रायपुर, 07 अगस्त 2020/ ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत स्व-सहायता समूह की महिलाए विभिन्न उत्पाद बनाकर और उसे बाजार में विक्रय कर आत्मनिर्भता की राह पकड़ रही है। राज्य सरकार कार्ययोजना बनाकर इन स्व-सहायता समूहों को प्रशिक्षण और संसाधन उपलब्ध करा रही है। कांकेर जिले के ग्राम पंचायत बांसकुण्ड के आश्रित ग्राम बनौली की राधा स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने लाख पालन का व्यवसाय अपनाकर आर्थिक लाभ कमा रही है।
राधा महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से कृषि विज्ञान केन्द्र कांकेर के द्वारा वर्ष 2018 के मई माह में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत दो एकड़ भूमि में सेमियालता के 4 हजार पौधों का रोपण कर लाख उत्पादन का कार्य प्रारम्भ किया। रोपे गये सेमियालता पौधों में एक वर्ष पश्चात् माह जुलाई 2019 में बिहन लाख लगाया। जिससे 6 माह पश्चात 2 क्विंटल लाख का उत्पादन हुआ। इसमें से एक क्विंटल लाख का विक्रय कर 35 हजार रूपये की आमदनी हुई। बाकि एक क्विंटल लाख को जनवरी-फरवरी माह में कुसुम के वृक्ष में बिहन लाख के रूप में उपयोग किया गया। इससेे जुलाई माह में पुनः 8 क्विंटल लाख का उत्पादन प्राप्त हुआ। इसमें से 6 क्विंटल 45 किलोग्राम लाख को 270 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से विक्रय कर एक लाख 74 हजार 150 रूपये की आमदनी प्राप्त की गई। शेष एक क्विंटल 55 किलोग्राम लाख को जुलाई माह में पुनः सेमियालता पौधे में बिहन के रूप में लगाया गया है।
उनकी इस सफलता में अम्बेडकर विश्वविद्यालय नई दिल्ली के छात्र एवं सहभागी समाजसेवी संस्था का भी सहयोग रहा है। राधा स्व-सहायता समूह की महिलाओं की इस उपलब्धि से बिहन लाख समय पर नहीं मिलने की समस्या से अन्य लाख उत्पादक किसानों को भी मुक्ति मिलेगी।