अर्जुनी। आज शुक्रवार पांचवा विश्व साइकिल दिवस मनाया जा रहा है। अंचल के ग्राम रावन के योग शिक्षक दीपक कुमार वर्मा बताते हैं वे अपने साइकिल के चैन कंवर में साइकिल की सवारी ना, प्रदुषण ना बिमारी । सन् 2018 से लिखवाया है जो अभी भी लिखा हुआ है वे लोगों को पर्यावरण संरक्षण के प्रति ध्यानाकर्षण करा रहे हैं। योग कक्षा और शिविरों में उत्तम परिवहन साइकिल के प्रति हमेशा से जागृत करते रहते हैं । वर्मा प्रतिदिन साइकिल चलाते हैं। साइकिल हल्का और गिरने से चोट कम लगती है । साईकिल बिना लाइसेंस, परिवहन का एक सरल, सस्ता, विश्वसनीय और पर्यावरण के अनुकूल साधन है। साइकिल विकास के लिए एक उपकरण और शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और खेल तक पहुंच के स्रोत के रूप में काम कर सकती है। साइकिल का उपयोग उपयोगकर्ता को स्थानीय पर्यावरण के बारे में तत्काल जागरूकता प्रदान करता है। साइकिल टिकाऊ परिवहन और पेट्रोल, डीजल की महंगाई दौर में ईंधन की बचत का प्रतीक है। विश्व साइकिल दिवस के दिन संगठनों, मंचों के मध्यम संस्थानों , स्कूलों, कालेजों में छात्रों को साइकिल के लाभों के बारे में भाषणों से प्रेरित किया जाता है। राज्य सरकार भी स्कूलों में छात्राओं को प्रत्येक वर्ष साईकिल वितरण करते है। हमारे देश में ज्यादातर परिवारों के पास साइकिल जैसे यातायात का सुविधा उपलब्ध था। यह व्यक्तिगत यातायात का सबसे ताकतवर और किफायती साधन थे। गांवों में किसान साप्ताहिक मंडियों तक सब्जी और दूसरी फसलों को साइकिल से ही ले जाते थे। कई उत्पादों जैसे दूध की सप्लाई गांवों से पास से कस्बाई बाजारों तक साइकिल के जरिये ही,और अभी भी होती है। डाक विभाग का तो पूरा काम-काज साइकिल से ही चलता था । दैनिक अखबार पत्र आज भी कई क्षेत्रों में और पोस्टमैन साइकिल से चिट्ठियां देने जाते है। वही जहां कारें चलाने वाला इंसल्ट समझते थे,वो अब पर्यावरण संरक्षण और स्वास्थ्य के लिए इनका प्रचलन और बढ़ गया है।योग शिक्षक वर्मा सभी लोगों को लम्बे समय तक साइकिल चलाने का आग्रह किया।