राजनीतिक प्रतिशोधवश पूर्ववर्ती राज्य और मौज़ूदा केंद्र सरकार की सुविधाओं को बंद कर बदले में कुछ नहीं दिया: सुंदरानी
रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक श्रीचंद सुंदरानी ने प्रदेश की बदहाल हो चलीं स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर प्रदेश सरकार और स्वास्थ्य मंत्रालय पर निशाना साधा है। श्री सुंदरानी ने कहा कि कोरोना संकट से निपटने में बुरी तरह विफल साबित हो चुकी प्रदेश सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय प्रदेश की जनता को सुविधापूर्ण सामान्य चिकित्सा तक मुहैया नहीं करा पा रहा है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व विधायक श्री सुंदरानी ने कहा कि डेढ़ सेल के अपने शासनकाल में प्रदेश सरकार ने राजनीतिक प्रतिशोध के चलते भाजपा की पूर्ववर्ती राज्य सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की महती स्वास्थ्य सुविधाओं को बंद कर दिया और बदले में प्रदेश की जनता को कुछ भी नहीं दिया। श्री सुंदरानी ने कहा कि केंद्र सरकार ने चिह्नित बड़ी बीमारियों के लिए देश के करोड़ों लोगों को 05 लाख रुपए तक के मुफ़्त इलाज की जो सुविधा दी थी, सत्ता में आते ही कांग्रेस की प्रदेश सरकार ने उस पर भी लगातार सस्ती और हल्की राजनीति करना जारी रखा। इसी तरह पूर्ववर्ती भाजपा प्रदेश सरकार द्वारा मुहैया कराई गई स्वास्थ्य सुविधाओं को भी बट्टे खाते डाल दिया और कहा था कि अब प्रदेश के हर ज़रूरतमंद का महज़ राशनकार्ड के आधार पर मुफ्त इलाज होगा। सुन्दरानी ने कहा कि अगर कांग्रेस सरकार ने भाजपा की योजनाओं के साथ दुर्भावनावश छेड़छाड़ कर उसे बिगाड़ने की कोशिश नहीं को होती तो आज प्रदेश के मरीजों का निजी अस्पतालों में भी निःशुल्क इलाज़ संभव होता जबकि अब तो सरकारी अस्पतालों में भी बड़ी रकम की मांग की जा रही है। श्री सुन्दरानी ने याद दिलाते हुए कहा कि प्रदेश के निर्माण से पूर्व कांग्रेस सरकारों ने जिस तरह इस अंचल की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बदहाल करके रखा था, जैसे यहां के गरीब आदिवासीगण मामूली बीमारियों से भी बड़ी संख्या में काल के गाल में समा जाते थे, भूपेश सरकार फिर से वही हालात ला देगी ऐसी आशंका है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता श्री सुंदरानी ने कहा, प्रदेश सरकार बताए कि राज्य में कितने लोगों को राशनकार्ड के आधार पर नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई गई? प्रदेश सरकार के वादों और दावों का क्रूर सच यही है कि सरकारी अस्पतालों तक में मरीजों को इलाज के लिए पहले बड़ी राशि जमा करने को खुलेआम विवश किया जा रहा है। मेकाहारा के हालिया एक मामले का जिक्र करते हुए श्री सुंदरानी ने कहा कि पहले तीन लाख रुपए लेकर मरीज ललित परमार का ऑपरेशन किया गया था लेकिन अब फिर उसका इलाज करने के लिए मेकाहारा ने छह-सवा छह लाख रुपए पहले जमा करने को कहा है। स्थिति यह है कि परमार को अपने इलाज के लिए अपना घर बेचने की नौबत आ रही है। आख़िर यह सरकार अपने इस सच से सामना का साहस कब दिखाएगी?