अंचल में घर-घर पर मना हलषष्ठी कमरछठ का पर्व

अर्जुनी – जय बाबा देव धर्म नगरी के नाम ख्याति प्राप्त वाला गौरव ग्राम रावन में रविवार को हलषष्ठी कमरछठ का पर्व धूमधाम से मनाया गया इस दिन महिलाओं ने अपने संतानों के दीर्घायु शतायु व उनके सुख समृद्धि हेतु व्रत भी रहा । ज्ञात हो कि वर्तमान समय मे कोविड 19 के कोरोना के संक्रमण के फैलते संक्रमण को देखते हुये इस वर्ष यह पावन कमरछठ का पर्व घर- घर पर ही मनाया गया, हिंदु धर्म शास्त्रों में मान्यता अनुसार हलषष्ठी का पर्व की बहुत बड़ी व विशेष मान्यता है ,इस दिन श्री भगवान श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी का जन्म हुआ था। इसे बलराम जयंती भी कहते हैं। इस दिन माताएं अपने पुत्र की लंबी आयु की कामना करती है। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष षष्ठी को सर्व प्रथम श्री गौरी गणेश ,कलश , भगवान शंकर की और सगरी खोदकर और जलधारा, जल ,बेल पत्र अर्पित कर विधि विधान से हलषष्ठी पूजा पद्धति करने की पुरानी प्रचलन है ।
इस दिन बिना हल जोते पैदा होने वाले अनाज जिसे छत्तीसगढ़ में पसहर चावल कहा जाता जिसका भोग लगाकर पूजा किए जाने की परंपरा विद्यमान है। साथ ही पूजन की अन्य सामग्री ,मसूर,चना और गेहूं , महुआ दोना,टोकनी लाई व छः प्रकार की भाजी और दूध, दही का भी भोग लगाया गया।पूजा के बाद महिलाएं इसी पसहर चावल को पकाकर व खाकर अपना व्रत तोड़ती है। वंही इस अवसर पर पूजन में व्रतधारी महिलाओं ने इस पर्व को धूमधाम से मनाया इस दौरान स्थानीय कल्याणी वर्मा, मिथिला वर्मा, शिव कुमारी वर्मा,ज्योति वर्मा, प्रेरणा वर्मा,किंजल करसायल, त्रिवेणी अग्रवाल,गीता ,तीजा पटेल, खुशी, प्रज्ञा ,आरती उपस्थित रहे।

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