कलेक्टरों और मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को दिए निर्देश
रायपुर, मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल के निर्देशानुसार आगामी फसल बुआई के कार्य के पूर्व खुले में चराई कर रहे पशुओं के नियंत्रण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य में रोका-छेका प्रथा का प्रभावी ढंग से पालन सुनिश्चित किया जाना है। इसका उद्देश्य फसल उत्पादकता को बढ़ावा देना तथा पशुओं की खुली चराई से फसल को होने वाले हानि से बचाना है। इसके लिए पशुपालक और ग्रामवासियों द्वारा पशुओं को बांधकर रखने अथवा पहटिया की व्यवस्था गांवों में सुनिश्चित की जानी है। इससे किसान खरीफ की फसल की बुआई जल्दी करके दूसरी फसल लेने के लिए भी प्रेरित होंगे। रोका-छेका की व्यवस्था को लागू करने के लिए ग्राम स्तर पर ग्राम सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों को प्रेरित एवं प्रोत्साहित करें।
कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. एम.गीता ने इस संबंध में सभी जिला कलेक्टरों और जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों को विस्तृत दिशा-निर्देश जारी कर कार्यवाही सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए है। निर्देश में कहा गया है कि ग्राम स्तर पर बैठक आयोजित कर उसमें रोका-छेका प्रथा अनुरूप पशुओं को बांधकर रखने, पशुओं के नियंत्रण से फसल बचाव का निर्णय ग्राम सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधि और ग्रामीणों द्वारा लिया जाएं। रोका-छेका प्रथा अंतर्गत गौठानों में पशुओं के प्रबंधन और रखरखाव के उचित व्यवस्था के लिए गौठान प्रबंधन समिति की बैठक आयोजित की जाए। पहटिया, चरवाहे की व्यवस्था से पशुओं का गौठानों में व्यवस्थापन सुनिश्चित कराया जाए। खुले में विचरण कर रहे पशुओं का व्यवस्थापन गौठान में सुनिश्चित किया जाए। गौठानों मेें पशु चिकित्सा और स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए जाए। वर्षा से जल भराव की समस्या दूर करने के लिए गौठानों में जल निकासी की समुचित व्यवस्था की जाए। गौठान परिसर में पशुओं के बैठने के लिए कीचड़ आदि से मुक्त स्थान की उपलब्ध सुनिश्चित की जाए। गौठानों में पर्याप्त चारा (पैरा आदि) की व्यवस्था की जाए। गौठानों में ग्रामीणजनों की समुचित भागीदारी, रख-रखाव के लिए जागरूकता का कार्य स्थानीय कला-जत्था के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाए। गौठानों से संबंद्ध स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का प्रदर्शन किया जाए। इस कार्य के लिए स्थानीय स्तर पर प्रचार-प्रसार कर अधिक से अधिक सहभागिता सुनिश्चित करें।