आलू और सब्जी की खेती से बाबूलाल के परिवार में आई खुशहाली
रायपुर, कृषक अपनी अजीविका के लिए कृषि पर निर्भर रहतेे है लेकिन सिंचाई की सुविधा न होने से वे लाभकारी खेती कर पाने मे असमर्थ रहते हैं। वर्षा आधारित परम्परागत धान की खेती ही अधिकांश कृषकों की नीयति है। मनरेगा के माध्यम से खेतों में कुआं और डबरी बनने से कृषक बारहमासी लाभकारी फसलों की खेती की ओर अग्रसर हो रहे हैं। ‘मनरेगा‘ के माध्यम से गांव-गांव में कराए जा रहे जल संवर्धन के कार्यों विशेषकर किसानों के खेत में सिंचाई कुआं एवं डबरी के निर्माण से खेती-किसानी को संबल मिला है। मनरेगा के अंतर्गत निर्मित कुओं से किसान अब नगदी फसलों की खेती के साथ ही साग-सब्जियों की खेती कर अतिरिक्त आमदनी हासिल करने लगे हैं।
सूरजपुर जिले के ग्राम पंचायत छिन्दिया के कृषक श्री बाबूलाल के जीवन में भी मनरेगा से बना कुआं खुशहाली लेकर आया है। कुएं से सिंचाई की सुविधा मिल जाने से बाबूलाल अब आलू की खेती के साथ-साथ की खेती करने लगे है। इससे उन्हें हर साल में हजारों रूपए की अतिरिक्त आमदनी हासिल होने लगी है। लॉकडाउन के दौरान भी बाबूलाल अपने खेत में लगी सब्जियों को बेचकर 15 से 20 हजार रूपए की अतिरिक्त आय अर्जित आय की है। बाबूलाल के लिए मनरेगा का कुआं आमदनी का जरिया बन गया है।
कृषक श्री बाबूलाल के निजी भूमि पर साढ़े चार लाख रूपए की लागत से बने कुएं से सिंचाई सुविधा मिलने के बाद कृषक श्री बाबूलाल ने आलू की खेती के साथ-साथ विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती करना शुरू किया। इससे बाबूलाल को अतिरिक्त आमदनी होने लगी। इससे पहले बाबूलाल और उसका परिवार परम्परागत रूप से मात्र वर्षा आधारित धान की खेती पर निर्भर था। बाबूलाल अब आलू के साथ-साथ भिण्डी, टमाटर, करेला, बरबट्टी, लौकी आदि की खेती से परिवार की न सिर्फ आर्थिक स्थिति सुधरी है, बल्कि बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने का अवसर भी उपलब्ध हुआ हैं
उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ राज्य में मनरेगा के कार्यों का लाभ व्यक्तिगत और सामुदायिक दोनों स्तर पर लोगों को मिल रहा है। जॉब कार्डधारियों की निजी भूमि पर डबरी निर्माण, निजी तालाब निर्माण, भूमि सुधार, कूप निर्माण, मुर्गी शेड, बकरी शेड, पशु शेड और मिश्रित फलदार पौधरोपण जैसे आजीविका सृजन और संवर्धन होने से ग्रामीणों के जीवन में तेजी से बदलाव आ रहा है। मनरेगा के माध्यम से लोगों के सामाजिक एवं आर्थिक स्थिति में तेजी से सुधार हो रहा है। खेतों में कुआं और निजी डबरी के निर्माण से सिंचाई की सुविधा सृजित होने से किसान अब लाभादायी फसलों की खेती करने लगे है। मनरेगा के माध्यम से किसानों को खेती आधारित आय मूलक गतिविधियों को भी बढ़ावा मिला है।