कुपोषण दूर करने को ऑनलाइन दी जा रही पोषण शिक्षा

 
दुर्ग, खाद्य एवं पोषण बोर्ड, रायपुर द्वारा दुर्ग जिले में धमधा महिला एवं बाल विकास विभाग के परियोजना क्षेत्र के सभी 7 सेक्टर – धमधा, डगनिया, कोड़ियां, पेंड्रा वन, घोठा, बोरी और लिटिया में आज पोषण शिक्षा कार्यक्रमों का आयोजन ऑनलाइन किया गया। प्रतिभागियों को ऑनलाइन ही पौष्टिक व्यंजन बनाकर दिखाये गये। ऑनलाइन परिचर्चा में महिला पर्यवेक्षक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व हितग्राहियों ने भी पोषण आधारित भोजन के महत्व पर चर्चा की । ऑनलाइन डेमो में पोष्टिक भेल बनाना बताया गया। भेल बनाने के लिए मुर्रा, फूटा चना, अनार के दाने, खीरा, र्मिची, नीबू, धनिया, चाट मसाला, नमक, टमाटर व जाम सभी को काट कर मिक्स कर पोष्टिक भेल बनाने की विधि का प्रशिक्षण दिया गया। इसके अलावा बेबीनार में फ्रूट चार्ट का डेमो बताया गया।
राष्ट्रीय पोषण माह जनसाधारण तक पोषण की जानकारी पहुचाने तथा कुपोषण को दूर करने के लिए मनाया जाता है । पोषण बोर्ड के राज्य प्रभारी मनीष यादव ने बताया इस वर्ष का पोषण माह तीन मुख्य बातो पर केन्द्रित है जिसमे पोषण वाटिका को बढावा देना, स्तनपान तथा अतिकुपोषित यानी सीवियर एक्यूट मालन्यूट्रिटेड (सैम) बच्चों  की पहचान व प्रबंधन शामिल है। ऐसे गंभीर रुप से कुपोषित बच्चों की पहचान कर बाल मृत्युदर में कमी लायी जा सकती है। सैम प्रबंधन के तहत पांच वर्ष से कम उम्र के गंभीर कुपोषित की पहचान माक-टेप्स (मिड अपर आर्म सरकमफेरेंस टेप्स) मध्य ऊपरी भुजा की नाप से होती है। यदि भुजा की माप 11.5 सेंटीमीटर है तो समझिये बच्चा गंभीर कुपोषित श्रेणी का है। यदि 11.5 सेंटीमीटर से 12.4 सेंटीमीटर है तो कुपोषित की श्रेणी में माना जाएगा और 12.5 सेंटीमीटर है तो वह सामान्य श्रेणी में माना जाएगा। दोनों पैरों में गडढे़ वाली सूजन के बच्चे भी गंभीर कुपोषित की श्रेणी में माने जाते हैं।
समुदाय स्तर पर यह जागरुकता होनी चाहिए कि भोजन की थाली में खाने के लिए जो भी भोजन शामिल करे उसके हर निवाले में पोषण हो तथा स्वास्थ्य की दृष्टी से सही हो। अच्छे पोषण की सहायता से हम बच्चो के मानसिक और शारीरिक विकास में सुधार ला सकते हैं जिस तरह का पोषण हम अपने बच्चो को देंगे उसी के अनुरूप उसका विकास होगा और वह मानसिक व शारीरिक विकास के साथ ही आर्थिक और सामाजिक विकास भी कर सकेगा। छह माह तक बच्चे के पोषण की जरूरत माँ के दूध से ही पूरी हो जाती है।  उसके बाद उसे माँ के दूध के साथ-साथ ऊपरी आहार की जरूरत होती है बिना इसके बच्चे का पूर्ण रूप से विकास संभव नहीं है।
घर की रसोई में ही उपलब्ध अनाज, दाल, फल और सब्जियों के द्वारा ही बच्चे का पोषण पूरा कर सकते है। यदि हम अपने भोजन का पूर्ण पोषण प्राप्त करना चाहते है तो स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना ही पड़ेगा । उन्होंने बताया हम अपना भोजन कितना भी पौष्टिक बना लेकिन यदि उसे गंदे बर्तन में रखकर खाएंगे, या गंदे हाथो से खाएंगे तो उसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं मिलने वाला है। इसलिए हमें तीन स्तरीय स्वच्छता का ध्यान रखना होगा जोकि व्यक्तिगत, घरेलू और सामाजिक स्वच्छता है ।
 
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