भारत और जापान ने बुजुर्गों के लिए स्वास्थ्य देखभाल के तरीकों पर विचार-विमर्श किया

नई दिल्ली : भारत और जापान के विशेषज्ञों ने दोनों देश के बुजुर्गों की स्वास्थ्य सेवा को मजबूत करने और वृद्धावस्था की पुनर्कल्पना और अंतरराष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाने के लिए आयोजित वेबिनार में इसके लिए आवश्यक अनुसंधान, प्रदर्शन और कार्यान्वयन की पुनर्कल्पना करते हुए दोनों देशों ने सहयोग करने के उन तरीकों पर चर्चा की|

पूर्व प्रोफेसर व प्रमुख, वृद्ध-चिकित्सा विभाग, सेंटर फॉरएजिंग, एम्स, नई दिल्ली के पूर्व डीन (रिसर्च) नोडल अधिकारी, प्रो. ए बी डे ने सुझाव दिया कि बुजुर्गों की स्वास्थ्य सेवा के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम, आयुष्मान भारत और डब्ल्यूएचओ के दीर्घकालिक देखभाल प्रोटोकॉल (आईसीओपीई) के कार्यान्वयन जैसी पहलों के विस्तार से बुजुर्ग लोगों के लिए स्वास्थ्य देखभाल को मजबूत करने में मदद मिल सकती है।

भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा संयुक्त रूप से भारत सरकार के भारतीय दूतावास, टोक्यो और अर्थव्यवस्था, व्यापार और उद्योग मंत्रालय (एमईटीई), जापान सरकार के साथ संयुक्त रूप से 1 अक्टूबर 2020 को ‘अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस मनाने के लिए भारत-जापान उत्सव’ पर वेबिनार का आयोजन किया गया था। इसका उद्घाटन जापान में भारत के राजदूत एस के वर्मा ने किया था।

जापान सरकार के कैबिनेट सचिवालय के लिए स्वास्थ्य और चिकित्सा रणनीति पर सलाहकार चिकित्सा उत्कृष्टता जापान (एमईजे) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी, डॉ तात्सुयाकोंडो ने कहा, लोगों के स्वास्थ्य को सुनिश्चित करना भी राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करता है। उन्होंने शिक्षा और बुजुर्गों के पुन: प्रशिक्षण के माध्यम से वृद्धावस्था की पुनर्कल्पना के दायरे पर प्रकाश डाला और एक साथ काम करके सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल प्राप्त करने की दिशा में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग, डीएसटी के प्रमुख श्री संजीव के वार्ष्णेय ने कहा कि पूरे काम को दो पहलुओं में विभाजित करना, नामत अनुसंधान पहलू और प्रदर्शन और अनुप्रयोग पहलू, भारत और जापान के लिए चिकित्सा उत्कृष्टता भारत (एमई-इंडिया) को साकार करने के लिए अपने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए भविष्य का रास्ता अग्रसर कर रहे हैं|

भारत सरकार के टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास की काउंसलर (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) डॉ उषा दीक्षित ने कहा कि एक सहयोगी मॉडल जनसंख्या वृद्धावस्था पर अनुसंधान में नई दिशाओं का पता लगाने के साथ-साथ हर स्तर पर बुजुर्गों को व्यापक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी हस्तक्षेपों को डिजाइन और विकसित करने की आवश्यकता का अवसर प्रदान करेगा।

समानता सशक्तिकरण और विकास के लिए विज्ञान (सीड) विभाग प्रमुख डॉ देबप्रियादत्ता ने बुजुर्ग लोगों के स्वास्थ्य और सामाजिक-आर्थिक सुरक्षा के लिए भारत सरकार की विभिन्न पहलों पर प्रकाश डाला और सक्रिय रूप से वृद्ध होने को बढ़ावा देने के लिए वृद्ध चिकित्सा अनुसंधान और विकास, स्वास्थ्य सेवा और सहायक प्रौद्योगिकियों पर भारत-जापान सहयोग के लिए एक ढांचा प्रदान किया।

वेबिनार में भारत सरकार के टोक्यो स्थित भारतीय दूतावास के राजदूत, श्री संजय कुमार वर्मा, स्वास्थ्य उद्योग प्रभाग, अर्थव्यवस्था, व्यापार मंत्रालय (एमईटीआई), जापान सरकार के निदेशक श्री ताकुमाइनामुरा, स्वास्थ्य और वृद्धावस्था में वरिष्ठ सलाहकार, नवजात, शिशु और किशोर स्वास्थ्य, विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ), दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए क्षेत्रीय कार्यालय, डॉ. नीनारैना, समन्वयक, पश्चिमी प्रशांत क्षेत्रीय कार्यालय (डब्ल्यूपीआरओ), विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) में स्वस्थ वृद्धावस्था, डॉ. हिरोमासाओकयासु और पद्मश्री पुरस्कार विजेता और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानद पूर्व प्रतिष्ठित प्रोफेसर, प्रो वाई एस राजन। जापान और भारत दोनों देशों के कई वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, नीति निर्माताओं, छात्रों और उद्योग भागीदारों ने जापान और भारत में समूहों के बीच सहयोग की संभावनाओं का पता लगाने के लिए चर्चा में भाग लिया।

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