नई दिल्ली : प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा आयोजित वर्चुअल ग्लोबल वैक्सीन शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे जिसमें 50 से अधिक देशों – व्यापारिक नेताओं, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों, नागरिक समाज, सरकारी मंत्रियों, राष्ट्राध्यक्षों और देश के नेताओं ने भाग लिया।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि भारत इस चुनौतीपूर्ण समय में विश्व के साथ एकजुट होकर खड़ा है।
श्री मोदी ने कहा, भारतीय संस्कृति ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (यानी विश्व एक परिवार है) की शिक्षा देती है और महामारी के दौरान भारत ने इस शिक्षा को जीने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि भारत ने देश में उपलब्ध दवाओं के स्टॉक को 120 से ज्यादा देशों के साथ साझा करके, अपने पड़ोसी देश में एक समान प्रतिक्रिया की रणनीति अपनाकर और सहायता मांगने वाले देशों की मदद करके इस दिशा में ही काम किया। इसके साथ ही भारत अपनी बड़ी जनसंख्या को भी सुरक्षा दे रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने कुछ मायनों में वैश्विक सहयोग की सीमाओं को उजागर कर दिया है और हाल के इतिहास में ऐसा पहली बार है कि मानव जाति को एक स्पष्ट समान शत्रु का सामना करना पड़ा है।
गावी का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह महज वैश्विक गठबंधन नहीं है, बल्कि यह वैश्विक एकजुटता का एक प्रतीक है और यह याद दिलाता है कि दूसरों की सहायता करके ही हम अपनी भी सहायता कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की जनसंख्या काफी ज्यादा है और स्वास्थ्य सुविधाएं सीमित हैं, जिससे रोग प्रतिरक्षण के महत्व का भी पता चलता है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार द्वारा शुरू किए गए शुरुआती कार्यक्रमों में से एक इन्द्रधनुष था, जिसका उद्देश्य दुर्गम इलाकों सहित पूरे देश के बच्चों और गर्भवती महिलाओं का पूर्ण टीकाकरण सुनिश्चित करना था।
उन्होंने कहा कि सुरक्षा के विस्तार के क्रम में भारत ने अपने राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम में छह नए टीकों को शामिल किया है।
प्रधानमंत्री ने विस्तार से बताते हुए कहा कि भारत ने अपनी पूरी वैक्सीन आपूर्ति श्रृंखला का डिजिटलीकरण किया है और अपनी कोल्ड चेन की सत्यनिष्ठा की निगरानी के लिए एक इलेक्ट्रॉनिक वैक्सीन इंटेलिजेंस नेटवर्क विकसित किया है।
उन्होंने कहा कि ये नवाचार सही समय पर सही मात्रा में अंतिम व्यक्ति तक सुरक्षित और प्रभावकारी टीकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत भी टीकों का विश्व स्तर पर अग्रणी निर्माता है और विश्व के लगभग 60 प्रतिशत बच्चों के टीकाकरण में योगदान करना अत्यंत सौभाग्य की बात है।
श्री मोदी ने कहा कि भारत गावी के काम को सराहता है और उसे विशेष महत्व देता है। यही कारण है कि भारत अब भी गावी से सहायता पाने का पात्र होते हुए भी गावी के लिए एक दाता बन गया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की ओर से गावी को सहायता न केवल वित्तीय है, बल्कि भारत की ओर से भारी मांग होने से सभी के लिए टीकों की वैश्विक कीमत भी घट गई है, जिससे पिछले पांच वर्षों में गावी के लिए लगभग 400 मिलियन डॉलर की बड़ी बचत हुई है।
प्रधानमंत्री ने यह बात दोहराई कि कम लागत पर गुणवत्तापूर्ण दवाओं एवं टीकों का उत्पादन करने की अपनी सिद्ध क्षमता, तेजी से बढ़ रहे टीकाकरण में अपने गहन घरेलू अनुभव और अपनी व्यापक वैज्ञानिक अनुसंधान प्रतिभा के साथ भारत पूरी दुनिया के साथ एकजुट होकर खड़ा है।
उन्होंने कहा कि भारत में न केवल वैश्विक स्तर पर किए जा रहे स्वास्थ्य संबंधी प्रयासों में अहम योगदान करने की क्षमता है, बल्कि साझा करने और परवाह करने की भावना के साथ ऐसा करने की प्रबल इच्छाशक्ति भी है।