रायपुर। लघु और मध्यम स्तर के उद्यमियों को खनन व्यवसाय में सक्रीय भागीदारी की आवश्यकता है जिसे लेकर पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित वर्चुअल छत्तीसगढ़ माइनिंग समिट में एम. नागराजू, आईएएस, अपर सचिव, कोयला मंत्रालय, भारत सरकार ने अपने उद्बोधन में कहा कि राज्य और केंद्र सरकार को लघु और मध्यम स्तर के उद्यमियों की खनन व्यवसाय में सक्रीय भागीदारी की आवश्यकता है।
खनन व्यवसाय में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल से देश एवं क्षेत्र के विकास में मदद मिलेगी। स्चच्छता के लिए आवश्यक है कि कचरे का उचित प्रबंधन हो एवं देश स्वच्छ और हरा-भरा रहे। समय की मांग है कि पर्यावरण के अनुकूल तकनीक का इस्तेमाल अधिक से अधिक किया जाए जिससे कार्बन उत्सर्जन को कम किया जा सके ।
एम. नागराजू ने सुझाव दिया कि खनन उद्योग में पूंजी निवेश बढ़ने के लिए माध्यम वर्गीय शहरों एवं व्यापारियों को शामिल किया जाना चाहिए। दक्षता के अनुकूलन के लिए, उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को बड़ी खदानों की नीलामी करनी चाहिए ताकि व्यवसाय में निवेश हो तथा कच्चे माल की आपूर्ति हो, इससे उद्योगों के विभिन्न क्षेत्रों में लाभ होगा ।
औद्योगिक नीतियों तथा भविष्य की संभावनाओं का सिंहावलोकन करते हुए उन्होंने भारत की औद्योगिक गतिविधि, प्रगति और विकास के परिपेक्ष्य में उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ देश के लिए विशेष रूप से खनन क्षेत्र में महत्वपूर्ण है जो राज्य और राष्ट्र के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
खनन से अधिकाधिक रोजगार उत्पन्न किया जा सकता है जो अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। यह एक राज्य को सुरक्षित राजस्व प्रदान करता है जिससे राज्य उपलब्ध धन के आधार पर विभिन्न परियोजनाओं की योजना बनाकर उसे सुचारु रूप से क्रियान्वित कर सके ।
अपने उद्बोधन में श्री एम. नागराजू ने केंद्र और राज्य स्तर पर व्यावसायिक परम्पराओं का पालन करते हुए उन्हें पारदर्शी एवं रोजगारोन्मूलक बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य कोयले के क्षेत्र में अग्रणी भूमिका निभा सकता है ।
उन्होंने खदानों के संचालन की बात करते हुए कहा कि राज्य सरकारों को आगे बढ़कर कोयला खदानों के त्वरित संचालन के लिए उद्यमियों के साथ साझेदारी करना चाहिए।
स्वप्निल गुप्ता, एसोसिएट डायरेक्टर, माइनिंग एडवाइजरी प्रैक्टिस, प्राइसवाटरहाउसकूपर्स प्राइवेट लिमिटेड ने छत्तीसगढ़ राज्य के खनन क्षमता के बारे में गहन जानकारी दी, राज्य की खनन क्षेत्र में आत्म निर्भरता पर उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ खनन क्षेत्र में अग्रणी होने की ओर अग्रसर है। उन्होंने उल्लेख किया कि प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन, पूंजी और निवेश; कुशल मानव संसाधन; तकनीकी और नवाचार आदि से छत्तीसगढ़ राज्य खनन क्षेत्र में अग्रणी हो सकता है।
पी एच डी चैम्बर के राष्ट्रिय अध्यक्ष श्री संजय अग्रवाल, ने अपने अध्यक्षीय भाषण में महामारी की दूसरी लहर के कारण राष्ट्र के सामने आने वाले संकट पर चिंता व्यक्त करते हुए आश्वासन दिया कि पी एच डी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री देश और सरकार के साथ पूरी एकजुटता के साथ यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि भारत आने वाले समय में एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बने। उन्होंने छत्तीसगढ़ में खनन क्षेत्र के विकास के लिए अपनी प्रगतिशील नीतियों और निरंतर प्रयासों के लिए भारत सरकार की सराहना की, जो संसाधनों के मामले में सबसे अमीर भारतीय राज्य रहा है।
अग्रवाल ने उल्लेख किया कि खनन क्षेत्र में भारत सरकार के साहसिक संरचनात्मक सुधारों ने परिणाम देना शुरू कर दिया है और भारत अब खनन, कोयला और इस्पात क्षेत्रों में आत्म निर्भर बनने की राह पर है। सुधारों से प्रतिस्पर्धा, पारदर्शिता, निजी क्षेत्र की भागीदारी और विदेशी निवेश में वृद्धि की शुरुआत करके विभिन्न खनिजों के उत्पादन को बढ़ावा मिलने की संभावना है। हम आशा करते हैं कि खनिज उत्पादक राज्यों की राज्य सरकारें भी इन सुधारों से अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए अपना योगदान देंगी।
अनिल के. चौधरी, अध्यक्ष, खनिज एवं खनन समिति, पीएचडीसीसीआई ने अपने वक्तव्य में कहा कि हमें देश के विभिन्न राज्यों की खनिज शक्ति का उचित विश्लेषण और उपयोग करने की आवश्यकता है। छत्तीसगढ़ में सर्वोत्तम गुणवत्ता में खनिज शक्ति की प्रचुरता है जिसका नियोजित और रणनीतिक तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता है।
पीएचडीसीसीआई के खनिज और खनन समिति के सह-अध्यक्ष, श्री नवीन जिंदल, ने सभी प्रतिनिधियों और प्रतिभागियों को औपचारिक धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए उल्लेख किया कि कोयला मंत्रालय द्वारा की गई पहल और कदम अत्यधिक सराहनीय हैं इसके अच्छे परिणाम आएंगे। खनन क्षेत्र के विकास के लिए राज्य और केंद्र को एक साथ आने की जरूरत है। भारतीय अर्थव्यवस्था तेज गति की ओर बढ़ रही है और हमें देश के लिए खनिज संसाधनों का बहुत अधिक योगदान है।
जेएसपीएल के प्रबंध संचालक श्री वी आर शर्मा, ने छत्तीसगढ़ सरकार से छत्तीसगढ़ में उत्पादित लौह अयस्क को राज्य में संचालित इस्पात संयंत्रों को देने की अनुमति देने का आग्रह किया। विजय झंवर, प्रबंध संचालक, व्रज मेटालिक्स ने सुझाव दिया कि लौह अयस्क और अन्य कच्चे माल का निर्यात नहीं किया जाना चाहिए और केवल तैयार माल को निर्यात करने की अनुमति दी जानी चाहिए।
पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा आयोजित शिखर सम्मेलन को डीएलएफ इंडिया; मुल्तानी फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड; यूफ्लेक्स लिमिटेड; जेके टायर एंड इंडस्ट्रीज लिमिटेड; मार्बल सिटी; पैरामाउंट केबल्स लिमिटेड; एसएमसी इन्वेस्टमेंट्स एंड एडवाइजर्स लिमिटेड; ब्लॉसम कोचर अरोमा मैजिक; कॉमटेक इंटरियो; डीसीएम श्रीराम इंडस्ट्रीज लिमिटेड; रेडिको खेतान लिमिटेड; अजीत इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड; सिनर्जी एनवायरोनिक्स लिमिटेड; टिम्बरवर्क्ज़, इफको, जेएसपीएल और व्रज मेटालिक्स इन्वेस्ट इंडिया ने प्रायोजक के रूप में सहयोग दिया।
सम्मलेन में पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव श्री सौरभ सान्याल सहित देश भर के कई उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया। सम्मलेन का सञ्चालन पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के महासचिव डॉ. योगेश श्रीवास्तव, द्वारा किया गया।