मुख्यमंत्री ने बोधघाट सिंचाई परियोजना पर बस्तर के जनप्रतिनिधियों से की रायशुमारी
प्रभावित लोगों के हितों का रखा जाएगा पूरा ध्यान
बस्तरवासियों से चर्चा कर तैयार की जाएगी पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की नीति
रायपुर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आज यहां अपने निवास कार्यालय में बोधघाट बहुउद्देशीय सिंचाई परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर बस्तर के जनप्रतिनिधियों से चर्चा की। मुख्यमंत्री ने इस परियोजना के सबंध में एक-एक कर सभी जनप्रतिनिधियों से उनकी राय लेने के बाद बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि बोधघाट ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसका लाभ सिर्फ और सिर्फ बस्तर के लोगों को मिलेगा। उन्होंने कहा कि अब तक बस्तर में जितने भी उद्योग और प्रोजेक्ट लगे हैं, उसका सीधा फायदा बस्तर के लोगों को नहीं मिला है। यह पहला ऐसा प्रोजेक्ट है, जो बस्तर के विकास और समृद्धि के लिए है। इसका सीधा फायदा बस्तरवासियों को मिलेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 40 वर्षों से लंबित इस प्रोजेक्ट को बस्तर की खुशहाली को ध्यान में रखते हुए नए सिरे से तैयार किया किया गया है। बोधघाट परियोजना पहले मुख्य रूप से जल विद्युत उत्पादन के लिए थी, जो बस्तर और वहां के लोगों के जरूरतों के अनुकूल नहीं थी। इस परियोजना में आमूलचूल परिवर्तन कर इसे सिंचाई परियोजना के रूप में तैयार किया गया हैै। जिसका लाभ बस्तर संभाग के अधिकांश क्षेत्र के ग्रामीणों और किसानों को मिलेगा। इस सिंचाई परियोजना से दंतेवाड़ा, बीजापुर और सुकमा जिले मंें नहरों के माध्यम से तीन लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर में सिंचाई के लिए जलापूर्ति होगी। इसमें लिफ्ट इरीगेशन को भी शामिल कर बस्तर के शेष जिलों को भी सिंचाई एवं निस्तार के लिए जल उपलब्ध कराया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बोधघाट परियोजना बस्तर की जरूरत है। पूरे बस्तर संभाग में एक भी सिंचाई का बड़ा प्रोजेक्ट नहीं है। बस्तर संभाग का सिंचाई प्रतिशत न्यूनतम है। वनों की अधिकता के बावजूद भी मानसून यदि थोड़ा भी गड़बड़ाता है, तो सूखे से सबसे ज्यादा बस्तर अंचल ही प्रभावित होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इंद्रावती नदी के जल का सदुपयोग कर बस्तर को खुशहाल और समृद्ध बनाने के लिए बोधघाट परियोजना जरूरी है। अब समय आ गया है, बस्तर के विकास और वहां के लोगों की बेहतरी के लिए काम होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को यदि सिंचाई की सुविधा मिल जाए, तो वह रोजगार खुद पैदा कर लेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक यही सुनते आए हैं कि बस्तर के लोग अपना घर परिवार छोड़कर अन्यत्र रोजी-रोजगार के लिए नहीं जाते हैं परंतु कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन की अवधि में बस्तर वापस लौटने वालों के जो आंकड़े आए हैं उसे देखकर यह पता चलता है कि बस्तर के नौजवान रोजी-रोजगार की तलाश में देश के विभिन्न राज्यों में जाने लगे हैं। बस्तर की नौजवान पीढ़ी को बस्तर में ही रोजगार का अवसर उपलब्ध कराना जरूरी है। बोधघाट सिंचाई परियोजना से बस्तर अंचल में खेती किसानी समृृद्ध होगी। रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। अर्थव्यवस्था बेहतर होगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वास, विकास और सुरक्षा हमारा मूल मंत्र है। सरकार इसको ध्यान में रखकर ही जन हितकारी कामों को अंजाम दे रही है। उन्होंने कहा कि बोधघाट परियोजना के प्रभावितों के लिए पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की बेहतर व्यवस्था की जाएगी। प्रभावितों का किसी भी तरह का नुकसान न हो इसका विशेष ध्यान रखा जाएगा। पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की नीति लोगों से चर्चा कर तैयार की जाएगी। विस्थापितों को उनकी जमीन के बदले बेहतर जमीन, मकान के बदले बेहतर मकान दिए जाएंगे। हमारी यह कोशिश होगी कि इस प्रोजेक्ट के नहरों के किनारे की सरकारी जमीन प्रभावितों को मिले, ताकि वह खेती-किसानी बेहतर तरीके से कर सके। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तरवासियों के हितों की रक्षा, राज्य सरकार की प्राथमिकता है। बस्तर के लोगों के जीवन मंें खुशहाली आए, इसको ध्यान मंें रखकर उनकी सरकार ने कई महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं। उन्होंने कहा कि एक निजी इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित की गई जमीन की वापसी का मामला हो या लघु वनोपजों की समर्थन मूल्य पर खरीदी हो। सरकार ने बस्तर के लोगांें के हितों का हमेशा ध्यान रखा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि औने-पौने दाम में महुआ बेचने के लिए विवश बस्तर के लोगों से इस साल हमने 30 रूपए मूल्य पर खरीदी की है। उन्होंने कहा कि बस्तर के लोगों की आमदनी बढ़े, इसके लिए इमारती पेड़ों के बदले फलदार एवं लघु वनोपज के पेड़ प्राथमिकता से लगाने का निर्णय लिया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर का विकास वहां के लोगों की आवश्यकता के अनुसार होना चाहिए। उन्होंने कहा कि बोधघाट परियोजना के निर्माण से बस्तर अंचल का सिंचित रकबा 72 प्रतिशत हो जाएगा। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ में खेती अब घाटे का सौदा नहीं रह गयी है। बस्तर के किसान खेती-किसानी से वंचित रहे, यह अब नहीं होगा। उन्होंने कहा कि प्रभावितों के पुनर्वास एवं व्यवस्थापन के बाद ही उनकी भूमि इस परियोजना के लिए ली जाएगी।
कृषि एवं जल संसाधन मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि बस्तर अंचल के समग्र विकास के लिए सिंचाई जरूरी है। इससे बस्तर की अर्थव्यवस्था में बदलाव आएगा। उन्होंने इस परियोजना के क्रियान्वयन से पहले आकर्षक पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की नीति तैयार करने और उसका अक्षरशः पालन सुनिश्चित करने की बात कही। मंत्री श्री चौबे ने कहा कि इस परियोजना से प्रभावित परिवारों को लाभ मिले, यह हर हाल में सुनिश्चित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि बस्तर में सिंचाई सुविधा को बढ़ाना जरूरी है, क्योंकि इससे जीवन में बदलाव आता है।
वन एवं पर्यावरण मंत्री श्री मोहम्मद अकबर ने इस प्रोजेक्ट के निर्माण प्रक्रिया को चरणबद्ध तरीके से पूरा कराए जाने का सुझाव दिया, जिस पर मुख्यमंत्री ने सहमति जताते हुए इसका परीक्षण कराए जाने की बात कही। उद्योग मंत्री श्री कवासी लखमा ने कहा कि बोधघाट परियोजना से बस्तर के विकास का नया रास्ता खुलेगा। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से प्रभावित लोगों को क्या लाभ मिलेगा, इसे स्पष्ट रूप से बताना होगा तथा उनसे चर्चा करनी होगी। मंत्री श्री लखमा ने कहा कि प्रोजेक्ट शुरू करने से पहले व्यवस्थापन के लिए जमीन का चिन्हांकन किया जाना चाहिए। राजस्व मंत्री श्री जयसिंह अग्रवाल ने भी पुनर्वास एवं व्यवस्थापन की बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित करने की बात कही। उन्होंने कहा कि आम जनता से चर्चा कर पुनर्वास की नीति तय की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से बस्तर के विकास को गति मिलेगी। खेती-किसानी और उससे जुड़े रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री अरविन्द नेताम ने कहा कि इस परियोजना के लाभ के बारे में लोगों को बताना होगा। जनसामान्य का विश्वास अर्जित होगा। उन्होंने इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन में वन अधिनियम, पेसा कानून एवं वनांचल के लोगों के हितों को ध्यान में रखने की बात कही। श्री नेताम ने इस प्रोजेक्ट से प्रभावित होने वाले गांवों एवं परिवारों की सही-सही जानकारी संधारित की जानी चाहिए। बैठक में सांसद श्री दीपक बैज, राज्य सभा सांसद श्रीमती फूलोदेवी नेताम सहित सभी विधायकगणों एवं जिला पंचायत के अध्यक्षों ने भी इस प्रोजेक्ट को बस्तर अंचल के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताते हुए कई उपयोगी सुझाव दिए। सभी ने कहा कि इस प्रोजेक्ट के लिए बस्तर के लोगों से रायशुमारी और लोगों की मंशा के अनुरूप ही इसका निर्माण हो।
बैठक के प्रारंभ में जल संसाधन विभाग के सचिव श्री अविनाश चम्पावत ने पावर-प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से इस परियोजना के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बोधघाट परियोजना के निर्माण से खेत-किसानी, उद्योग एवं अन्य आय मूलक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। जिससे बस्तर की इकोनॉमी में 6 हजार 223 करोड़ रूपए की बढ़ोत्तरी होगी। उन्होंने बताया कि इन्द्रावती नदी के 300 टीएमसी जल का उपयोग छत्तीगसढ़ राज्य कर सकता है। वर्तमान में मात्र 11 टीएमसी जल का उपयोग हो रहा है। बोधघाट परियोजना के निर्माण से 168 टीएमसी जल का उपयोग बस्तर अंचल के विकास के लिए हो सकेगा। इससे 3 लाख 66 हजार हेक्टेयर में सिंचाई और लगभग 300 मेगावाट विद्युत का उत्पादन होगा। सचिव ने बताया कि बोधघाट परियोजना से दंतेवाड़ा के 51, बीजापुर जिले के 218 तथा सुकमा के 90 इस प्रकार कुल 359 गांव लाभांन्वित होंगे। उक्त तीनों जिलों में खरीफ में एक लाख 71 हजार 75 हेक्टेयर, रबी में एक लाख 31 हजार 75 हेक्टेयर तथा गर्मी में 64 हजार 430 हेक्टेयर इस प्रकार कुल 3 लाख 66 हजार 580 हेक्टेयर में सिंचाई होगी। इस परियोजना के निर्माण में 28 गांव पूर्ण रूप से तथा 14 गांव आंशिक रूप से डूबान में आएंगे, जिसमें से 5704 हेक्टेयर वन भूमि, 5010 हेक्टेयर निजी भूमि तथा 3068 हेक्टेयर शासकीय भूमि शामिल हैं। इस परियोजना के माध्यम से 300 मेगावॉट विद्युत उत्पादन होगा। 500 मिलियन घन मीटर जल का उपयोग उद्योगों के लिए, 30 मिलियन घन मीटर जल का उपयोग पेयजल के लिए होगा। इस परियोजना से मत्स्य उत्पादन का बड़ा जलक्षेत्र उपलब्ध होगा, जिससे प्रतिवर्ष 4824 टन मत्स्य उत्पादन होगा।
बैठक में विधायक सर्वश्री राजमन बेंजाम, विक्रम मंडावी, मनोज मंडावी, संत नेताम, शिशुपाल सोरी, रेखचंद जैन, मोहन मरकाम, श्रीमती देवती कर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष बीजापुर श्री शंकर खुडियाम, जिला पंचायत अध्यक्ष सुकमा श्री हरीश लखमा सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं अपर मुख्य सचिव जल संसाधन श्री अमिताभ जैन, मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव श्री सुब्रत साहू, सचिव जल संसाधन श्री अविनाश चम्पावत, मुख्यमंत्री सचिवालय में उप सचिव सुश्री सौम्या चौरसिया सहित अन्य जनप्रतिनिधिगण उपस्थित थे।