
विकास उपाध्याय ने कहा भारत में जितने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम चलाए जा रहें है, वो नि:शुल्क हैं और सरकार के माध्यम से ये मुहैय्या हो रही है।उन्होंने महामारी के संदर्भ में कहा, इसमें और तेज़ी लाने की जरूरत है।इस तरह के टीकाकरण के मामलों में केंद्र सरकार निर्णय लेती है। निर्णय लेने में उनकी मदद स्वास्थ्य मंत्रालय की टीकाकरण पर बनी तकनीकी समिति करती है।विकास ने कहा पर कोरोना टीकाकरण अभियान राष्ट्रीय स्तर पर चलाया जाएगा ये मोदी सरकार को मंजूर नहीं है। तभी बिहार में अपने चुनावी घोषणा पत्र में की है। जबकि केंद्र सरकार इस टीकाकरण अभियान को राष्ट्रीय स्तर पर करने की घोषणा करती तो उसका स्वागत होता।