पटना. पत्र सूचना कार्यालय, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा ‘’अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस’’ के उपलक्ष्य में मगध महिला कालेज, पटना के सहयोग से महिला सशक्तिकरण विषय पर आज 6 मार्च को पटना में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
पद्मश्री उषा किरण खान, जस्टिस मृदुला मिश्रा, उधमी, उषा झा, समाजसेवी निवेदिता झा, आटो चालक सरिता, चिकित्सक डाक्टर मनीषा सिंह, राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित आभा चौधरी सहित अन्य लब्ध प्रतिष्ठित महिलाओं ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्जलित कर संगोष्ठी का उद्घाटन किया।
संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पद्मश्री साहित्यकार उषा किरण खान ने कहा कि महिलाएं आज हर क्षेत्र में शिखर को छू रही हैं चाहे वह साहित्य का क्षेत्र हो या फिर कोई और। महिलाओं ने हर क्षेत्र में अपने बल-बूते मुकाम हासिल किया है। उन्होंने आने वाली पीढ़ी की बच्चियों को सलाह दी कि वे खुद आगे बढ़ने के साथ-साथ आसपास के रहने वाली बच्चियों को भी आगे बढ़ाने में सहयोग करें। चाणक्य विधि विश्वविद्यालय की कुलपति मृदुला मिश्रा ने अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं को समाज और लोग उनकी क्षमता को कम आंकते हैं जबकि महिलाओं में इतनी क्षमता है कि वह तकलीफों को पीछे छोड़ते हुए आगे बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा कि महिलाएं समाज के लिये जीती हैं और एक समय में कई कार्य करती हैं। मगध महिला कालेज की प्राचार्य डाक्टर शशि शर्मा ने कहा कि युवा और समाज को जगाने की जरूरत है। डाक्टर शर्मा ने कहा कि जरूरत है व्यवस्था को बदलने की और बच्चियों के अधिकार को हर संभव देने की कोशिश होनी चाहिए। उन्होंने ये भी कहा कि बच्चियों को सैनेटरी पैड मुफ्त मिले ताकि वे स्वस्थ रहें और शिक्षा को प्राप्त करें। कैंसर विशेषज्ञ डाक्टर मनीषा सिंह ने कहा कि महिलाओं में सबसे ज्यादा कैंसर देखने को मिलता है। जरूरत है कैंसर से पीड़ित महिलाओं का खुलकर सशक्त बनाने की। डाक्टर सिंह ने कहा कि कैंसर पीड़ित महिलाएं लोक लज्जा में स्तन कैंसर सहित अन्य जानलेवा बीमारियों को छुपा लेती हैं और अंतिम क्षण में अस्पताल आती हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता निवेदिता झा ने कहा कि महिलाओं को ना कहना सिखना होगा वह इसलिए जरूरी है कि बराबरी उनका अधिकार है और वे जब तक ना नहीं कहेंगी तब तक उन्हें उनका हक नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें हक के लिये लड़ना होगा, पढ़ना होगा और आगे बढ़ना होगा।
आटो चालक सरिता ने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि वे जब पटना की सड़कों पर आटो चलाना शुरू की थी तो समाज उन्हें अलग नजरिए से देखता था। सरिता ने कहा कि समाज बेटा-बेटी में भेदभाव करता है। महिलाएं कोमल जरूर हैं लेकिन मजबूर नहीं हैं।
वरिष्ठ पत्रकार रजनी शंकर ने कहा कि महिलाएं एक पेड़ की तरह होती हैं जो संघर्ष करती हैं और दूसरों को छाया प्रदान करती हैं। उन्होंने ज्यादा से ज्यादा महिला सशक्तीकरण पर कार्यक्रमों को किये जाने पर जोर दिया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उधमी उषा झा ने कहा कि उद्योग से महिलाएं काफी दूर हैं, उन्हें इस क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा आगे लाने की जरूरत है।
संगोष्ठी को राष्ट्रीय प्राप्त शिक्षिका आभा चैधरी, अधिवक्ता सुधा अम्बष्ठ, गायिका रंजना झा ने भी संबोधित किया। संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार ने कार्यक्रम की रूपरेखा रखी। वहीं, संचालन वरिष्ठ पत्रकार सीटू तिवारी ने किया जबकि धन्यवाद ज्ञापन पीआईबी के सहायक निदेशक संजय कुमार ने किया।