टिड्डी दल के प्रकोप के रोकथाम के उपायों की संचालक कृषि ने समीक्षा की

मैदानी अमले को अलर्ट रहने के निर्देश

किसानों से फसलों की निगरानी की अपील

 रायपुर, संचालक कृषि श्री टामन सिंह सोनवानी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिले के अधिकारियों से टिड्डी दल के संभावित प्रकोप की रोकथाम के उद्देश्य से किए जा रहे उपायों की विस्तार से जानकारी ली। उन्होंने अधिकारियों को विभाग के मैदानी अमले को अपने-अपने इलाके का निरंतर भ्रमण करने तथा किसानों से सम्पर्क बनाए रखने के निर्देश दिए। संचालक कृषि ने टिड्डी दल के प्रकोप की रोकथाम के लिए किसानों से फसलों की निगरानी तथा एहतियात के तौर पर आवश्यक उपाय भी सुनिश्चित करने की अपील की है। संचालक कृषि ने विभागीय अधिकारियों को जिला एवं अनुभाग स्तर पर निगरानी दल का गठन करने के निर्देश दिए। उन्होंने दल में कृषि, उद्यानिकी, राजस्व, कृषि विज्ञान केन्द्र सहित अन्य विभागों के अधिकारियों को शामिल करने के निर्देश दिए।

संचालक कृषि ने विभागीय अधिकारियों से कहा है कि टिड्डी दल सीमावर्ती राज्य महाराष्ट्र एवं मध्यप्रदेश राज्य से होते हुए छत्तीसगढ़़ राज्य में आने की संभावना है। उन्होंने बताया कि राज्य के सीमावर्ती जिले राजनांदगांव, कबीरधाम, सूरजपुर, बलरामपुर और कोरिया जिले में ज्यादा सतर्कता बरतने की जरूरत है। क्योंकि यह जिले इलाकों से लगे हुए हैं, जहां टिड्डी दल के आने की सूचनाएं मिली है। उन्होंने अधिकारियों को टिड्डी दल से फसलों के नुकसान को बचाने के लिए किसानों को प्राकृतिक उपचार, परंपरागत उपाय एवं रासायनिक उपचार की जानकारी देने तथा इसका व्यापक प्रचार-प्रसार सुनिश्चित करने को कहा है।

वीडियो कॉन्फ्रेंंिसंग के दौरान विभागीय अधिकारियों ने बताया कि किसानों को टिड्डी दल से फसलों के बचाव हेतु लगातार जानकारियां दी जा रही है। उन्हांेने बताया कि किसानों को प्राकृतिक एवं परंपरागत उपाय के साथ ही रासायनिक दवाओं के छिड़काव के बारे में भी बताया जा रहा है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि टिड्डी दल को खेत के ऊपर उड़ते देखते ही घासफूस जलाकर धुंआ करने, पटाका फोड़कर, ध्वनि करने अथवा शोरगुल करने, ट्रेक्टर के साइंलेसर की तेज आवाज, ध्वनि विस्तारक यंत्रों के माध्यम से भोर के समय में ध्वनि अथवा शोरगुल किए जाने की सलाह भी कृषकों को दी जा रही है। इससे टिड्डी दलों को भगाने में मदद मिलती है।  

अधिकारियों ने बताया कि किसानों को टिड्डी दल के प्रकोप की रोकथाम के लिए रासायनिक उपचार के बारे में भी आवश्यक जानकारी दी है। दवाओं का छिड़काव का सबसे उपयुक्त समय रात्रि 11 बजे से सुबह 8 बजे तक होता है। टिड्डी के नियंत्रण हेतु डाईफ्लूबेनज्यूरान 25 प्रतिशत घुलनशील पावडर 120 ग्राम या लैम्बडा-साईहेलोथ्रिन 5 प्रतिशत ईसी 400 मिली या क्लोरोपायरीफॉस 20 ईसी 200 मिली प्रति हेक्टेयर कीटनाशक का छिड़काव किया जाना चाहिए।

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