पुरी : भगवन जगन्नाथ की तबियत खरब हो गई है और अब तबियत ठीक होने तक महाप्रभु एकांत में रहेंगे. इस दौरान उन्हें जड़ी-बूटियों से बनी औषधि और काढ़ा दिया जाएगा. भगवान जगन्नाथ ज्येष्ठ पूर्णिमा पर स्नान के बाद बीमार हो गए है. इस काल में भगवान को भी आज कल प्रचलित क्वारंटाइन किया जाता है इस दौरान चुनिंदा सेवको को ही उनके पास जाने की इजाजत होती है.
ऐसा माना जाता है की भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा 15 दिन में ठीक हो जाएंगे और आषाढ प्रतिपदा को नवयौवन धारण कर लेंगे. इसके बाद विश्व प्रसिद्द भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा प्रारंभ होगी.
बतादें पुरानी मान्यता हैं कि पूर्णिमा के इस विशेष स्नान के बाद भगवान जगन्नाथ बीमार होने के बाद गणेश का रूप धारण कर लेते हैं. भगवान के पट बंद होने के बाद भक्तों को उनके स्थान पर भगवान मदनमोहन जी के अलौकिक स्वरूप के दर्शन होते हैं. 15 दिनों के बाद भगवान जगन्नाथ पुन: स्वस्थ होकर भक्तों को अपने मनमोहक स्वरूप के दर्शन देते हैं. मान्यता के अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकम को भगवान के पुन: दर्शन होंगे और उन्हें 36 तहत के व्यंजनों का भोग लगाया जाएगा. उसके बाद भगवान जगन्नाथ आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को भव्य रथ में सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलते हैं.