रायपुर : रानी दुर्गावती भारतीय इतिहास की ऐसी वीरांगना थी, जिन्होंने अपने जीवन में काफी संघर्ष किया और राज्य की रक्षा के लिए कई लड़ाईयां भी लड़ीं और फिर मुगलों से युद्ध कर वीरगति को प्राप्त हुई। उनके शासन काल में गोंडवाना राज्य एक समृद्ध और खुशहाल राज्य था। रानी दुर्गावती का प्रशासन भारतीय इतिहास का एक स्वर्णिम अध्याय माना जाता है। यह बात राज्यपाल सुश्री अनुसुईया उइके ने आज वन साहित्य अकादमी एवं कृष्ण राव सप्रे शोध संस्थान द्वारा वीरांगना रानी दुर्गावती के बलिदान दिवस के अवसर पर आयोजित वेबिनार को संबोधित करते हुए कही।
राज्यपाल ने वीरांगना रानी दुर्गावती को उनके बलिदान दिवस पर नमन करते हुए कहा कि रानी दुर्गावती ने अपने 15 साल के शासन काल में एक कुशल शासिका के रूप में अपनी प्रजा की भलाई के लिए भी कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। वर्तमान जबलपुर उनके राज्य का केन्द्र था। भारतीय इतिहास में जब कभी भी किसी वीरांगना के शौर्य और वीरता की बात की जाती है तो रानी दुर्गावती का नाम अग्रणी रूप से लिया जाता है।
उन्होंने कहा कि रानी दुर्गावती ने अपने राज्य में यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के लिए नई सड़कों का निर्माण एवं पर्यावरण की रक्षा के लिए हरे पेड़-पौधे एवं बाग बगीचे लगवाए साथ ही पानी की उचित व्यवस्था के लिए जगह-जगह कुंए, बाबड़ियों आदि खुदवाए एवं मंदिरों भवनों और धर्मशालाओं का निर्माण करवाया।
सुश्री उइके ने कहा कि वह धार्मिक, सद्चरित्र शासिका होने के कारण अनावृष्टि अथवा अकाल के समय लगान से कृषकों मुक्ति प्रदान करती थी। रानी दुर्गावती स्वभाव से सद्चरित्र, उदार एवं धार्मिक महिला थी। उसके हृदय में धर्म के प्रति सम्मान की भावना थी। रानी दुर्गावती ने अपने राज्य की रक्षा के लिए आखिरी सांस तक साहस से लड़ती रही और अपने प्राणों की आहूति दी। उनके जीवन से हर परिस्थिति में साहस और धैर्य से काम लेने की प्रेरणा मिलती है।