मासूम ज़ोया फातिमा ने रमज़ान के फर्ज रोज़े को रख कर रोजेदारों में हुई शामिल

रायपुर,कहते है कि इबादत उम्र की मोहताज नही होती, बच्चो को यदि अपने धर्म के संस्कार बचपन से ही उनके पालक देने लगे तो निश्चय ही समाज मे बड़े बदलाव भी देखने को मिलेंगे,
वही रमजान के रोज़े रखने में बड़ों के साथ बच्चे भी शामिल हो रहे। मोहल्ला संजय नगर के सैलानी नगर निवासी मोहम्मद जावेद और शाहीन बेग़म की 6 वर्षीय बेटी ज़ोया फ़ातिमा भी नन्हें रोजेदारों में शामिल हैं। ज़ोया होली क्रॉस पेंशन बड़ा में पढ़ती हैं।

बच्चों का रमज़ान में रोज़ा रखने का जज़्बा बन रहा है मिसाल-


अपना पहला रोज़ा रखने की ज़िद पर पहले तो परिजनों ने बच्ची को समझाया कि वह गर्मी में रोज़ा न रखे। लेकिन वह नहीं मानीं। बच्ची की ज़िद के आगे वालिदैन (माता-पिता) बेबस हो गए। इजाजत मिलते ही ज़ोया ने रोज़ा रखा। शाम को इफ़्तार का वक़्त हुआ तो उसने परिवार के साथ रोज़ा खोला और नमाज़ के बाद अल्लाह से मुल्क में तेज़ी से पांव पसार रहे कोरोना संक्रमण को ख़त्म करने की अल्लाह तआला से दुआ की। इन बच्चों का ये जज़्बा पूरे मुल्क़ के लिए मिसाल है।

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