रायपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग को सचिव को पत्र लिखकर आयोग द्वारा हाल ही सहायक संचालक (कृषि) और सहायक प्राध्यापक आदि के लिए आयोजित परीक्षाओं में हुईं अनियमितताओं की ओर ध्यान आकृष्ट कर इन मसलों के त्वरित समाधान की मांग की है। श्री कौशिक ने कहा कि आयोग द्वारा आयोजित सहायक संचालक कृषि की परीक्षा में 14 प्रश्न विलोपित व तीन प्रश्न संशोधित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त सिविल जज, सहायक प्राध्यापक, सहायक अभियंता आदि परीक्षाओं में भी परीक्षा केंद्र में थम्ब इम्प्रेशन, वीडियोग्राफ़ी, इलेक्ट्रॉनिक ग़ज़ट से जाँ च नहीं करके पारदर्शिता नहीं बरती गई है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि इन परीक्षाओं में कई प्रश्नों के उत्तर सही होने के बाद भी विलोपित कर दिए गए हैं और इस संबंध में उच्च न्यायालय के 15 नवंबर, 2019 के निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। भारी संख्या में प्रश्नों के विलोपन व संशोधन से राज्य लोक सेवा आयोग की प्रतिष्ठा और छवि को ठेस पहुँची है, अत: इस पूरे मामले को संज्ञान में लेकर पुन: इसकी जाँच कराई जाए ताकि युवाओं के भविष्य के साथ किसी तरह का खिलवाड़ न हो। श्री कौशिक ने अभ्यर्थियों की शिकायत का हवाला देकर आशंका जताई कि प्रदेश सरकार के इशारे पर आयोग इन परीक्षाओं को लेकर विवाद की स्थिति पैदा कर रहा है, ताकि क़ानूनी प्रक्रिया से उसके समाधान तक प्रदेश सरकार शिक्षित बेरोज़गार युवकों को रोज़गार देने से बच सके। प्रदेश सरकार और आयोग इस साजिशाना हरक़त से बाज आए तो और फ़ौरन इन परेशान अभ्यर्थियों की आपत्तियों के निराकरण को लेकर सचेष्ट हो।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने कहा कि बस्तर से लेकर रायगढ़ तक आयोग की लापरवाही से अभ्यर्थी नाराज़ और परेशान हैं। अभ्यर्थियों की आपत्तियों का आयोग ने सही ढंग से निराकरण नहीं किया, जिसके चलते उन्हें काफी नुक़सान उठाना पड़ रहा है। इसी तरह दावा-आपत्तियों के लिए प्रति प्रश्न लिया जाने वाला शुल्क भी आपत्ति सही होने के बाद भी नहीं लौटाया जाता। इन अभ्यर्थियों को पोर्टल चार्ज और दस्तावेज़ मुहैया कराने में भी काफी ख़र्च करना पड़ता है। श्री कौशिक ने तंज कसा कि प्रदेश सरकार एक तो बेरोज़गारों को साथ क़दम-क़दम पर छलावा कर ही रही है, बेरोज़गारी भत्ते के नाम पर युवकों को ठेंगा दिखाने में ज़रा भी शर्म महसूस नहीं कर रही है, ऊपर से बेराज़गार अभ्यर्थियों पर इन सबसे आर्थिक भार लाद रही है।