रायपुर,छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवम पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेंद्र पप्पू बंजारे ने शहीद दिवस पर महान क्रांतिकारी भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव को कोटि कोटि नमन करते हुये कहा कि शहीद आजम भगत सिंह जैसा दीवाना इस देश को दोबारा नही मिला। 23 मार्च को ब्रिटिश साम्राज्यवाद ने फ़ाँसी के तख्ते पर लटकाया था। उनकी देशभक्ति की शौर्य गाथा आज भी अगर कोई पढ़ ले तो वो देश से प्रेम करने लगेगा। भगत सिंह के क्रांतिकारी विचारों का यही एक मात्र सच है।
धन्य है वो माँ जिनके गोख से ऐसे माँ भारती के लाल पैदा हुये जिनके नाम मात्र सुनकर खून में उबाल आने लगता है।
कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने उनके वीरगाथा को बताया कि 23मार्च का दिन शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। साल 1931 को आज ही के दिन भारत में ब्रिटिश हुकूमत को उखाड़ फेंकने में अपना अहम किरदार निभाने वाले तीन महान क्रांतिकारी भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को फांसी पर लटकाया गया था। उनकी याद में हर साल 23 मार्च को बलिदान दिवस के रूप में मनाया जाता है, ताकि उनके बलिदान को देश हमेशा याद रखे।
जब भगत सिंह को फांसी पर चढ़ाया गया उस समय भगत सिंह महज 23 साल के थे। लेकिन उनके क्रांतिकारी विचार बहुत व्यापक और आला के दर्जे के थे। न केवल उनके विचारों ने लाखों भारतीय युवाओं को आजादी की लड़ाई के लिए प्रेरित किया, बल्कि आज भी उनके विचार युवाओं का मार्गदर्शन करते हैं।
इंकलाब का नारा बुलंद करने वाले भगत सिंह अपने आखिरी समय में भले ही अंग्रेजी हुकूमत की बेड़ियों में जकड़े थे लेकिन उनके विचार आजाद थे वे कहते थे कि बेहतर जिंदगी सिर्फ अपने तरीकों से जी जा सकती हैं। यह जिंदगी आपकी है और आपको तय करना है कि आपको जीवन में क्या करना है। भगत सिंह कहा करते थे, मैं एक ऐसा पागल हूं, जो जेल में भी आजाद है और मेरी गर्मी से ही् राख का हर एक कण गतिमान हैं।
भगत सिंह जीवन के लक्ष्य को महत्व देते
कांग्रेस प्रदेश सचिव राजेन्द्र बंजारे ने आगे बताया कि तीनों महान क्रांतिकारी वतन के लिए त्याग और बलिदान उनके लिए सर्वोपरि रहा। वे कहते थे कि एक सच्चा बलिदानी वही है जो जरुरत पड़ने पर सब कुछ त्याग दे। भगत सिंह स्वयं अपनी निजी जिंदगी से प्रेम करते थे, उनकी भी महत्वाकांक्षाएं थी, सपने थे। लेकिन वतन पर उन्होंने अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया।
भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के जीवन से हमें देशभक्ति की प्रेरणा मिलती है। साथ में उन महान क्रांतिकारियों के जीवन से हम यह भी सीख सकते हैं कि अगर देश की आन, बान और शान के खिलाफ कोई ताकत खड़ी होती है तो हमें बल के साथ-साथ वैचारिक रूप से भी उसे कुचलने की आवश्यकता है। क्योंकि विचार कभी मरते नहीं है। बेशक इसके लिए गहन अध्ययन की भी आवश्यकता होती है।