रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा है कि एक तरफ़ मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ग्रामीण क्षेत्रों में निजी अस्पतालों को अनुदान देने की बात करके प्रदेश की जनता को झुनझुना थमाकर गॉसिप कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ़ प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में मूलभूत सुविधाएँ बंद कर दी गई हैं। श्री चंद्राकर ने कहा कि सरकार ने प्रदेश का ख़ज़ाना इतना खाली कर दिया है कि अब सरकार के पास अपने सरकारी अस्पतालों को देने के लिए भी पैसे नहीं रह गए हैं। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अंबेडकर अस्पताल के एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में पाँच माह पहले शुरू की गई ओपन हार्ट सर्ज़री फ़ंड के अभाव में बंद कर दिए जाने के कारण पिछले चार माह में सर्ज़री के 200 से अधिक मरीजों को लौटाया जा चुका है।
भाजपा प्रदेश प्रवक्ता व पूर्व मंत्री चंद्राकर ने केंद्र सरकार और भाजपा की पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार की स्वास्थ्य सुविधाओं व योजनाओं के क्रियान्वयन पर राजनीतिक प्रतिशोध के चलते लगाई गई रोक और अड़ंगेबाजी का उल्लेख कर कहा कि प्रदेश की जनता कांग्रेस सरकार के इस ग़ैर-ज़िम्मेदाराना रवैए के कारण दर-दर भटक रही है और निजी अस्पतालों के लाखों रुपए के बिल भरने के मज़बूर हो रही है। एक तरफ़ तो युनिवर्सल हेल्थ स्कीम का कहीं अता-पता तक नहीं है, वहीं दूसरी तरफ़ जो अस्पताल चल रहे हैं, उनमें भी ठीक तरह से इलाज नहीं हो रहा है। श्री चंद्राकर ने कहा कि जब राजधानी में स्थित प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल का यह हाल है तो प्रदेश के बाकी इलाक़ों में सरकारी अस्पतालों को क्या हाल हुआ होगा, इसकी सहज कल्पना की जा सकती है। प्रदेश में कांग्रेस की सरकार के आने के बाद स्वास्थ्य सेवाएँ ठप हो गई हैं और लोगों को निजी अस्पतालों पर निर्भर होना पड़ रहा है।
चंद्राकर ने कहा कि सर्ज़री के लिए ज़रूरी उपकरणों की ख़रीदी तक के लिए प्रदेश सरकार फ़ंड नहीं दे पा रही है और वेंडर्स के लगभग एक करोड़ रुपए बकाए का भुगतान नहीं होने के कारण उन्की ओर से उपकरण देने बंद कर दिया गया है। ये हालात प्रदेश की कांग्रेस सरकार की साख पर बट्टा लगाने के लिए पर्याप्त हैं और प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव व्यवस्थाओं व प्रक्रियाओं को दुरुस्त करने का झुनझुना बजाकर प्रदेश सरकार की नाक़ामियों पर पर्दा डालने में लगे हैं।
चंद्राकर ने कहा कि प्रदेश सरकार जनस्वास्थ्य जैसे संवेदनशील मुद्दे पर भी आपराधिक स्तर की लापरवाही का परिचय दे रही है, और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल व स्वास्थ्य मंत्री सिंहदेव कोई ठोस स्वास्थ्य व चिकित्सा सुविधा का ढाँचा तक खड़ नहीं कर पाए हैं। छत्तीसगढ़ को वित्तीय रूप से कंगाल करके जनता को उपलब्ध सुविधाओं को ख़त्म करने पर आमादा प्रदेश सरकार को इस बात पर शर्म कब महसूस होगी कि वह अस्पतालों में शुरू की गई सेवाओं को सतत जारी रखने में बज़ट का रोना रो रही है और प्रदेश का ख़ज़ाना लुटा रही है।