कवर्धा : मनरेगा से हितग्राहियों के आजीविका संवर्धन के साथ ही ग्रामीणों को रोजगार

कवर्धा, कबीरधाम जिले में मनरेगा के तहत सामुदायिक और व्यक्तिमूलक आजीविका संवर्धन के काम व्यापक स्तर पर शुरू किए गए हैं। आजीविका संवर्धन के इन कार्यों से जहां हितग्राहियों के खेतों में सिंचाई के साधन तैयार किए जा रहे हैं, वहीं कई ग्रामीणों को सीधे रोजगार भी मिल रहा है। लॉक-डाउन के दौर में गांव में ही काम मिलने से श्रमिक राहत महसूस कर रहे हैं। श्रमिकों को समयबद्ध मजदूरी भुगतान ने परिवार के भरण-पोषण की चिंता दूर करने के साथ ही ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी गति दी है। मनरेगा के अंतर्गत अभी कबीरधाम जिले के श्री फिरतू की बाड़ी में कूप (कुआं) निर्माण का काम चल रहा है। पंडरिया विकासखण्ड के पोलमी पंचायत में रहने वाले श्री फिरतू की मांग पर एक लाख 90 हजार रूपए की लागत से सिंचाई के लिए कुआं खोदा जा रहा है। अन्य ग्रामीणों के साथ उनके परिवार के लोग भी इसमें काम कर रहे हैं। कुएं का काम शुरू होने के बाद से अब तक इसमें 180 मानव दिवस रोजगार का सृजन हो चुका है। श्री फिरतू के परिवार के चारों सदस्यों ने भी इस दौरान 96 मानव दिवस काम कर 17 हजार 088 रूपए की मजदूरी प्राप्त की है। मौजूदा लॉक-डाउन में मनरेगा के तहत बन रहे इस कुएं ने श्री फिरतू के साथ चार और परिवारों को सीधे रोजगार उपलब्ध कराया है।

कबीरधाम जिले के बोड़ला विकासखण्ड के समनापुर निवासी श्री गौतर सिंह के खेत में भी सिंचाई के लिए अभी डबरी निर्माण का काम चल रहा है। मनरेगा के अंतर्गत इस काम के लिए एक लाख 24 हजार रूपए मंजूर किए गए हैं। इसमें अभी तक गांव के 60 परिवारों को पांच सप्ताह का रोजगार मिल चुका है। कोविड-19 के चलते लागू लॉक-डाउन के बीच हितग्राही श्री गौतर सिंह के आजीविका संवर्धन के लिए बन रहे इस डबरी से 721 मानव दिवस रोजगार सृजित हुआ है। इसमें काम करने वाले श्रमिकों को एक लाख 10 हजार 146 रूपए की मजदूरी मिली है। श्री गौतर सिंह के परिवार ने भी अपने खेत में निर्माणाधीन डबरी में 38 दिन काम किया है। इसकी मजदूरी के रूप में परिवार को 7220 रूपए मिले हैं। इन दोनों निर्माण कार्यों में लगे मजदूर कोविड-19 से बचाव के लिए मुंह में गमछा लपेटकर या मास्क लगाकर एक-दूसरे से निर्धारित शारीरिक दूरी रखते हुए कार्य कर रहे हैं। दोनों कार्यस्थलों पर साबुन से हाथ धुलाने की भी व्यवस्था की गई है। कुआं और डबरी निर्माण से जहां काम के इच्छुक श्रमिकों को इस संकट काल में रोजगार मिल रहा है, वहीं श्री फिरतू और श्री गौतर सिंह जैसे छोटे किसानों के लिए सिंचाई के साधन तैयार हो रहे हैं। वर्षा जल संग्रहण और सिंचाई के इन संसाधनों के निर्माण से खेती पर निर्भर इन दोनों किसानों की आजीविका मजबूत होगी। अल्प वर्षा या बारिश नहीं होने की स्थिति में भी उनके खेतों में फसल लहलहाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *