छत्तीसगढ़ में राशनकार्ड बना महत्वपूर्ण दस्तावेज, अब आरक्षण में लोगों की गणना के लिये भी होगा इस्तेमाल

रायपुर। छत्तीसगढ़ में राशन कार्ड अब एक महत्वपूर्ण दस्तावेज बन गया है। दशकों से राशनकार्ड का उपयोग सस्ते राशन के लिये होता आया है। इसे परिचय पत्र के रूप में भी इस्तेमाल में लाया गया। छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए इसका प्रयोग उपचार के लिये शुरू किया। आज हुए कैबिनेट की वर्चुअल बैठक में खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने बताया कि अब राशन कार्ड का प्रयोग आरक्षण के लिये हितग्राहियों की गिनती हेतु भी किया जाएगा। खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि पहले सबके लिए सस्ता राशन फिर बीमार व्यक्ति के इलाज के लिए और अब खाद्य विभाग का डेटा सभी के आरक्षण (अजा/अजजा/ओबीसी/सामान्य) का आधार बन गया है।
मीटिंग के दौरान स्वास्थ्यमंत्री टी एस सिंहदेव ने कहा कि कैबिनेट में सबसे पहले उन्होंने राशन कार्ड बनवाया। इस पर खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने चुटकी लेते हुए कहा “आपने कहा था आप खुद पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह जी को राशन कार्ड दे कर आएंगे वो काम अभी बचा हुआ है।”
उनकी इस चुटीली टिप्पणी से मीटिंग में मौजूद मंत्रीगण अपनी हंसी नही रोक सके और ठहाके लगा कर हँसने लगे। कैबिनेट की इस वर्चुअल बैठक के दौरान खाद्य विभाग के द्वारा उपलब्ध कराए गए डेटा की मख्यमंत्री सहित सभी मंत्रियों व अधिकारियों के तारीफ की। इस दौरान खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने सभी को साधुवाद ज्ञापित किया। साथ ही राशनकार्ड को एक प्रमाणित दस्तावेज के रूप में मान्य करने हेतु मख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं पूरे मंत्रिमंडल को धन्यवाद दिया।
उल्लेखनीय है कि इस वर्ष कोरोना संकट के कारण अन्य राज्यों से लौटे उन श्रमिकों का राशनकार्ड तत्काल बनाया गया जिनके पास राशनकार्ड नहीं थे। कोरोना संकटकाल और लॉक डाउन के समय खाद्यमंत्री अमरजीत भगत विशेष रूप से बेहद सक्रिय रहे। जिनके नाम राशन कार्ड में नहीं थे तत्काल जुडवाए गये। 70 हज़ार से ज्यादा बीपीएल व सामान्य राशनकार्ड बनाये गये। खाद्यमंत्री अमरजीत भगत ने निरंतर समीक्षा बैठक द्वारा यह सुनिश्चित किया कि हर हितग्राही व ज़रूरतमंदों को राशन मिले। आज की मीटिंग में लिये गये निर्णय ने राशन कार्ड के इस्तेमाल के दायरे को और भी व्यापक बना दिया है।

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