किसानों को विद्युत वितरण पैकेज से नुकसान आर्थिक पैकेज से विद्युत वितरण कम्पनी सुधार असम्भव
रायपुर/21.05.2020। छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने केन्द्र की भाजपा सरकार पर कोरोना वायरस सक्रंमण काल में भी आर्थिक पैकेज की आड़ में वोटो की राजनीति करने का आरोप लगाया है । प्रवासी मजदूरो के पैरो के छाले और उनकी सड़क हादसों में दर्दनाक मौतो को नजर अंदाज करके भाजपा आने वाले 2024 के चुनाव की अन्दरूनी तैयारी कर रहे है ।
भारत सरकार द्वारा आत्म निर्भर अभियान के आर्थिक पैकेज के अर्न्तगत विद्युत क्षेत्र की विद्युत वितरण व्यवस्था मे सुधार की घोषणा की गई है दिनांक 14.05.2020 को भारत सरकार के ऊर्जा विभाग ने वित्तीय संस्थाएं पावर फाईनेंस कारपोरेन एवं रूरल इलेक्ट्रिफिकेन कारपोरेन के माध्यम से 90 हजार करोड़ रूपये की राशि वितरण कम्पनियों की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिये ऋण देने के प्रस्तावित निर्णय लिया है । परन्तु इस योजना में लाभ के लिये जो शर्ते रखी गई है वह जनता की आंखो में धूल झोकने जैसी है । इन घोषणाओं से सामान्य उपभोक्ता तथा विशेषकर गांव का किसान प्रभावित होगा । विद्युत समवर्तीय सूची का विषय है इस पर हस्ताक्षेप, भारत के संघीय डांचे को नुकसान पहुँचाने वाला होगा । इस योजना का उल्लेख करते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए. इकबाल ने विज्ञप्ति में आगे कहा है कि जिस प्रकार भारत सरकार ने गैस सब्सिडी के नाम पर 360 की गैस सिलेंडर के दाम बढ़ाकर 815 कर दिये और उस पर सबसिडी लगभग 200/- दो माह पश्चात उपभोग के खाते में भेजी जाती है। उसी प्रकार किसानों को भी उनके बिजली दरों वृद्धि करके डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसर्फर स्कीम में अर्न्तगत कड़ी नियमों एवं शर्तों के अर्न्तगत दिया जायेगा । इसमें बहुत सारे पात्र उपभोक्ता छूटेंगे एवं अपात्र व्यक्तियों को लाभ मिलेंगा । किसान वर्ग को सरकारी लाभ डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर के माध्यम से सब्सिडी दी जायेगी । वर्तमान में किसान भारी आर्थिक संकट के दौर से गुजर रहा है । सब्सिडी की राशि समय पर उपलब्ध नहीं हुई तो इससे किसान परेशानी में पढ़ सकता है । किसान के बिजली बिल का भुगतान नहीं होने से सीधे उसकी लाईन काटकर वसूली करनी होगी ।वर्तमान में छ.ग.राज्य शासन किसानो के बिजली बिल के भुगतान का भार लगभग 1500 करोड़ रूपये वार्षिक वाहन कर रही है । इस योजना से यह बात स्पष्ट रूप से समझ में आ रही है कि केन्द्र सरकार राज्य के किसानों पर नियंत्रण सीधे अपने हाथ में लेना चाहती है । किसानों का इसमें लाभ कम है अपितु केन्द्र की भाजपा सरकार की नियत इस कोरोनो वायरस जैसे सक्रंमण काल में भी वोट की राजनीती साफ-साफ दिख रही है । वर्तमान में छ.ग.राज्य विद्युत नियामक आयोग बिजली की दरों का निर्धारण करता है आने वाले दिनो में इस योजना के अर्न्तगत नियामक आयोग के अध्यक्ष का चयन केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जायेगा । इससे मनमर्जी के कारण विद्युत दरे अप्रत्याशित रूप से बढ़ेगी एवं वाणिज्यिक एवं औद्योगिक बिजली की दरों में बढ़ोतरी होने से मंहगाई बढ़ेगी । लिये गये ऋण के ब्याज की राशि भी उपभोक्ताओं से वसूल की जावेगी ।
केन्द्र सरकार द्वारा दी जाने वाली ऋण की राा अधिक से अधिक 10 र्वा के लिये दी जायेगी एवं उनकी ब्याज की दरे अन्य से अधिक होगी एवं यह ऋण की राा कड़ी शर्तों एवं नियम के अर्न्तगत दी जायेगी । छ.ग.प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए.इकबाल ने विज्ञप्ति में केन्द्र की भाजपा सरकार से प्रन किया है कि ऋण का उपयोग केन्द्रीय विद्युत उत्पादक संयंत्र जैसे एन.टी.पी.सी.,एन.एच.पी.सी,पावर ग्रिड कारपोरेन सहित स्वतन्त्र विद्युत उत्पादक एवं गैर पारम्परिक उर्जा स्त्रोत से विद्युत उत्पादन करने वाले विद्युत उत्पादको की बकाया के भुगतान के लिये ऋण दिया जायेगा । वितरण कम्पनी को इस आाय का अधिकार पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वित्तीय संस्था ऋण उपरोक्त राा संस्थाओं को सीधे भुगतान करेंगे । राज्य के विद्युत उत्पादको को इस योजना से वंचित रखना बहुत भेदभावपूर्ण है क्योकि वितरण कम्पनी लगभग 40-50 प्रतित विद्युत की आवयकता राज्य की उत्पादन कम्पनियो से लेकर पूरी करती है । इन शर्तो से छ.ग.राज्य को तेलंगाना प्रदेश को बिजली बेचने के बदले उससे प्राप्त होने वाली राा लगभग 3 से साढ़े तीन हजार करोड़ रूपये की बकाया राा भी प्राप्त करने में परेानी होगी । इस नये कानून के हिसाब से विद्युत वितरण क्षेत्र पूर्णतः वाणिज्यिक प्रबंधन में है जिस पर छ.ग.राज्य नियामक आयोग का पूरा नियंत्रण है । उपभोक्ता को बिजली उपलब्ध कराने में होने वाले सभी खर्चों की वसूली आयोग द्वारा अधिसूचित टैरिफ के माध्यम से की जाती है । विद्युत उत्पादको से बिजली खरीदी में होने वाला व्यय इन खर्चो में प्रमुख है । अनुबंध के अनुसार वितरण कम्पनियों को विद्युत उत्पादको से अनुबंधित क्षमता के आधार पर 40 प्रतित की राा फिक्सड चार्ज के रूप में देनी पड़ती है, भले की उसे बिजली की आवयकता हो या नहीं , उदाहरण के लिये वर्तमान में लाकडाउन के समय में उद्योग एवं वाणिज्यिक संस्थान बंद होने के कारण 30 प्रतित से अधिक विद्युत की मांग में गिरावट होने बावजूद विद्युत उत्पादक को फिक्सड चार्ज का भुगतान करने की अनिवार्यता है । इस अनिवार्यता के कारण विद्युत के उपभोक्ताओं को भी मजबूरी में डिमांड चार्ज का भुगतान करना पड़ रहा है । बिजली कम्पनी अपने सभी खर्चे उपभोक्ता से प्राप्त बिजली बिल की राा के भुगतान से करती है । छ.ग.प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता एम.ए.इकबाल ने विज्ञप्ति में आगे कहा कि कल्याणकारी राज्य के रूप में यदि केन्द्र सरकार फिक्सड चार्ज के रूप में विद्युत उत्पादकों को देय होने वाले खर्चां को वाहन करती है तो इसका लाभ सीधे वर्तमान परिस्थिति मे उन प्रभावित उद्योगो एवं वाणिज्यिक उपभोक्ताओं को प्राप्त होगा । साथ ही साथ प्रवक्ता एम.ए.इकबाल ने पूछा है कि वर्तमान में 23 मार्च के पश्चात पूरा अप्रेल एवं मई महीने में विद्युत उपभोग कम होने कारण राजस्व में भारी गिरावट आई है इसकी भरपाई केन्द्र सरकार को करना चाहिए परन्तु इसका कही कोई उल्लेख नहीं है । इस आर्थिक पेकेज से विद्युत वितरण कम्पनियों में सुधार कैसे होगा ।
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