ना किसानों की चिंता, ना गरीबों की फिक्र, राजनैतिक लाभ और चावला संकट के चलते केंद्रीय पुल में चावल लेना मोदी सरकार की मजबूरी है
रायपुर/16 अगस्त 2023। केंद्रीय पूल में छत्तीसगढ़ से 86 लाख मिट्रिक टन चावल खरीदने की अनुमति को लेकर भाजपा नेताओं की बयानबाजी पर सवाल उठाते हुए प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 2020-21 में केंद्र की मोदी सरकार ने पहले छत्तीसगढ़ से 60 लाख़ मिट्रिक टन चावल केंद्रीय पूल में खरीदने की अनुमति दी थी, लेकिन बाद में छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं के बरगलाने के कारण छत्तीसगढ़ से केंद्रीय पुल में चावल का कोटा घटाकर मात्र 45 लाख मिट्रिक टन कर दिया गया जिसके चलते भूपेश सरकार छत्तीसगढ़ के किसानों से 2500 रूपए प्रति क्विंटल में खरीदे गए धान को 1300 और 1400 प्रति क्विंटल की दर में नीलाम करने बाध्य हुई। केंद्र की मोदी सरकार के वादाखिलाफी, अड़ंगे और व्यवधान के चलते छत्तीसगढ़ को हजारों करोड़ का नुकसान हुआ लेकिन किसान हितैसी भूपेश सरकार ने किसानों का अहित नहीं होने दिया। 2019-20 में छत्तीसगढ़ के ही भाजपा नेताओं ने बार-बार केंद्रीय मंत्रियों और देश के प्रधानमंत्री से यह शिकायत की कि भूपेश बघेल सरकार जो राजीव गांधी किसान न्याय योजना के माध्यम से 9000 और 10000 रुपया प्रति एकड़ इनपुट सब्सिडी दे रही है वह एमएसपी के अतिरिक्त है, भारतीय जनता पार्टी के नेता दलीय चाटुकारिता में अपने संसाधनों से भूपेश सरकार द्वारा किसानों को दी जा रही इनपुट सब्सिडी को रोकने तमाम तरह के षड्यंत्र रचे जिसके चलते 2019- 20 मे केंद्रीय पुल में 61 लाख मिट्रिक टन से घटाकर 45 लाख मिट्रिक टन कर दिया। केंद्र की मोदी सरकार देश की पहली और इकलौती किसान विरोधी सरकार है जिसने राज्य सरकारों के द्वारा अपने संसाधनों से अपने किसानों को दी जाने वाले बोनस की राशि देने से रोका, केंद्रीय पुल में चावल खरीदी की लिमिट तय की, कभी उसना तो कभी अरवा की शर्त लगाई। 2014 में मोदी सरकार आने से पहले राज्य सरकारों द्वारा उपार्जित अतिरिक्त धान और चावल को केंद्रीय पुल में प्रतिबंधित करने का कोई प्रावधान नहीं था और ना ही राज्य सरकारों के द्वारा अपने संसाधनों से दिए जाने वाले अतिरिक्त सहायता पर कोई रोक थी। यदि भाजपाइयों को छत्तीसगढ़ के किसानों की फिक्र है तो जिस प्रकार से पंजाब और हरियाणा के किसानों से केंद्र सरकार की एजेंसी एफसीआई के माध्यम से धान खरीदी करती है उसी तरह छत्तीसगढ़ में भी खरीदें।
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि देश और दुनिया में चावल के घटते उत्पादन और अपने वेलफेयर स्कीमो के लिए चावल की कमी से मोदी सरकार चिंतित है, मजबूरीवश अब छत्तीसगढ़ से केंद्रीय पूल की लिमिट बढ़ाने की बात कर रही है। सर्व विदित है कि विगत दिनों कर्नाटक सरकार द्वारा “अन्ना भाग्य“ योजना के लिए केंद्र सरकार से चावल मांगे जाने पर स्टॉक की कमी का बहाना करके इनकार कर दिया गया। स्पष्ट है कि केंद्र की मोदी सरकार को ना गरीबों से सरोकार है न ही किसानो से। किसान विरोधी मोदी सरकार ने पहले कनकी का निर्यात रोका, चावल निर्यात पर 10 प्रतिशत सेंट्रल एक्साइज लगाए फिर 20 जुलाई 2023 से गैर बासमती चावल के निर्यात पर रोक लगा दी गई जिससे देशभर के किसान खुले बाजार में धान की कीमत गिरकर 1000 से 1200 रूपए प्रति क्विंटल पर बेचने मजबूर हुए। धान की खेती में अधिक परिश्रम और मोदी निर्मित महंगाई से बढ़ती लागत के चलते जहां देश और दुनिया के किसान धान की खेती से दूर हो रहे हैं वहीं छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है जहां के 88 प्रतिशत मेहनतकश किसान धान की ही पैदावार लेते हैं। छत्तीसगढ़ में 20 हजार से अधिक धान की ही किस्मों का उत्पादन होता है लेकिन केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा के नेता छत्तीसगढ़ के किसानों के साथ केवल धोखा ही किए हैं।