आइये आज बात करते है काल सर्प योग की. काल सर्प का नाम आते ही लोगो के मन में भय व्याप्त हो जाता है. ज्योतिष के अनुसार जब जन्म कुंडली में सारे ग्रह राहु और केतु के बीच आ जाते है तब काल सर्प योग बनता है. इस योग की वजह से जातक को अनेक प्रकार की परेशानियाँ से गुजरना पढता है. मान्यताओ के अनुसार पीड़ित व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान तो होता ही है, मुख्य रूप से उसे संतान संबंधी कष्ट होता है। या तो उसे संतान होती ही नहीं, या होती है तो वह बहुत ही दुर्बल व रोगी होती है। उसकी रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है। धनाढय घर में पैदा होने के बावजूद किसी न किसी वजह से उसे अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति होती रहती है। तरह तरह के रोग भी उसे परेशान किये रहते हैं।
ऐसे तो काल सर्प योग के कई प्रकार होते है जैसे की अनन्त कालसर्प योग, कुलिक कालसर्प योग, वासुकी कालसर्प योग, शंखपाल कालसर्प योग, पद्म कालसर्प योग आदि इन योगे के हिसाब से पीड़ित को तरह तरह की तकलीफे भी होती है, वही कुछ ज्ञानियों कमानना है की इस योग से कई व्यक्तियों ने बहुत तरक्की भी की है.
काल सर्प दोष के उपाय
जिन जातको को काल सर्प दोष है वे इस शिव गायत्री मंत्र ‘ॐ तत्पुरुषाय विद्महे, महादेवाय धीमहि तन्नोरुद्र: प्रचोदयात् ‘ का जाप कर सकते है.
सूर्योदय और सूर्यास्त के समय कुछ ना खाएं, जल ग्रहण कर सकते हैं
प्रतिदिन शिवजी का जल से अभिषेक करें और बेलपत्र चढ़ाएं
शिवलिंग पर चांदी का नाग अर्पित करें
शिवरात्रि पर शिवजी का महाअभिषेक करवाएं
घर में मोरपंख रखें
पवित्र नदी में छोटे से चांदी के नाग-नागिन बनवाकर बहा देना चाहिए।