सखी सेंटरों की कार्यप्रणाली अधिक कुशल बनाने दिये गये आवश्यक दिशा-निर्देश
रायपुर, 02 जुलाई 2020/ प्रदेश के सखी सेंटरों के काम-काज को और अधिक कुशलता और पारदर्शिता से करने की कवायद शुरू कर दी गई है। इसके तहत सखी सेंटरों में काम-काज को पूरी तरह डिजिटल किया जाएगा। महिला हेल्प लाइन 181 और सखी सेंटरों के कामकाज को समन्वित किया जाएगा, जिससे अधिक प्रभावी तरीके से महिलाओं को सहायता पहुंचाई जा सके। इसके लिए महिला एवं बाल विकास विभाग के सचिव श्री प्रसन्ना ने राजधानी के कालीबाड़ी स्थित सखी वन स्टॉप सेंटर के निरीक्षण के दौरान अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। इस दौरान उन्होंने सखी सेंटर परिसर के समीप स्थित मातृ शिशु अस्पताल में पोषण पुनर्वास केन्द्र पहुंचकर बच्चों के पोषण संबंधी जानकारी भी ली। इस अवसर पर महिला बाल विकास विभाग की संचालक श्रीमती दिव्या उमेश मिश्रा, सिविल सर्जन डॉ,रवि तिवारी सहित विभागीय अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।
श्री प्रसन्ना ने वन स्टॉप सेंटर में रह रहीं पीड़ित महिलाओं से बात की और उनकी परेशानियों के बारे में जाना। उन्होंने सखी सेंटर में महिलाओं के रजिस्ट्रेशन, विभिन्न सेवाओं, भोजन व्यवस्था और मामलों के निराकरण की भी जानकारी ली। उन्होंने कर्मचारियों से काम-काज में आने वाली समस्याओं और कार्यप्रणाली में सुधार लाकर अधिक दक्ष बनाने संबंधी सुझाव लिए और सखी सेंटरों में कामकाज को पूरी तरह डिजिटल बनाने पर जोर दिया। इसके लिए उन्होंने सॉफ्टवेयर को भारत सरकार और एन.आई.सी. के माध्यम से अपग्रेड कर जानकारी सुलभ बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही सेंटर में आने वाली घरेलू हिंसा पीड़ित महिलाओं से संबंधित कार्यवाही त्वरित और आसान बनाने के लिए उन्होंने सभी जिलों के प्रोटेक्शन अधिकारियों की बैठक व्यवस्था एक हफ्ते में सखी सेंटरों में करने के निर्देश दिए हैं। काम-काज में कसावट के लिए उन्होंने अधिकारियों को हर महीने सखी और महिला हेल्पलाइन 181 के कामकाज की समीक्षा सुनिश्चित करने कहा है। केन्द्र प्रशासक श्रीमती प्रीति पाण्डे ने बताया कि रायपुर स्थित सखी वन स्टॉप सेंटर में तीन हजार 727 पीड़िताओं को सहायता पहुंचाई गई है। यहां एक हजार 335 महिलाओं को आश्रय प्रदान किया गया है। लगभग 3 हजार महिलाओं की यहां काउंसलिंग की गई है। सखी के माध्यम से 772 महिलाओं की चिकित्सा कराई गई है। कई महिलाओं, बालिकाओं, वृद्धाओं और विक्षिप्त महिलाओं को रेस्क्यू कर नारी निकेतन, मातृ छाया, बाल कल्याण परिषद, वृद्धाश्रम और मेंटल हॉस्पिटल के माध्यम से आश्रय प्रदान किया गया है।