रायपुर, 26 जुलाई 2020/ वनाधिकार मान्यता अधिनियम से जहां वनवासियों को भूमि स्वामी का हक मिल रहा है वही जमीन का पट्टा मिलने से शासन की योजनाओं का लाभ भी मिल रहा है। प्रदेश के सरगुजा जिले में विशेष पिछड़ी जनजाति पण्डो जिन्हें राष्ट्रपति का दत्तक पुत्र भी कहा जाता है उन्हें भी वनाधिकार पत्र मिला है। वे शासन की योजनाओं का लाभ लेकर समाज की मुख्य धारा से जुड़ जीवन में आगे बढ़ रहे है।
अम्बिकापुर जनपद के चठिरमा ग्राम पंचायत अंतर्गत ग्राम बढ़नीझरिया निवासी करीब 60 वर्षीय श्री रामचंद पण्डो को 5 एकड़ वन भूमि का वनाधिकार पत्र मिला है। श्री रामचन्द अब खेत मे बोर करा लिए है और दो फसली धान उत्पादन करते है। साथ ही सब्जी की भी खेती करते है, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत हुई है। श्री रामचन्द ने बताया कि जमीन का पट्टा मिलने से किसान क्रेडिट कार्ड बन गया है। किसान क्रेडित कार्ड से खेती के लिए खाद-बीज सहकारी समिति से आसानी से मिल रहा है। समिति में समर्थन मूल्य पर धान भी बेच पा रहे हैं। बढ़नीझारिया गांव में रामचंद के अलावा श्री सुख लाल, रामचरण, प्रेमसाय गुरसाय सहित 46 पण्डो जनजाति को वनाधिकार पत्र मिला है।
सरगुजा संभाग में वनाधिकार मान्यता अधिनियम के तहत अब तक एक लाख 11 हजार 165 अनुसूचित जनजाति तथा अन्य परंपरागत वनवासियों को वनाधिकार पत्र वितरित किये गए है। इसमें एक लाख 3 हजार 863 अनुसूचित जनजाति तथा 7 हजार 302 अन्य परंपरागत वनवासी शामिल है। सरगुजा जिले में 26 हजार 177, कोरिया जिले में 15 हजार 106, जशपुर जिले में 14 हजार 528, सूरजपुर जिले में 29 हजार 547 तथा बलरामपुर रामानुजगंज जिले में 25 हजार 807 वनाधिकार पत्र वितरित किये गए है।
उल्लेखनीय है कि आदिवासियों एवं अन्य परंपरागत वनवासियों को जंगल पर उनके अधिकारों को मान्यता देने के लिए 2006 में अनुसूचित जनजाति और अन्य परम्परागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) कानून पूरे देश में लागू किया गया। प्रदेश में 13 दिसम्बर 2005 से पहले वन क्षेत्र में काबिज वनवासियों को वनाधिकार अधिनियम अंतर्गत लाभ दिया जा रहा है। इसमें वनक्षेत्र में निवास करने वाले ग्रामीणों को शासन द्वारा व्यक्तिगत और सामुदायिक पत्र का वितरण किया जाता है।