रायपुर/14 अक्टूबर 2020। नगरनार स्टील प्लांट को एनएमडीसी से अलग करने और बेचने की तैयारी करने के फ़ैसले को कांग्रेस ने बस्तर और छत्तीसगढ़ की जनता के साथ छल करार दिया है। इस फ़ैसले पर कड़ी आपत्ति व्यक्त करते हुए प्रदेश कांग्रेस के संचार प्रमुख शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि यह छत्तीसगढ़ में सार्वजनिक क्षेत्र की संपत्तियों पर बालकों के बाद एक और खुली डकैती की घटना है और इसका जवाब जनता देगी।
उन्होंने कहा है कि नगरनार स्टील प्लांट के लिए जमीन देने वाले भूमि विस्थापितों के अलावा बस्तर की जनता के तमाम सपने केंद्र सरकार के इस फैसले से चकनाचूर हो गए। नगरनार प्लांट के निजीकरण से छत्तीसगढ़ के और खासकर बस्तर के अनुसूचित जाति, जनजाति और पिछड़े वर्ग और गरीब लोगों की नौकरी पाने की उम्मीदों को धक्का लगा है। अभी छत्तीसगढ़ के लोग बालकों को बेचने को भूले नहीं है जब बालकों को एनडीए की सरकार ने 500 करोड़ रुपए में निजी हाथों में सौंप दिया गया था। जबकि बालकों के अंदर उपलब्ध स्क्रैप का मूल्य ही इससे कहीं ज्यादा था। नगरनार के निजीकरण से बस्तर और छत्तीसगढ़ के विकास का केंद्र सरकार का वादा ख़त्म हो जाएगा। नगरनार स्टील प्लांट अब निजी हाथों में जाकर किसी उद्योगपति के लिए लाभ कमाने की संस्था बनेगा।
अब छत्तीसगढ़ से संसद में चुनकर गए सांसदों और पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह को बताना चाहिए कि वे केंद्र में बैठी भाजपा सरकार के इस फ़ैसले पर क्या सोचते हैं? क्या वे बस्तर की जनता के साथ खड़े होकर नगरनार स्टील प्लांट के निजीकरण का विरोध करेंगे? या फिर नरेंद्र मोदी जी के डर से चुप्पी साधे बैठे रह जाएंगे? छत्तीसगढ़ की जनता प्रदेश के भाजपा नेताओं की चुप्पी को देख रही है और इसका मतलब भी समझ रही है।