प्रस्तावित विद्युत संशोधन बिल पर मुख्यमंत्री द्वारा लिखे पत्र का कांग्रेस स्वागत करती है – इकबाल

विद्युत संशोधन बिल से बिजली के दाम बेतहाशा बढ़ेंगे

महंगाई बढ़ने से गरीब तबका किसान बुरी तरह प्रभावित होंगे

केन्द्र सरकार की नियत विद्युत का निजीकरण करने का है

रायपुर/09 जून 2020। छ.ग.प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री श्री आर.के. सिंह को “विद्युत संशोधन बिल 2020“ के संदर्भ में लिखे गये पत्र का स्वागत करते हुए कहा कि केन्द्र में जब-जब भाजपा की सरकार आई उसने विद्युत क्षेत्र में अनावश्यक दखलअंदाजी करके तंत्र को नुकसान पहुंचाया है जिसका खामियाजा जनता को भुगतना पड़ा है।
प्रदेश प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने आगे कहा कि 2003 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार आयी उस समय भी “विद्युत सुधार अधिनियम 2003“ लाया गया था। जिसके परिणाम स्वरूप देश में वर्षों पुराने विद्युत मण्डलों (बोर्ड) का विखण्डन करके कम्पनीकरण कर दिया गया जिसका नतीजा जनता के सामने है। अब मोदी सरकार विद्युत संशोधन बिल 2020 लाना चाहती है जिसके लागू होने से निश्चित रूप से बिजली के दाम में बेतहाशा वृद्धि होगी। क्योंकि सरकारी क्षेत्र की बिजली कम्पनियों पर देश के चंद भाजपा के चहीते निजी उद्योगपतियों के हाथ में चली जायेगी जिस पर राज्य सरकार का नियंत्रण नहीं होगा और इससे जनता को परेशानी होगी। 2003 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने बिजली को छुआ और सरकार चली गई। इस बार फिर मोदी सरकार बिजली को हाथ लगा रही है इसका नतीजा भविष्य में जनता दे देगी।
प्रदेश प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने विज्ञप्ति में आगे कहा कि इस प्रस्तावित बिल से बिजली बिल में सब्सिडी दिये जाने से सबको लाभ मिलता है जो बंद हो जायेगी। इसका सीधा-सीधा असर गरीब और किसान तथा खाद्यान्न उत्पादन पर पड़ेगा जो देश की सेहत के लिये ठीक नहीं है। वर्तमान में विद्युत दरों के निर्धारण के लिए हर प्रदेश में विद्युत नियामक आयोग का गठन किया गया है जो उपभोक्ता सेवा, विद्युत कर्मचारियों के वेतन भत्तों आदि का निर्धारण करता है। केन्द्रीयकृत विद्युत अनुबंध प्रवर्तन प्राधिकरण (ईसीईए) के गठन से राज्य के नियामक आयोग एवं राज्य सरकारें अधिकार विहिन हो जायेंगी। क्योंकि निजी कम्पनियां सब लाईसेन्सी और फ्रेन्चाईजी के रूप में काम करेंगे जिस पर राज्य सरकार तथा आयोग का आदेश मानने के लिए बाध्य नहीं होंगे। साथ ही साथ निजी कम्पनियों के हाथों में बिजली कम्पनी की भूमि, भवन, उपकरण तथा सम्पत्ति जो वर्षों से जनता के गाड़ी कमाई के पैसों से बनाई गई कि उस पर निजी कम्पनियों का कब्जा हो जायेगा।
बिजली समवर्ती सूची का विषय है जिसमें केन्द्र को राज्य सरकारों से चर्चा करने के बाद ही अंतिम निर्णय लिया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय ऊर्जा मंत्री को सटीक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने अपनी सारी आपत्तियां दर्ज करा दी गई है। मुख्यमंत्री के इस पत्र से साफ हो गया है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल गरीबों के हमदर्द, किसानों के नेता तथा विद्युत कर्मियों के हितैषी है।

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