रायपुर, पिछली दो-तीन पीढ़ियों से जिस वन भूमि पर सुकमा के देवकुपली के सुकरा, देवा और गंगा खेती कर रहे थे। उस जमीन का अधिकार उन्हें अब जाकर मिला। वन भूमि अधिकार का पट्टा पाकर इन तीनों परिवारों में खुशियां आ गई है।
सुकमा विकासखण्ड की ग्राम पंचायत कोकरपाल के आश्रित ग्राम जोरुतोंग के देवकुपली में रहने वाले मुचाकी सुकरा के पूर्वज लगभग तीन एकड़ वन भूमि में लगभग पिछले 40 वर्षों से खेती रहे थे। इसी तरह यहां के कुंजामी देवा और कुंजामी गंगा के पूर्वज भी 5-5 एकड़ जमीन पर खेती कर रहे थे। इन खेतों में उगाए अन्न से ही इनके परिवार पालन पोषण होने के कारण जमीन से जज्बाती तौर पर जुड़ गए थे। मगर इस जमीन का कोई दस्तावेज नहीं होने से मन में डर भी था, कि कहीं कोई इस जमीन को उनसे छीन न ले। इन हितग्राहियों को पटवारी सुरेन्द्र तिवारी ने जमीन का पट्टा हाथों में थमाकर जैसे दुनिया की सबसे बड़ी खुशी का उपहार दिया।
बरसों से जिस खेत का अन्न खा रहे थे, उसका अधिकार मिलने पर इन हितग्राहियों के परिवार में खुशियां छा गईं। उन्होंने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ शासन की आदिवासी हितैषी नीतियों के कारण ही आज उन्हें इस जमीन का अधिकार मिल सका।
उल्लेखनीय है कि वर्षों से वन भूमि में काबिज आदिवासियों को अधिकार प्रदान करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्राथमिकता के साथ कार्य किया जा रहा है। जनवरी 2019 से अब तक सुकमा जिले में 1692 दावों पर सहमति जताते हुए 460 हितग्राहियों को 240 हेक्टेयर से अधिक भूमि वितरित की जा चुकी है। इसके साथ ही 184 सामुदायिक दावे भी स्वीकृत किए गए हैं।