महिला समूह की महिलाओं ने अपने मेहनत से बंजर जमीन को बनाया खेती भूमि
सरकार की योजनाओं से आर्थिक उन्नति की ओर बढ़ता कबीरधाम
कवर्धा, महिलाएं अबला नहीं सबला है। इस कहावत को सच साबित कर दिखाया है कबीरधाम जिले की महिला स्वसहायता समूह की सदस्यों ने। पांच अलग-अलग महिला स्वसहायता समूह की सदस्यों ने अपनी दिन-रात की कड़ी मेहनत से पांच एकड़ खाली बंजर जमीन को खेती जमीन के लिए तैयार कर लिए है। इस खेती भूमि में अब सभी महिलाओं ने पांच अलग-अलग प्रकार की सब्जियों का रोपड़ भी कर लिया है। यह सब संभव हुआ छत्तीसगढ़ सरकार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने वाली योजनाओं से। प्रदेश सरकार की योजनाओं से कबीरधाम जिले की महिला स्वसहायता समूह महिला सशक्तिकरण की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही हैं। कबीरधाम जिले की इस अभिनव पहल से पांच महिला स्वसहायता समूहों की लगभग 200 सौ से अधिक महिलाओं को प्रत्यक्ष लाभ मिलेगा। इसके अलावा महिलाओं की परिवारों को भी आर्थिक लाभ मिलेगा। श्री साईराम महिला स्वसहयता समूह की अध्यक्ष द्रोपति मानिकपुरी, राधारानी समूह अध्यक्ष श्रीमती लक्ष्मी राव, भारत माता स्व सहायता समूह की अध्यक्ष सुश्री सुनिता श्रीवास,मां दुर्गा समूह अध्यक्ष सुश्री राजबाई पटेल और कुकमुम भाग्य समूह अध्यक्ष श्रीमती पार्वती धुर्वे ने मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल और वनमंत्री तथा कवर्धा विधायक श्री मोहम्मद अकबर को धन्यवाद देते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा ग्रामीण महिलाआंें को आगे बढ़ने के लिए सुनहरा अवसर दिया जा रहा है।
कवर्धा जिला मुख्यालय से लगभग आठ किलोमीटर दूरी पर स्थित है इस जिले का समृद्ध पंचायत राजानवागांव। इस गांव में ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रूपए की लागत मल्टीयूटिलिटी केन्द्र का निर्माण किया गया है। इस केन्द्र में महिला सशक्तिकरण को आगे बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे है। महिलाएं सम्मान के साथ अपनी आमदानी बढ़ा सके इसके लिए उन्हे अजीविका मिशन से जोड़ा भी जा रहा है। इस केन्द्र के आसपास लगभग 9 एकड़ के करीब बंजर भूमि थी। महिलाओं को सशक्ति करण की दिशा में जोड़ने का प्रयास इस ग्राउंड स्तर से शुरू किया गया। इस गांव के आसपास के महिलाओं को एकजुड किया गया और सरकार की प्रभावी योजनाओं से रूबरू कराए गए। महिलाएं तैयार हुई और नौ महिला स्वसहायता समूह तैयार की गई। इन समूहों में कुमकुम भाग्य महिला समूह, साईराम महिला समूह, भारतमाता महिला समूह, मां दूर्गा महिला समूह, जय गंगा मईया महिला स्वसहायता समूह तैयार की गई। इन सभी समूहों की महिलाओं को मल्टी यूूटिलिटी प्रशिक्षण केन्द्र से बंजर जमीन को कृषि भूमि के रूप में तब्दील करने के लिए तैयार किया गया। महिलाओं को एक्सटेंशन रिफॉर्म्स (आत्मा) योजनांतर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण भी दिए गए। महिलाओं के तकनीकि खेती के साथ-साथ नगद खेती और खेती से होने वाले मुनाफे के बारे में बताया गया। सभी महिला समूह खेती-किसानी के लिए तैयार हुई और सभी महिलाए एकजूट होकर उस बंजर जमीन को खेती करने के लिए तैयार कर लिया। महिलाओ को हर संभव मदद के लिए पंचायत एंव ग्रमीण विकास कृषि, उद्यानिकी, मत्स्य पालन विभाग,सहित केडा विभाग ने पूरा सहयोग भी किया। इस दौरान पांच महिला समूहों को आजिविका उन्नयन के तहत 5 एकड़ शासकीय भूमि जो पूर्व में बंजर और अनुपयोगी थी, जिसे जिला प्रशासन के अभिनव पहल पर ग्राम राजानवागांव के महिला स्व-सहायता समूहों के आजीविका उन्नयन और महिला सशक्तिकरण की दिशा में आर्थिक विकास के लिए उन्नत सब्जी उत्पादन, मछली पालन सह मुर्गी पालन व्यवसाय के लिए इस शासकीय भूमि को दिया गया। महिला समूहों ने इस अनुउपयोगी जमीन को खेती के लिए तैयार कर भिड़ी,करेला, बरबट्ी, ककड़ी, सीखा और लौकी की खेती कर रही है। साथ ही मनेरगा के तहत एक तालाब का भी निर्माण किया गया है। यह तलाब इस लिए तैयार किया गया है,ताकि महिला समूहों केा मछली पालन व्यवसाय से जोड़ा जा सके। साथ ही मृदा नमी के लिए यह तालाब उपयोगी साबित होगा।
कलेक्टर श्री अवनीश शरण ने कहा कि छत्तीसगढ़ शासन की योजनाओं से महिलाए सशक्तिकरण की दिशा में आगे बढ़ रही है। कबीरधाम जिले में बिरकोना और कवर्धा में महिला समूह द्वारा गढ़ कलेवा की तर्ज पर भोर कलेवा का संचालन किया जा रहा है। महिला समूह द्वारा भोरमदेव कोदा का प्रोडक्ट तैयार किया जा रहा है। महिलाओ के द्वारा ही भोरमदेव जैविक फाग तैयार किया गया। महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए छत्तीसगढ़ शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं से जोड़ने का पुरा प्रयास किया जा रहा है। जिला पंचायत सीईओ श्री विजय दयाराम के ने कहा कि शासन की योजनाओं में महिलाओ की समूह तैयार कर उन्हे आगे बढ़ने के लिए उनकी भागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। जिले के राजानंवागांव में महिलाओं की समूह तैयार कर उन्हे कृषि पर आधारित आजिविका से जोड़ने का सफल प्रसास किया गया है। पांच महिला समूहों को खेती-किसानी से जोड़ा गया। अलग-अलग महिला समूहों के लिए अलग-अलग कार्य योजना तैयार किया गया है।