रायपुर के तहसीलदार और पटवारियों का भाजपा प्रेम अभी भी कायम है – संजीव अग्रवाल

रायपुर,आरटीआई कार्यकर्ता और काँग्रेस नेता संजीव अग्रवाल ने मीडिया के माध्यम से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के तहसीलदार और पटवारियों पर निशाना साधते हुए कहा है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के डेढ़ साल बाद भी रायपुर की जनता को तहसीलदार और पटवारियों की मनमानी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। छत्तीसगढ़ की जनता ने काँग्रेस पार्टी को इस लिए चुना था, क्योंकि वो भाजपा की तत्कालीन रमन सिंह सरकार के दौरान हो रहे भ्रष्टाचार से परेशान हो चुकी थी। लेकिन मौजूदा वक्त में भी छत्तीसगढ़ की जनता अलग अलग विभागों में हो रही अव्यवस्था के कारण परेशान है।

संजीव अग्रवाल ने कहा कि भाजपा के कार्यकाल में अधिकांश प्रशासनिक अधिकारी भ्रष्टाचार, कमीशनखोरी में लिप्त हो गए थे और बेलगाम हो गए थे। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भी उनकी ये आदतें नहीं सुधरी, उन अधिकारियों का भाजपा प्रेम आज भी कायम है। रायपुर के बहुत से लोग आज भी छोटे जमीनों के टुकड़ों के नामांतरण की प्रक्रिया से वंचित हैं क्योंकि तहसीलदार और पटवारियों को रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त रहने की आदत पड़ चुकी है। वे जनता को परेशान करने के लिए केवल तारीख पर तारीख देते हैं ताकि एक आम उपभोक्ता मजबूर होकर उनकी जेब गर्म करे। ऐसे ही प्रदेश में जमीन से जुड़े बहुत से मामले प्रशासनिक तहसीलदार और पटवारियों की मिलीभगत के चलते लंबित पड़े हुए हैं।

आगे संजीव अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में ऐसे बहुत से प्रकरण हैं जिसमें अगर उचित प्रकार से कार्रवाई हो तो कई भ्रष्टाचारी और कमीशनखोर तहसीलदार और पटवारी सामने आएंगे। इसी कड़ी में इन तहसीलदार और पटवारियों के भ्रष्टाचार की पराकाष्ठा ने कोटवारों को भी नहीं छोड़ा। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में भी एक ऐसा प्रकरण सामने आया है जिसमें भाजपा पार्षद, तहसीलदार और पटवारी की मिलीभगत से इन्होंने एक कोटवार की जमीन को भी अवैध रूप से बेच डाला। कोटवार आज भी दर दर भटक रहा है ।

संजीव अग्रवाल ने कहा है कि चुंकि प्रदेश के मुखिया स्वयं एक किसान हैं और आम आदमी का दर्द समझते हैं इस कारण उन्हें इस प्रकार के गंभीर मसलों को संज्ञान में लेते हुए इन भ्रष्टाचारियों के ख़िलाफ़ नकेल कसने की अत्यंत आवश्यकता है ताकि जनता अपने आप को ठगा सा महसूस ना कर पाए और प्रदेश में कानून व्यवस्था और खुशहाली लाई जा सके।

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