मानव समाज के उत्थान में ममतामयी मिनीमाता का योगदान इतिहास के पन्नो में सदा अमर रहेगा-राजेन्द्र बंजारे

रायपुर,छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव एवम पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेंद्र पप्पू बंजारे ने ममतामयी मिनीमाता के पुण्यतिथि पर मिनीमाता के प्रतिमा पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए बताया कि तारीख 11 अगस्त को सारे देश के और विशेष रूप से छत्तीसगढ के सतनामियों में से प्रथम महिला सांसद “ ममतामयी मिनी माता ” की पुण्यतिथि मनाई जाती है । “ ममतामयी मिनी माता ” वैसे तो गुरू माता थीं, लेकिन उनका कार्यक्षेत्र सतनामियों के आध्यात्मिक गुरूओं के बनिस्बत राजनीतिक कार्य के रूप में कम नहीं आंका जा सकता है । जहां धर्मगुरूओं ने आध्यात्मिक कार्य किये हैं वहीं “ ममतामयी मिनी माता ” ने सतनामी समाज के लिए संवैधानिक धाराओं को कार्यान्वित करा कर सतनामियों को लाभ पहुँचाया है जो कि एक महान सामाजिक कार्य हुआ है । जिसका लाभ वर्तमान में मौजूद पीढी को भी मिलता है । पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेंद्र बंजारे ने बताया कि ममतामयी मिनी माता ” का दिल्ली का सरकारी बंगला हमेशा एक धर्मशाला की तरह से छत्तीसगढ के सतनामियों तथा अन्य धर्म के लोगों से भरा रहता था । वे किसी के भी साथ धर्म, जाति, वर्ग या अन्य किसी भी तरह का भेदभाव नहीं करती थीं । आज भी लोगों को एक आशा रहती है कि कदाचित हमारे सतनामी समाज में फिर से कोई “ ममतामयी मिनी माता ” जैसा अवतरित हो और उसी प्रकार से समाज का उत्थान करे जिस प्रकार से “ ममतामयी मिनी माता ” जी ने अपने जीवन काल में किया था । सतनामियों का सीना गर्व से तब फूल जाता है जब उनके बारे में संसद के गलियारे में भी उनके कार्यों की चर्चा निकलती है । जब जब देश के दबे, कुचले, पिछडे तथा आदिवासियों के लिए किये गये कार्यों का जिकर आता है तो छत्तीसगढ में से सबसे पहले “ ममतामयी मिनी माता ” का नाम याद किया जाता है । वास्तव में उनका नाम इसलिए भी अमर हो गया है कि बाबा साहेब आंबेडकर जी ने संविधान में एससी. ओबीसी, एसटी, माइनारिटी वर्ग के लिए जो धाराएं बनाई थीं, संसद के पटल पर रख कर उसे कार्यान्वित कराने में “ ममतामयी मिनी माता ” की महत्वपूर्ण भूमिका रही है जो वर्तमान पीढी को पता चलना चाहिए । आज वो हमारे बीच नहीं हैं लेकिन उनके किये गये कार्यों के रूप में वे हरेक सतनामी के दिल में अपना स्थान बना चुकी हैं ।
पूर्व जनपद अध्यक्ष राजेंद्र बंजारे ने आगे बताया कि हमारे छत्तीसगढ के सतनामियों का यह कर्तव्य है कि वे सब सतनामी भाई और बहन “ ममतामयी मिनी माता ” जी का वह कर्ज समाजिक कार्य करके उतारें तथा अपने से कमजोर सतनामियों का ध्यान रखें । देखने में आता है कि अब तो अनेक सामाजिक संगठन दिन रात समाज के लिए कार्य कर रहे हैं जो कि अति सराहनीय हैं । लेकिन हमारे सतनामी समाज को आध्यात्मिकता में अभी और भी ऊँचाइयों पर पहुंचना चाहिये । घर में बालक बालिकाओं को अभी से ध्यान साधना का अभ्यास कराने की जिम्मेदारी घर की महिलाओं के अधीन होनी चाहिये । सतनामियों में से ही कोई ना कोई “ ममतामयी मिनी माता ” या “ सतनामी मिनाक्षी माता ” जैसी माता का अवतरण हो तो यह सतनामी समाज के लिए एक बडी उपलब्धि मानी जा सकती है । इस रास्ते पर हम सबको अनिवार्यतः चलना चाहिए।

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