देश व्यापी किसानों के विरोध के बावजूद तीनों कृषि कानून बनाकर आखिर किसे फायदा पहुंचाना चाहती है केंद्र सरकार : कांग्रेस

बहुमत के अहंकार में चूर भाजपा को अपने सहयोगी गठबंधन की ना ही देश के किसान और विपक्षी दलों की परवाह है : कांग्रेस

विपक्षी दलों एवं सरकार के सहयोगी गठबंधन सहित जिस बिल का देशभर के किसान विरोध कर रहे हों, उस बिल को जल्दबाजी में क्यों पास कराया गया? : कांग्रेस

रायपुर/28 सितंबर 2020। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि केंद्र की राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने जिस तरह कृषि बिल को पास कराया है और सहयोगी गठबंधन सहित विपक्ष की एक नहीं सुनी है, उससे स्पष्ट है कि मौजूदा सरकार को कानून बनाने की कितनी जल्दी है। यह जल्दबाजी दर्शाती है, कि लोकतांत्रिक मूल्यों की किस तरह धज्जियां उड़ाई जा रही है। और देश के किसानों, राजनीतिक दलों सहित अपने खुद के सहयोगी गठबंधन के दल को अपमानित करने में एनडीए को कोई गुरेज नहीं है। क्या यह किसान विरोधी कानून पूंजीपतियों, उद्योगपतियों, जमाखोरों के लिए वरदान साबित होगा या वास्तविक रूप में यह कानून किसानों को लाभ पहुंचाने और उनके उत्पाद को उचित मूल्य दिलाने में सहायक बनेगा यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा? जब देश के किसान, पूरा विपक्षी दल, सहयोगी गठबंधन आपत्ति एवं विरोध कर रहे हैं, तब इन्हें किस को खुश करने के लिए यह बिल पास कराना जरूरी है? सच्चाई यही है, कि भाजपा की पूर्ण बहुमत आने के बाद से तथा सत्ता का लंबा कार्यकाल बचा होने से उनका हौसला बढ़ा हुआ है और वह अपने एजेंडे पर कार्य कर रही है। वर्तमान केंद्र की एनडीए सरकार अपने सहयोगी गठबंधन के साथ-साथ देश की जनता की आवाज सुनने से साफ इंकार कर रही है। अहंकार का आलम यह है, कि एनडीए के 23 साल पुराने सहयोगी गठबंधन शिरोमणि अकाली दल के साथ-साथ पूर्व में अलग हुए शिवसेना और टीडीपी के साथ छोडऩे का भी उन्हें कोई अफसोस एवं परवाह नहीं है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि देश के किसानों एवं नौजवानों को छला जा रहा है। अब देश के किसान और नौजवान उठ खड़े हुए हैं और उनके साथ हो रहे अन्याय के विरुद्ध सड़कों पर हैं। वही देश के नौजवानों के समक्ष रोजगार की समस्या है और उनका गुस्सा भी उफान पर है। ऐसे में जन विरोधी एनडीए सरकार की उल्टी गिनती शुरू होना स्वाभाविक है और उनका जाना भी तय है।

प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता मोहम्मद असलम ने कहा है कि लोकसभा और राज्यसभा में अलौकतांत्रिक तरीके से पास कराये गये तीनों कृषि बिल पूर्णतया किसान विरोधी है। इस कानून में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किसानों के उत्पाद की मार्केटिंग सुनिश्चित करने के अधिकार की रक्षा करने के लिए वैधानिक गारंटी देने का कोई उल्लेख नहीं है और सरकार ने गारंटी देने से मना कर दिया है। जिससे सरकार की नियत पर सवाल खड़ा हो गया है। इससे जमाखोरों, पूंजीपतियों को लाभ मिलेगा। साफ है यह बिल किसान विरोधी होने के साथ-साथ उन्हें किसान से मजदूर बनाने के लिए मजबूर करने वाला बिल है।

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