मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री, खाद्यमंत्री व प्रशासन के सामूहिक प्रयासों से मिली सफलता
रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के अनुरोध पर धान से एथेनॉल बनाने की परियोजना को केंद्र सरकार ने मंज़ूरी दे दी है। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने सोमवार को भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक में इसकी घोषणा की। केंद्र सरकार ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लाभकारी बताया है। धान से एथेनॉल फ्यूल बनाने के इस प्रोजेक्ट में 10 हजार करोड़ का निवेश होगा, इसका सबसे बड़ा फायदा छत्तीसगढ़ के धान किसानों को होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की इस घोषणा का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि धान से एथेनॉल बनाने की उनकी पहल को आखिरकार केंद्र सरकार ने सही मान लिया है और इस दिशा में संयंत्र लगाने के लिए राशि निवेश करने की बात कही है। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ-साथ खाद्य नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता कल्याण मंत्री अमरजीत भगत भी प्रोजेक्ट के लिए केंद्र सरकार से मंज़ूरी लेने हेतु प्रयासरत थे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि अब छत्तीसगढ़ सरकार की कोशिश है कि सिर्फ एफसीआई से नहीं बल्कि राज्य सरकार के पास जो सरप्लस चावल है, उससे भी एथेनॉल बनाने के लिए उपयोग करने हेतु केंद्र सरकार स्वीकृति दे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने इस संबंध में गत वर्ष 21 अक्टूबर को केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को पत्र लिखा था। छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उपार्जित अतिरिक्त धान से एथेनॉल ईंधन के उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिये भारत सरकार की जैव ईंधन नीति 2018 के प्रावधानों के तहत संयंत्र की स्थापना निजी निवेश हेतु उद्यमियों को आमंत्रित किया था। इस संबंध में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय मंत्री को अवगत कराया था।
अब से पहले धान से बनने वाले एथेनॉल का रेट तय नहीं था, यह अब 54 रुपये प्रति लीटर तय किया गया है। फरवरी माह में जब पहली बार इस विषय में केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया था तब छत्तीसगढ़ सरकार के समर्थन में बहुत कम लोग दिखाई दिए थे। अब हालात बदल गए हैं, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने विरोधियों पर सीधे निशाना साधा है, उन्होंने कहा कि अब जब काम बन गया तो सभी श्रेय लेने की फिराक में कई खड़े दिखाई दे रहे हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने अपने कैबिनेट में कृषि मंत्री रविंद्र चौबै व खाद्य मंत्री अमरजीत भगत का नाम लेते हुए कहा कि हमने जब केंद्र सरकार पर दबाव बनाया और छत्तीसगढ़ के अधिकारियों ने धान से एथेनॉल बनाने और इसकी उपयोगिता के बारे में बताया तब कहीं जाकर केंद्रीय मंत्रालय ने स्वीकृति दी। उन्होंने इस हेतु सबको धन्यवाद कहा और अपने कैबिनेट के कृषि मंत्री रबिन्द्र चौबे और खाद्य मंत्री अमरजीत भगत की भी जमकर सराहना की।
अधिशेष धान का उपयोग एथेनॉल बनाने तथा एथेनॉल की उपयोगिता से अवगत कराते हुए छत्तीसगढ़ के खाद्य नागरिक आपूर्ति व उपभोक्ता संरक्षण मंत्री अमरजीत भगत ने केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री को पत्र लिखा था। यह पत्र उन्होंने इसी वर्ष 27 जुलाई को लिखा था।
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने छत्तीसगढ़ के मंत्री अमरजीत भगत के पत्र का जवाब देते हुए कहा कि उनके प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया गया है। 10 सितंबर को लिखे अपने पत्र में धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, “राष्ट्रीय जैव ईंधन समन्वय समिति ने 20 अप्रेल 2020 को आयोजित बैठक में एफसीआई में उपलब्ध अधिशेष चावल से एथेनॉल के निर्माण के प्रस्ताव का अनुमोदन करती है।“
उन्होंने यह भी लिखा कि इस संबंध में पहले ही खाद्य व नागरिक आपूर्ति विभाग, जो कि एफसीआई का प्रशासनिक प्राधिकरण है, को सूचित किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल धान से एथेनॉल उत्पादन के संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्रालय और नीति आयोग को पत्र लिखकर बायो एथेनॉल उत्पादन की अनुमति के लिए लगातार प्रयासरत थे। खाद्य विभाग के सचिव कमलप्रीत सिंह ने भी इस संदर्भ में केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखा था।
छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री अमरजीत भगत ने इस प्रयास के लिये मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के प्रति आभार व्यक्त किया। जिनकी कोशिशों से छत्तीसगढ़ में उत्पादित अधिशेष धान की खपत के साथ-साथ ईँधन के अतिरिक्त स्रोत के निर्माण का रास्ता खुला। उन्होंने यह भी कहा कि एथेनॉल से हैंड सैनिटाइज़र का भी उत्पादन किया जा सकता है।
छत्तीसगढ़ में बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन होता है। धान से चावल के अतिरिक्त अन्य लाभकारी बाइ प्रोडक्ट तैयार करने के उद्देश्य से ही मुख्यमंत्री का फोकस बायो एथेनॉल पर था। उन्होंने राज्य की नई औद्योगिक नीति में इसे शामिल करते हुए उद्यमियों को संयत्र लगाने के लिए कई रियायतों का प्रावधान भी किया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में धान से एथेनॉल बनाने के लिए चार निजी कंपनियों से एमओयू भी किया है।